लखनऊ । कुशीनगर हादसे की कई वजहें सामने आयी हैं पहली तो यह कि जिस स्कूली वाहन में 25 बच्चों को ठूंस-ठूंस कर भरा गया था वह वाहन मालवाहक छोटा हाथी से बनाया गया था। दूसरा यह कि वाहन चलाते समय चालक ने कान में ईअर फोन लगा रखा था। तीसरा वाहन की स्पीड क्रासिंग पर भी धीमी नहीं की गई। चौथे कि ड्राइवर और पीछे का हिस्सा अलग होने से बच्चे चिल्लाते रहे और चालक गाना सुनने में मस्त रहा और एक साथ 13 घरों को चिराग बुझ गये।
बताते चलें कि स्कूल वैनों में बच्चों की सुरक्षा के साथ बड़ा खिलवाड़ होता है। इन वैनों में क्षमता से गई गुना अधिक बच्चे भरे जाते हैं। इसके साथ ही इन वैनों में सुरक्षा के लिहाज से न तो कोई गार्ड होता है और न कोई लेडी अटेंडेंट। इनमें से अधिकांश वैनों में सुरक्षा के लिहाज से जरूरी सीसीटीवी कैमरे और जीपीएस सिस्टम भी नहीं होते।
अधिकांश स्कूल वैनों में सात बच्चों और एक महिला अटेंडेंट के बैठने की ही जगह होती है। इन वैनों में 12 साल से कम उम्र के ही बच्चों के बैठने का विधान होता है। इसके साथ ही वैन चालक के पास यूनिफॉर्म, बैच और पांच वर्ष का अनुभव होना जरूरी है। आरटीओ गाड़ी के लिए परमिट देते समय स्टैंप पेपर पर लिखवा कर लेते हैं, कि उपरोक्त सभी नियमों का निश्चित रूप से पालन किया जाएगा। इसके बाद भी इन सात बच्चों की क्षमता वाली वैन में 21 बच्चे भरे जाते हैं। यही नहीं, ये वैन सिलिंडर से चलती हैं। ऐसे में जगह की कमी के चलते बच्चों को उस सिलिंडर के ऊपर भी बैठा दिया जाता है।
जुलाई 2016- भदोही जिले में मानवरहित कैयरमऊ रेलवे क्रॉसिंग पर टेंडर हार्ट्स स्कूल की एक वैन ट्रेन की चपेट में आ गई। हादसे में 8 बच्चों समेत नौ लोगों की मौत हो गई, जबकि 10 बच्चे घायल हो गए। वैन का ड्राइवर ईयरफोन लगाए था। इससे उसे ट्रेन और गेट मित्र की आवाज सुनाई नहीं दी। हादसे से गुस्साए ग्रामीणों ने वैन में आग लगा दी। ड्राइवर छह गांवों के 18 बच्चों को वैन से स्कूल छोड़ने जा रहा था। करीब 7:40 बजे उसने मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग पार करने की कोशिश की। इसी दौरान वैन वाराणसी से इलाहाबाद जा रही पैसेंजर ट्रेन की चपेट में आ गई।
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