नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत ने पाकिस्तान से लौटे लोगों को भारत में बसाने के मामले में सवाल उठाए हैं। दरअसल, जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने 35 साल पहले एक कानून बनाया था, जिस पर विवाद है। यह कानून 1947 से 1954 के बीच जम्मू-कश्मीर से पलायन कर पाकिस्तान जाने वाले लोगों को पुनर्वास की अनुमति देता है। इस विवादित कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर पुनर्वास कानून 1982 की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर सवाल उठाते हुए राज्य सरकार से जानकारी मांगी। ज्ञात हो कि असेंबली द्वारा पारित इस कानून का तत्कालीन गवर्नर और केंद्र की कांग्रेस सरकार ने विरोध किया था।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाते हुए कहा, ’18 साल का कोई व्यक्ति जो 1947 में पाकिस्तान चला गया था अब 90 साल का हो चुका होगा। ऐसे में क्या आप उसके बच्चों, नाती-पोते और उनकी पत्नियों को, जो पाकिस्तान में पैदा हुए और वहां के नागरिक हैं, वापस आकर जम्मू और कश्मीर में बसने की इजाजत देंगे?’ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे तो पाकिस्तान जाने वाले ही नहीं दूसरे लोग भी स्टेट में आकर बस जाएंगे। इस कानून का विरोध करते हुए केंद्र ने कहा, ‘यह एक्ट ऐसे लोगों को किसी भी समय भारत लौटने और बसने की इजाजत देता है जो स्वेच्छा से पाकिस्तान बस गए, वहां की नागरिकता ली, पाकिस्तानी सिविल या आर्म्ड फोर्सेज में सेवाएं दीं या भारत के खिलाफ जंग लड़ी या भारत के खिलाफ राजद्रोह जैसा काम किया। इससे राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था खतरे में पड़ जाएगी।’
सुप्रीम कोर्ट ने जानकारी मांगी कि राज्य से पलायन करने वाले कितने लोगों ने पाकिस्तान से लौटने के लिए आवेदन किया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने राज्य सरकार के वकील से कहा कि इस बारे में आवश्यक निर्देश प्राप्त कर लें। अब इस पर 22 जनवरी को सुनवाई होगी। राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि वह जानकारी जुटाकर इस कानून के तहत वापस लौटने का आवेदन करने वाले विस्थापितों और उनके दस्तावेजों का विवरण पेश करेंगे। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट जानना चाहता है कि कितने विस्थापितों और उनके वंशजों ने आवेदन किया है और क्या ये आवेदन स्थायी निवासियों (जम्मू-कश्मीर संविधान के तहत विशेष अधिकार पाने वाले व्यक्तियों) ने दिए हैं। शीर्ष अदालत को इस कानून के प्रावधानों से अवगत कराया गया।
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