भारत के GSLV मार्क-III-D1 रॉकेट का श्रीहरिकोटा से सफल प्रक्षेपण किया गया.
इससे ये साफ़ हो गया है कि निकट भविष्य में भारत अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने में सक्षम होगा.
‘GSLV मार्क-III-D1’, 4000 किलोग्राम तक के पेलोड को लेकर जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (भूतुल्यकालिक अंतरण कक्षा) तक ले जाने और 10 हजार किलो तक के ‘पेलोड’ को पृथ्वी की निचली कक्षा में पहुंचाने की ताक़त रखता है.
इसलिए क्योंकि यही रॉकेट भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर जाएगा. भारत के भविष्य के अंतरिक्ष यात्री को ‘गैगानॉट्स या व्योमैनॉट्स’ का नाम भी दिया गया है.
भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों स्पेस में भेजने के कार्यक्रम के लिए इसरो ने भारत सरकार से 15000 करोड़ रुपये के आवंटन की मांग की है
इस रॉकेट की लंबाई 140 फ़ीट है और वज़न 200 हाथियों जितना. यानी 640 टन. इसी लिए इसे ‘दानवाकार रॉकेट’ की संज्ञा दी गई है.
भारत को अभी तक 2300 किलोग्राम से ज़्यादा के वजन वाले संचार उपग्रहों के प्रक्षेपण लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ता था.
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