भारत किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार – वायुसेना प्रमुख

नई दिल्ली। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बी एस धनोआ ने कहा है कि भारतीय वायुसेना हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उभरते संभावित खतरों के प्रति ‘बहुत सजग’ है। उन्होंने कहा कि उनका बल भारत के राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा के लिए किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है। वायुसेना प्रमुख ने कहा कि भारत के पड़ोस में नये हथियारों, उपकरणों को शामिल किए जाने और आधुनिकीकरण की रफ्तार चिंता का कारण है।
यह पूछे जाने पर कि क्या वायुसेना जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पार आतंकवादी प्रशिक्षिण शिविरों को ध्वस्त करने में भूमिका निभा सकती है, उन्होंने इस तरह की संभावना से इनकार नहीं किया। एयर चीफ मार्शल ने कहा, ‘वायुसेना सीमापार से पैदा खतरों का सामना करने के लिए पूरी तरह से सक्षम है, चाहे ये (खतरे) उप-पारंपरिक क्षेत्र के हों या अन्य क्षेत्रों के हों।’ चीन और पाकिस्तान का नाम लिये बिना भारत की वर्तमान सुरक्षा चुनौतियों के संदर्भ में उन्होंने कहा कि वर्तमान चुनौतियां अनसुलझे क्षेत्रीय मुद्दों, प्रायोजित राज्येतर एवं विदेशी तत्वों से पैदा होती हैं जो राष्ट्रीय हितों के खिलाफ काम करती हैं।

उन्होंने कहा, ‘वायुसेना किसी भी खतरे से निपटने के लिए चौबीसों घंटे तैयार है और वह हमारे उपलब्ध संसाधनों की मदद से किसी भी आपात स्थिति का करारा जवाब देने के लिए तैयार है।’ धनोआ ने चीन द्वारा अपनी वायुसेना का तेजी से आधुनिकीकरण करने और भारत की सीमा से सटे तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में पेइचिंग द्वारा कराए जा रहे आधारभूत ढांचागत विकास का भी परोक्ष रूप से जिक्र किया।

उन्होंने कहा, ‘वायुसेना सीमापार से पैदा सभी तरह के संभावित खतरों की चुनौतियों से निपटने के लिए पूरी तरह से सक्षम है। हमारे पड़ोस में आधुनिकीकरण की रफ्तार और नये हथियारों, उपकरणों को शामिल किया जाना चिंता का कारण है। वायुसेना फिर भी इन नए घटनाक्रमों से निपटने के लिए उचित उपायों के साथ आगे बढ़ रही है।’
यह पूछे जाने पर कि क्या वायुसेना हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत के भू-राजनीतिक प्रभाव को बढाने में भूमिका निभाने में सक्षम है, उन्होंने ‘हां’ में जवाब दिया और सी-17 के दूसरे सबसे बड़े बेड़े सहित वायुसेना की क्षमताओं के बारे में बात की। वायुसेना प्रमुख ने कहा, ‘हमारे पास विश्व में सी-17 का दूसरा सबसे बड़ा बेड़ा है। इसलिए, भारत मानव संकट और मानवीय राहत (अभियानों) के समय अपने मित्र देशों की मदद के लिए अपने संसाधनों का इस्तेमाल करेगा। इसके अलावा, वायुसेना हिंद-प्रशांत क्षेत्र में पैदा संभावित खतरों को लेकर बहुत सजग है।’

Comments are closed.