पेट्रोल को जीएसटी के दायरे में लाने पर कभी सहमति नहीं बनेगी: एसोचैम

नई दिल्ली। पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने के संबंध में राज्यों के साथ कभी भी सहमति नहीं बनेगी, क्योंकि केंद्र और राज्य दोनों इस क्षेत्र पर राजस्व के लिए निर्भर हैं। यह बात इंडस्ट्रियल बॉडी एसोचैम ने कही है। आपको बता दें कि केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 19 दिंसबर को राज्यसभा में कहा था कि केंद्र सरकार पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने की पक्षधर है, लेकिन वो इस मसले पर कोई भी फैसला लेने से पहले राज्यों की सहमति चाहती है।

एसोसिएशन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) ने कहा कि ईंधन मूल्य श्रृंखला में समग्र दक्षता को प्रभावित करने के लिए पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाया जाना हमेंशा से वांछित रहा है। एसोचैम ने कहा, “हालांकि वास्तवित रूप से केंद्र और राज्य सरकारें दोनों राजस्व संग्रह के लिहाज से इस पर निर्भर हैं। सामूहिक रूप से वे पेट्रोल और डीजल पर 100 से 130 फीसद कर लगाते हैं। इसलिए ऐसे में जबकि यह वांछनीय है, केंद्र और राज्य सरकारों दोनों की ओर से इसका विरोध किए जाने की उम्मीद है। वे जो कुछ भी कह सकते हैं; आखिरकार, क्या वे राजस्व का त्याग करने के लिए तैयार हैं?, अगर हां तो उनके पास रेवेन्यू जुटाने का क्या वैकल्पिक रास्ता होगा।”

एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने कहा कि जीएसटी में अधिकतम दर 28 फीसद की है अगर ऐसे में कुछ सेस की अनुमति दी जाती है तो यह 50 फीसद तक जा सकता है। ऐसी सूरत में भी ग्राहकों को फायदा होगा, लेकिन मुद्दा यह है कि सरकार इसके लिए आसानी से तैयार नहीं होगी।

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