लखनऊ। बिजली दरों में भारी बढ़ोतरी किए जाने को लेकर दायर पुनर्विचार याचिका पर उप्र विद्युत नियामक आयोग ने पावर कारपोरेशन से जवाब तलब किया है। आयोग के निदेशक टैरिफ डॉ.अमित भार्गव ने कारपोरेशन से उन 11 बिंदुओं पर यथाशीघ्र बिंदुवार रिपोर्ट रिपोर्ट देने को कहा है, जो पुनर्र्विचार याचिका में महंगी बिजली को लेकर उठाए गए हैैं।
पावर कारपोरेशन के दबाव में विद्युत नियामक आयोग द्वारा अनमीटर्ड ग्रामीण विद्युत उपभोक्ताओं की दरों में 67 से 150 फीसद, किसानों की दरों में 50 फीसद और आम घरेलू उपभोक्ताओं की दरों में 12 से 15 फीसद वृद्धि की घोषणा किए जाने के बाद उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी। एक दिसंबर को विद्युत अधिनियम-2003 की धारा 94 (एफ) के तहत पुनर्विचार प्रत्यावेदन संबंधी लोकमहत्व विषयक याचिका पर नियामक आयोग के अध्यक्ष एसके अग्रवाल ने परीक्षण का आदेश दिया था। इसके बाद आयोग अध्यक्ष विदेश रवाना हो गए थे। उनकी वापसी के बाद उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने सोमवार को यह मामला फिर उनके सामने रखा।
बिजली अभियंताओं ने दी आंदोलन की चेतावनी
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने पावर कारपोरेशन प्रबंधन पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए 19 दिसंबर तक द्विपक्षीय वार्ता के जरिये समस्याओं का समाधान न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया कि अगस्त व सितंबर में कारपोरेशन द्वारा आश्वासन दिए जाने के तीन महीने बीतने पर भी समाधान की ओर कोई कदम न उठाए जाने से कर्मचारियों व अभियंताओं में रोष है। बिजली कर्मचारियों की मुख्य मांगें पेंशनधारकों के लिए सातवां पेंशन पुनरीक्षण करने, कर्मचारियों व अभियंताओं की वेतन विसंगतियों का निराकरण करने, सभी ऊर्जा निगमों का एकीकरण करने, वर्ष 2000 के बाद नियुक्त सभी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन नीति लागू करने और संविदाकर्मियों को सीधे विभाग द्वारा भुगतान कराने की है।
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