‘अपना टाइम भी आएगा’ की कलाकार अनुष्का सेन के साथ एक खास चर्चा

  1. इस  शो का कॉन्सेप्ट और इसकी खासियत क्या है?

‘अपना टाइम भी आएगा’ हमारे समाज में गहरे तक समाए वर्गभेद और ‘औकात’ से जुड़े अलिखित नियमों को उजागर करता है। ये ऐसे नियम हैं, जो निम्न वर्ग के लोगों से अपनी तकदीर से लड़कर औकात से ऊपर उठने का मौका लगभग छीन लेते हैं। आज के दौर में जहां दुनिया बहुत आगे निकल गई है, वहीं दुर्भाग्य से अब भी बहुत-से ऐसे लोग हैं, जिनकी सोच नहीं बदली है। वो अमीर और गरीब, शहरी और ग्रामीण लोगों के बीच फर्क करते हैं और उनकी महत्वाकांक्षा या प्रतिभा के बजाय उनकी पृष्ठभूमि के आधार पर उन्हें परखते हैं। जैसा कि इस शो का शीर्षक है, यह रानी और उसके पिता की कहानी है। एक मध्यमवर्गीय पृष्ठभूमि से होने के बावजूद उसके पिता ने अपनी बेटी की परवरिश किसी राजकुमारी की तरह की है। टीवी पर ज्यादातर दिखाए जाने वाले बाप-बेटी के रिश्तों में अक्सर बेटी के सपनों की कमान पिता के हाथ में होती है, जो अपनी बेटी को हकीकत से रूबरू कराते हैं और उसे जिंदगी के प्रति जांचा-परखा रुख अपनाने को कहते हैं। लेकिन यहां एक ऐसे पिता हैं, जिन्होंने रानी की परवरिश यही सोचकर की है कि उसकी सफलता की कोई सीमा नहीं! रानी बड़े सपने देखती है और अपने पिता के बढ़ावे से अपने बड़े लक्ष्य पूरे करना चाहती है, लेकिन कुछ असाधारण परिस्थितियों के चलते उसे राजावत परिवार में अपने पिता की जगह हेड सर्वेंट बनना पड़ता है। वहां उससे अपने सामाजिक एवं आर्थिक स्तर और एक छोटे शहर की होने के कारण भेदभाव का सामना करना पड़ता है। अपने रास्ते में आने वाली तमाम चुनौतियां के साथ क्या रानी अपनी वो जगह हासिल कर पाएगी, जिसकी वो हकदार है? क्या वो अपनी जड़ों से ऊपर उठकर अपनी पहचान बना पाएगी? या दूसरे शब्दों में कहें तो क्या वो अपनी औकात के बाहर जा पाएगी?

 

 

 

  1. अपने किरदार के बारे में कुछ और बताएं? 

रानी एक होनहार और बुद्धिमान लड़की है। वो गणित में बहुत अच्छी है और उसने इंजीनियरिंग की डिग्री भी हासिल की है। भले ही लोग उसकी पिछड़ी पृष्ठभूमि के कारण उसके उज्जवल भविष्य को अनदेखा कर दें, लेकिन उसने हमेशा अपने लिए कुछ बड़े लक्ष्य रखे हैं। रानी को अपने परिवार के मूल्यों और सिद्धांतों पर गर्व है। भले ही उसके पिता एक हेड सर्वेंट हैं, वो उन पर गर्व करती है। यह शो हमें रानी के सफर पर ले जाएगा, जिसमें उत्तर प्रदेश के उसके घर से लेकर जयपुर के महल तक पहुंचने की कहानी है, जो दर्शकों के लिए काफी रोचक और प्रेरणादायक साबित होगी।

 

 

  1. अपना टाइम भी आएगा के लिए अब तक की शूटिंग के अनुभव बताएं?

शूटिंग बहुत अच्छी चल रही है। अपने किरदार रानी को एक्सप्लोर करते हुए मेरा वक्त बढ़िया गुजर रहा है। सभी बहुत अच्छी तरह से घुल मिल गए हैं और सेट पर बढ़िया वक्त गुजार रहे हैं। हमने अभी-अभी पूरे जोर-शोर से शूटिंग शुरू की है और इसे लेकर मैं बेहद उत्साहित हूं। हम लोग शूटिंग के दिशानिर्देशों और सभी सावधानियों का पालन कर रहे हैं क्योंकि यह बड़ा चुनौती भरा समय है। मैं आप सभी के साथ रानी के सफर का अनुभव करना चाहती हूं।

 

 

  1. तो कोविड-19 के दौरान शूटिंग करते हुए आप क्या सावधानियां बरत रहे हैं?

