आज़ाद लब –विकास के मुद्दों से भटक कर ,खैरात की तरफ ध्यान खीचने वाला होगा यह चुनाव : विश्वबंधु

 चुनाव 2019 का बिगुल बज चुका है और सभी दल अपनी-अपनी जोर आजमाइश में लग गए हैं l परंतु 2014 से उलट यह चुनाव विकास के मुद्दों से दूर भटकती हुई नजर आ रही है l इस पूरे चुनाव कैंपेन में सभी पार्टियों के किसी भी रैली में विकास का मुद्दा अब चुनावी मुद्दा नहीं रहा और यह बड़े अफसोस की बात है कि विकास का मुद्दा चुनाव मे नहीं होना l सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और उसेके गठबंधन  और ना ही विपक्ष में बैठे कांग्रेसी या किसी अन्य पार्टी का मुद्दा विकाश है ना ही वो यह मुद्दा उठा रहे है और ना ही इस मुद्दे पर सरकार से सवाल कर रहे है , तो यह माना जाए कि यह 2019 का चुनाव फिर एक बार देश के लिए नहीं देश के विकास के लिए नहीं  होते हुए सभी पार्टियों का अपना व्यक्तिगत चुनाव हो गया है l सत्ता पाने के लिए और सत्ता तक पहुंचने के लिए आज प्रधानमंत्री मोदी 2014 के अपने विकाश के चुनाव कैंपेन से उलट चौकीदार चैंपियन कर रहे हैं , जो कि पिछली बार अच्छे दिन आने वाले हैं कैम्पेन से बहुत अलग है l 

 

नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने 5 साल के कार्यकाल में 109 योजनाओं की घोषणा की और उन योजनाओं का वर्तमान में क्या हाल है इसका डाटा खुद सरकार भी देने में असमर्थ है  l पूरी सरकार और खुद प्रधानमंत्री सिर्फ चार- पांच योजनाओं के इर्द-गिर्द ही अपने आप को घिरा हुआ पाते हैं , और उन्ही योजनओं का जिक्र ही करते हैं बाकी योजनाएं जो शुरू की गई थी वह  सफल हुई या असफल हुई इसकी कोई बात नहीं करता और ना ही उस बात का जिक्र पूरे चुनाव के दौरान किया जायेगा l  अगर इन योजनाओं पर बात नहीं हो रही तो क्या यह माना जाए की 109 में से कुछ एक योजनाएं छोड़कर बाकी सारी योजनाएं असफल हो गई या जिनका जनता के विकास से कोई तालुकात नहीं था या फिर यह की सरकार भी असफल रही l  क्योंकि 109 योजनाओं में से सिर्फ पांच योजनाओं की जिक्र होना सरकार की सफलता नहीं मानी जाएगी इसीलिए यह सरकार भी विकास के मुद्दों से और विकास से दूर भागते हुए खैरात बांटने  भरोसा करते हुए सत्ता में आने का प्रयास कर रही है l 

 

 देश मैं बड़ी अजीब स्थिति बन गई है कि जनता के टैक्स से जो यह चुनाव होता है ,जो कि इस बार इस चुनाव का खर्च ₹60 हज़ार करोड के आसपास होने वाला है उसमें जनता की बात, जनता के लिए बात और जनता से बात तीनों चीजें नहीं हो रही है l  अब जनता के विकास की बात से उलट पार्टी अपनी बात और अपने लिए बात करती हुई दिख रही है , जो किस देश की राजनीति के लिए बहुत ही बुरा माना जा सकता है l भारतीय जनता पार्टी अपनी 5 साल की उपलब्धियों का जिक्र नहीं कर रही अपनी योजनाओं की बात नहीं कर रही वह सिर्फ देश भक्ति की बात कर रही है और सिर्फ विपक्ष के ऊपर सवाल कर रही है कि उन्हें 70 सालों में क्या किया l परंतु अपने 5 सालों का हिसाब देने से कतराती हुई नजर आ रही है, परंतु देश की जनता इन 5 सालों का हिसाब मांग रही है जो कि कोई भी पार्टी देने की स्थिति में नहीं दिख रही चाहे वह भारतीय जनता पार्टी हो या फिर कांग्रेस l 

 

भारतीय जनता पार्टी कि किसानों को साल के ₹6000 देने की घोषणा चुनावी घोषणा है और उसके जवाब में कांग्रेस की न्यूनतम आय गारंटी योजना में ₹72000 साल का गरीबों को देने की घोषणा भी एक चुनावी घोषणा है और दोनों ही योजनाए  देश के विकास में बाधा है और देश को विकास से दूर ले जाने वाली है l खैरात बांटने की होड़ में सभी पार्टियां देश को पीछे छोड़ते हुए नजर आ रही हैं और अगर देश पीछे होता है तो देशवासी भी पीछे ही रहेंगे l  हमें इस चुनाव में खैरात में दिए जाने वाले चुनावी प्रलोभन से बाहर आकर देश हित और विकास की बात सभी पार्टियों से करनी होगी l उनसे पूछनी होगी  कि आप का 5 साल का देश के विकास के लिए देश की जनता के खुशहाली के लिए क्या एजेंडा है ? 21वीं सदी में आने के बाद भी देश की चुनावी दिशा और चुनाव आज खैरात बांटने की स्थिति में है  तो यह देश की प्रगति में बाधा तो है ही यह देश का दुर्भाग्य ही माना जाना चाहिएl  नरेंद्र मोदी जोकि 2014 में विकास पुरुष के रूप में दिखते थे या जिन को इस रूप मे प्रस्तुत किया गया था वह आज देश के विकास और समृद्धि की बातों से दूर जाते हुए नज़र आते है l विकास की बात अब वह भी नहीं करते शायद वह भी समझ गए किस देश में खैरात वाट कर सत्ता पाई जा सकती है तो विकास की बात करने से कोई लाभ नहीं होगा l  

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