पंचायत ने किया विरोध तो हरियाणा के गांवों में नहीं बिकेगी शराब

चंडीगढ़ । हरियाणा में करीब दो दशक पहले हुई शराबबंदी के बाद सरकार एक बार फिर नया प्रयोग करने की तैयारी में है। इस बार सरकार गांवों में शराब की बिक्री नहीं करेगी। यदि ग्राम पंचायत लिखित में सरकार से अपने यहां शराब ठेका नहीं खोलने का आग्रह करेगी, वहां शराब ठेके अलाट नहीं किए जाएंगे। सरकार के इस निर्णय से राजस्व का बड़ा नुकसान होने की आशंका है।

बंसीलाल की शराबबंदी के 20 साल बाद सरकार का अहम फैसला

इसके साथ ही शराब के रेट बढ़ने के पूरे आसार हैैं। उल्लेखनीय है कि हरियाणा सरकार राष्ट्रीय व स्टेट हाइवे से 500 मीटर की दूरी तक शराब ठेका नहीं खोलने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी अनुपालन कर रही है। गांवों में शराब की बिक्री रोकने संबंधी निर्णय एक अप्रैल 2018 से लागू होगा। वर्ष 2017-18 के लिए अप्रूव शराब ठेके 31 मार्च 2018 तक चलेंगे।

प्रदेश में करीब 6800 गांव हैैं, जिनकी छह हजार ग्राम पंचायतें काम करती हैैं। हर साल मार्च में नए वित्तीय वर्ष के लिए शराब ठेकों की नीलामी होती है। राज्य में यह काम पिछले कई सालों से ऑनलाइन हो रहा है। शराब ठेकों के आवंटन की प्रक्रिया के बाद हर साल ग्राम पंचायतें और महिलाएं अपने यहां शराब ठेके खोलने का विरोध करती हैैं। लिहाजा सरकार ने वर्ष 2018-19 की आबकारी पालिसी जारी करने से पहले ही उन ग्राम पंचायतों से आवेदन मांग लिए हैैं, जो अपने यहां शराब ठेका नहीं खुलने देना चाहती हैैं।

इन पंचायतों को 31 दिसंबर 2017 तक आबकारी एवं कराधान विभाग के पास ठेका नहीं खोलने का आवेदन करना होगा। यह आवेदन जिला स्तर पर किए जाएंगे, जो पूरे प्रदेश से मुख्यालय तक पहुंचेंगे। इसके बाद किसी आवेदन पर विचार नहीं होगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बिहार के पटना में प्रवासी हरियाणा सम्मेलन के दौरान ऐसी सभी पंचायतों के आवेदनों पर गंभीरता से गौर करने की घोषणा की है, जो लिखित में अपने यहां शराब ठेका नहीं खोलने का आग्रह करेंगी।

शराबबंदी में बंसीलाल के साथ साझीदार रह चुकी भाजपा

भाजपा हरियाणा में बंसीलाल सरकार में साझीदार रह चुकी है। 1996 से 1999 के बीच बंसीलाल ने दो साल तक शराबबंदी का फैसला लागू किया, लेकिन बाद में उन्हें वापस लेना पड़ा। इसके बाद भाजपा ने बंसीलाल का साथ छोड़कर ओमप्रकाश चौटाला का हाथ पकड़ लिया था।

2016 में पांच और 2017 में 185 पंचायतों में नहीं खुले ठेके

हरियाणा में पिछले साल 2017 में 185 ग्राम पंचायतों ने अपने यहां शराब ठेके नहीं खोलने का आवेदन किया था। इन सभी आवेदनों को स्वीकार कर लिया गया था। वर्ष 2016 में तो मात्र पांच ग्राम पंचायतों में शराब के ठेके नहीं खुल पाए थे।

दाम बढ़ाने के अलावा नहीं दूसरा कोई रास्ता

वर्ष 2018-19 में पंचायतों द्वारा अपने यहां शराब ठेके नहीं खोलने का अनुरोध करने के सैकड़ों आवेदन आने के आसार हैैं। इसलिए राजस्व में कमी होगी, जिसकी भरपाई के लिए सरकार को दूसरी मदों में रेट बढ़ाने पड़ सकते हैैं। वर्ष 2016 में 4900 करोड़ और वर्ष 2017 में 5500 करोड़ रुपये का राजस्व जुटाने का लक्ष्य तय किया गया था। पिछले साल देसी, अंग्रेजी, विदेशी और बीयर के दामों में 12 से 15 फीसद की बढ़ोतरी हुई। आबकारी शुल्क में आठ फीसद और वैट में पांच रुपये प्रूफ लीटर से 150 रुपये प्रूफ लीटर तक की बढ़ोतरी की गई थी।

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” पंचायत लिखकर दे दे, हम उस गांव में कोई शराब ठेका नीलामी नहीं कराएंगे। यह हमने तय कर लिया है। कोई रिव्यू भी नहीं होगा। हर मार्च में नए ठेके खुलते हैैं। उनकी बोली होती है। 1 अप्रैल से नई अवधि शुरू होती है। दिसंबर तक जो लिखकर दे देगा, हम मार्च में वहां नया ठेका नहीं खोलेंगे।

– मनोहर लाल, मुख्यमंत्री, हरियाणा।

News Source: jagran.com

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