शो के निर्माण के लिए ये सभी दिशानिर्देश सरकार के द्वारा जारी किए गए हैं। आप जहां भी जाते हैं, वहां सैनिटाइज़र होते हैं और लोग हर वक्त मास्क और फेस शील्ड लगाते हैं। हम सभी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी करते हैं। कलाकारों के तौर पर हमें वक्त की नजाकत को समझने और खुद का अच्छी तरह ख्याल रखने की जरूरत है। यह हम सभी के लिए बिल्कुल अलग अनुभव है क्योंकि न्यू नॉर्मल के कारण लोगों को अलग तरह से काम करना पड़ रहा है और सेट पर लोग भी सीमित हैं। लेकिन सबका यही कहना है कि काम रुकना नहीं चाहिए और मैं भी यही मानती हूं।

 

 

  1. जैसा कि आपने बताया कि यह शो सामाजिक स्तर और जाति के आधार पर किए जाने वाले भेदभाव का मुद्दा उठाता है, तो ऐसे संवेदनशील विषयों पर आपकी क्या राय है? 

किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके आर्थिक स्तर या उसकी पृष्ठभूमि की बजाय उसकी मेहनत, ज्ञान, प्रतिभा और महत्वाकांक्षा के आधार पर होनी चाहिए। ऐसे बहुत-से उदाहरण हैं, जिनमें गरीब पृष्ठभूमि से आए लोगों ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। मैं व्यक्तिगत तौर पर भी रानी के किरदार से जुड़ती हूं क्योंकि मेरा परिवार भी मेरे सपने पूरे करने के लिए झारखंड से मुंबई आ गया था।

 

 

  1. सोशल मीडिया पर हाल ही में आपके 10 मिलियन फैंस हो गए हैं, इसे लेकर आप कैसा महसूस करती हैं? आपके हिसाब से एक्टर्स के लिए सोशल मीडिया पर अपने फैंस से जुड़े रहना कितना जरूरी है? आप अपने फैंस से जुड़े रहने के लिए क्या करती हैं?

मैं अपने सभी फैंस की शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने हमें 10 मिलियन सदस्यों का एक परिवार बना दिया है। वो खुद को ‘अनुष्कियन्स’ कहते हैं। इन सभी लोगों से इतना प्यार पाना वाकई एक सुखद एहसास है और मैं इनमें से हर एक के लिए ईश्वर की आभारी हूं। मैं अपने लुक्स के साथ प्रयोग करती रहती हूं और अपनी तस्वीरें पोस्ट करती रहती हूं। सोशल मीडिया के जरिए मैं कुछ बातों पर अपने फैंस को अपडेट भी देती हूं। उन सभी से मुझे बहुत प्यार मिलता है। मैं कभी-कभी उनसे बात भी करती हूं और किसी ना किसी तरीके से उनसे जुड़ी रहती हूं।

 

 

  1. आप अपना ग्रेजुएशन भी कर रही हैं, तो ऐसे में पढ़ाई के साथ-साथ शूटिंग को कैसे संभालती हैं?

असल में अपना पैशन पूरा करने के लिए मैंने हाल ही में मुंबई यूनिवर्सिटी में फिल्मोग्राफी में बीए में एडमिशन लिया है। यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है। इस समय महामारी के कारण हम कॉलेज नहीं जा पा रहे हैं, इसलिए मैं घर से ही पढ़ाई करती हूं और पूरी क्लास अटेंड करती हूं। हालांकि इसके पहले ही मैंने एक शेड्यूल बनाकर शूटिंग और पढ़ाई के बीच अपना वक्त मैनेज कर लिया था, जिसमें दोनों चीजों को समान रूप से समय मिलता है। मैं इसे अच्छी तरह फॉलो करती हूं और मेरी खुशकिस्मती रही है कि मैं पिछले 11 वर्षों से पढ़ाई और शूटिंग साथ करते हुए इंडस्ट्री में काम कर रही हूं। यहां तक कि मेरा पहला शो ‘यहां मैं घर घर खेली’ भी ज़ी टीवी के साथ था। एक बार फिर ज़ी के साथ टीवी पर वापसी करके बेहद खुश हूं क्योंकि इसके साथ मेरी बहुत-सी यादें जुड़ी हुई हैं।

 

 

 

  1. अपने रोल के लिए आपने क्या तैयारियां कीं? इसके लिए आपने बिहारी बोली कैसे सीखी?

मेरा जन्म झारखंड में हुआ था और मेरे बहुत-से रिश्तेदार वहां रहते हैं। ऐसे में जब इस रोल के लिए मुझसे संपर्क किया गया, तो मैं सीधे अपने पिता के पास गई, क्योंकि मैं जानती थी कि रानी के रोल के लिए मुझे जिस तरह की बोली सीखने की जरूरत है, उसके लिए वही सही रहेंगे। इसकी सबसे अच्छी बात यह थी कि इससे मुझे अपने डैड के साथ अच्छी तरह घुलने-मिलने का मौका मिला। वो मुझसे बिहार में अपने स्कूल और कॉलेज के दिनों की बहुत-सी यादें बताते थे। मैं अपने डैड की आभारी हूं कि इस रोल के लिए की तैयारी के लिए मुझे कहीं बाहर नहीं जाना पड़ा। यह रोल मेरे दिल के करीब है।

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