एजेंसी : भारत पाकिस्तान के बीच पुलवामा हमले के बाद से ही तनाव चरम पर पहुंच गया था। खासतौर पर विंग कमांडर अभिनंदन के पाकिस्तान के कब्जे में आ जाने से हालात बिगड़ गए। पहले ही दिन भारत ने साफ कर दिया कि वह हर हाल में अभिनंदन की बिना शर्त सकुशल रिहाई चाहता है। दबाव रंग लाया और गुरुवार को पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने अभिनंदन की रिहाई का एलान भी कर दिया। भारत की इस कामयाबी में डिप्लोमैसी ने अहम भूमिका निभाई।
ये पहला मौका है जब पाकिस्तान ने किसी भारतीय सैनिक को इतनी जल्द छोड़ने का एलान किया है। इससे पहले कई मौकों पर उसने कब्जे में आए भारतीय सैनिकों के साथ बर्बरता की है। जिनेवा संधि का पाकिस्तान ने हर बार उल्लंघन किया है। बात चाहे 1999 करगिल युद्ध के दौरान पायलट अजय आहूजा की हो या कैप्टन सौरभ कालिया कीए अमानवीयता की हदें पार कर दी गईं। हालांकि इसी दौरान भारतीय पायलट नचिकेता को पाकिस्तान ने भारी दबाव के बाद कई दिनों बाद छोड़ा था।
अभिनंदन की रिहाई में भारत की डिप्लोमैसी ने बड़ा काम किया। भारत ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मामले को उठायाए सभी बड़े देशों और मित्र देशों को पाकिस्तान की कारगुजारी के बारे में बताया। अमेरिका ने भी भारत की बात को समझा और बड़ी भूमिका अदा की। डोनाल्ड ट्रंप ने दिन में ही कह दिया था कि आज शाम तक कोई अच्छी खबर मिलेगी। तो क्या अभिनंदन की रिहाई का एलान ही ये अच्छी खबर थी और ट्रंप की मध्यस्थता से महज एक दिन में ही बड़ा एलान हो गया। ट्रंप ने पुलवामा हमले के बाद भी एक बड़ा बयान दिया था। उन्होंने पुलवामा हमले के जवाब में भारत की ओर से कुछ बड़ा करने की बात कही थी। अगले कुछ घंटों में बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक की खबर सामने आई। यानी अमेरिका का इस मामले में पूरा दखल रहा और उसे पता था कि कब क्या होने जा रहा है।
न सिर्फ अमेरिका बल्कि अमेरिकाए ब्रिटेन और फ्रांस के जरिए भी पाकिस्तान पर दबाव बनाया गया। तीनों देशों ने पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करवाने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में नया प्रस्ताव दिया। इस घटना ने भी पाकिस्तान को सोचने पर मजबूर किया होगा।
उधरए भारत और अमेरिका के बीच बातचीत का दौर लगातार चल रहा था। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बॉल्टन ने अपने भारतीय समकक्ष अजीत डोभाल से भारत.पाक तनाव के बीच दूसरी बार बातचीत की। इसके अलावा डोभाल ने पी 5 देशों के साथ भी बात कर भारत का पक्ष मजबूती से रखा। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की ये घेराबंदी आखिर काम आई और अभिनंदन की सकुशल रिहाई का रास्ता साफ हो सका।
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