लखनऊ। अपने वाहन की इंश्योरेंस पालिसी कराने के दौरान आप पूरी सावधानी बरतें। खासकर थर्ड पार्टी इंश्योरेंस कराने के दौरान संबंधित कंपनी व एजेंट के बारे में पूरी जानकारी जरूर कर लें। लखनऊ में मंगलवार को फर्जी इंश्योरेंस कंपनी संचालित करने के आरोप में पकड़े गए जितेंद्र प्रताप सिंह ने कई सनसनीखेज राज उगले हैं। दो अन्य फर्जी इंश्योरेंस कंपनी संचालित होने की बात प्रकाश में आई है। इनमें एक लखनऊ में ही संचालित हो रही है। एक कंपनी में तो जितेंद्र पूर्व में काम भी कर चुका है। इन जानकारियों के आधार पर एसटीएफ ने अपनी पड़ताल और तेज कर दी है। एसटीएफ को अनुमान है कि जितेंद्र ने अपने एजेंटों की मदद से दो लाख से अधिक जाली पालिसी लोगों को बेची हैं। फर्जी पालिसी के बाबत कई अन्य लोगों ने भी एसटीएफ से शिकायत की है।
एसटीएफ अब जितेंद्र के 80 एजेंटों की भी तलाश कर रही है। आरोपित मूलरूप से बहराइच के ग्राम भकला निवासी जितेंद्र सिंह अपने कई एजेंटों को भी धोखे में रख रखा था। उसके पास जाली ब्रोकर के दस्तावेज भी मिले हैं। कई एजेंट उसे बड़ा ब्रोकर मानकर ही उससे जुड़े थे। वर्ष 2014 से आइमैक्स इंश्योरेंस कंपनी संचालित कर रहे जितेंद्र सिंह के कुछ अन्य साथियों की तलाश की जा रही है।
एसटीएफ को कुछ अन्य निजी व सरकारी इंश्योरेंस कंपनी के नाम पर भी जाली थर्ड पार्टी इंश्योरेंस किए जाने की सूचनाएं मिली हैं। एसटीएफ के एएसपी डॉ.अरविंद चतुर्वेदी के मुताबिक गिरोह के बारे में कई बिंदुओं पर गहनता से छानबीन कराई जा रही है। मामले में जल्द कुछ अन्य आरोपितों को गिरफ्तार किया जाएगा। कुछ अन्य गिरोह भी सक्रिय हैं, जिनके बारे में गहनता से पड़ताल की जा रही है।
ठगी की रकम से खरीदी लाखों की जमीन
आरोपित जितेंद्र सिंह ने ठगी की रकम से लखनऊ में एक कीमती जमीन भी खरीद रखी है। एसटीएफ इस जमीन समेत जितेंद्र की अन्य संपत्तियों के बारे में छानबीन कर रही है। बताया गया कि उसने कंपनी संचालन बंद करने का इरादा बना लिया था और इसके चलते ही उसने बहराइच में ई-रिक्शा एजेंसी में बड़ा निवेश किया था। एसटीएफ उसे पुलिस कस्टडी रिमांड पर भी लेने की तैयारी कर रही है। हालांकि इससे पूर्व कुछ खास बिंदुओं पर छानबीन की जा रही है। एसटीएफ अधिकारियों को आशंका है कि पिछले करीब तीन साल में जितेंद्र ने करोड़ों रुपये की ठगी की है।
लखनऊ का ही सॉफ्टवेयर डेवलपर
आरोपित जितेंद्र ने जिस सॉफ्टवेयर डेवलपर की मदद से अपनी वेबासाइट व एजेंटों के लिए खास सॉफ्टवेयर डेवलप कराया था, वह लखनऊ का ही निवासी है। एसटीएफ उसकी भी सरगर्मी से तलाश कर रही है। बताया गया कि उसके द्वारा दो-तीन अन्य लोगों के लिए ऐसा ही सॉफ्टवेयर डेवलप करने की बात भी सामने आई है।
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