आप अपनी चारों उंगलियों को मोड़ लें और अंगूठे को बाहर निकालें तो वह अंगे्रजी वर्णमाला का ए होगा। हथेली को खोल केवल अंगूठा को मोड़ लें तो वह बी कहलाएगा। इसी तरह इशारों ही इशारों में आप सांकेतिक भाषा की मदद से अपनी बातों को अपनों तक आसानी से पहुंचा सकते हैं। नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) ने स्कूल एजुकेशन को समावेशी बनाने के लिए उच्च प्राथमिक स्तर के दृष्टिहीन, मूक बधिर व अन्य तरह के दिव्यांग बच्चों के लिए हिन्दी के साथ-साथ ब्रेल लिपि में ऐसी किताबें प्रकाशित की हैं। इस पुस्तक का अंगे्रजी संस्करण एनसीईआरटी द्वारा वर्ष 2015 में प्रकाशित किया गया था। तबसे इस पुस्तक को विभिन्न राज्यों में उच्च प्राथमिक स्तर पर नियमित स्कूलों के शिक्षक-प्रशिक्षण के लिए व्यापक रूप से उपयोग में लिया जा रहा है। इस किताब का डिजिटल फॉर्मेट भी एनसीईआरटी की वेबसाइट पर उपलब्ध है। आप इसे मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं। इन किताबों का बार कोड युक्त एक कार्ड भी बनाया गया है, जिसे अपने मोबाइल फोन में भी डाउनलोड किया जा सकता है। इसमें नेत्रहीनों के लिए ब्रेल लिपि और मूक बधिर बच्चों के लिए सांकेतिक भाषा में बुक्स लाई गई है।
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नि:शक्त और सामान्य बच्चे एक साथ पढ़ सकेंगे पुस्तकें
नि:शक्त बच्चों के लिए अलग स्कूल या अलग किताबें होती थी, लेकिन इस अलगाव से उनका सामान्य बच्चों के साथ मेलजोल नहीं हो पाता था। अब नि:शक्त और सामान्य बच्चे एक साथ ही ये पुस्तकें पढ़ सकेंगे, जिससे भेदभाव दूर हो सकेगा और सामान्य बच्चे उनके साथ संवेदनशील हो सकेंगे। इस किताब को लाने का मुख्य उद्देश्य नि:शक्त एवं सामान्य बच्चों में समानता लाना है, ताकि दोनों तरह के बच्चे सामान्य स्पर्धा में भाग ले सकें। जानकारों के मुताबिक इस पुस्तक को तैयार करते समय 200 से अधिक शिक्षकों से परामर्श लिया गया था, जिसमें विशेष शिक्षक, विवि और गैर-सरकारी व सरकारी संस्थाओं के 500से अधिक विशेषज्ञ शमिल हैं। यह पुस्तक कक्षा में सभी स्तरों पर संसाधनों को एकीकृत करने के लिए प्रयोग में लाई जाएगी।
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