वाराणसी। छात्राओं पर लाठीचार्ज के बाद हुए बवाल से दबाव में आकर लंबी छुट्टी पर गए काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जीसी त्रिपाठी रविवार को अचानक परिसर पहुंचे। विरोध की आशंका के बावजूद वे लाव-लश्कर के साथ अपने अभिनंदन समारोह में शामिल हुए। आलम यह था कि आयोजन स्थल केएन उडप्पा सभागार छात्रों, शिक्षकों, कर्मचारियों व अफसरों से खचाखच भरा था और बाहर दर्जनभर छात्र-छात्राएं विरोध-प्रदर्शन और नारेबाजी करते रहे। इस दौरान सुरक्षाकर्मियों से धक्का-मुक्की भी हुई।
छात्र-छात्राओं ने आयोजकों पर छात्राओं पर लाठीचार्ज कराने वालों को सम्मानित करने का आरोप लगाया। वहीं कार्यक्रम के समापन के बाद छात्रों का एक गुट प्रो. त्रिपाठी के पक्ष में नारेबाजी करने लगा। इससे मारपीट और टकराव की स्थिति पैदा हो गई। हालांकि पुलिस के हस्तक्षेप से बड़ा बवाल होने से बचा गया। इसको लेकर विश्वविद्यालय परिसर का माहौल काफी गर्म रहा।
समर्थकों की फौज लाए कुलपति: प्रो. जीसी त्रिपाठी शाम करीब तीन बजे कुलपति आवास पहुंचे। उनके साथ इलाहाबाद के नंबर की कई गाड़ियों में काफी लोग भर कर आए थे। विरोध का सामना न करना पड़े इसके लिए प्रो. त्रिपाठी मुख्य द्वार से नहीं बल्कि पीछे के गेट से आए। उनका विदाई समारोह शाम के पांच बजे आयोजित था, जिसके लिए पहले ही छात्र-छात्राओं ने विरोध-प्रदर्शन करने की रणनीति बना ली थी।
यह था मामला: 21 सितंबर की शाम को दृश्यकला संकाय की छात्रा से छेड़खानी के विरोध में 22 सितंबर की सुबह विश्वविद्यालय की हजारों छात्राएं सिंहद्वार पर धरने पर बैठ गईं थीं। उसी दिन पीएम नरेंद्र मोदी का भी शहर में कार्यक्रम था। धरना लगातार करीब 40 घंटे तक चला। 23 सितंबर की रात को छात्राओं पर कुलपति आवास और महिला महाविद्यालय में लाठियां बरसाई गई। इसके विरोध में आगजनी और बवाल हुआ। इस मामले पूरे देश को झकझोर दिया। पीएम, सीएम ने खुद संज्ञान लिया और प्रो. जीसी त्रिपाठी को लंबी छुट्टी पर जाना पड़ा।
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