सीबीएसई पर नेट, सीटीईटी समेत छह महत्वपूर्ण परीक्षाएं लेने का दायित्व है। इन परीक्षाओं से करोड़ों स्टूडेंट जुड़े होते हें। इस कारण सीबीएसई पर भार बढ़ गया है। सूत्रों की माने तो ऐसी स्थिति में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी का प्रारूप तैयार किया जा सकता है। एजेंसी उच्च शिक्षण संस्थाओं के लिए प्रवेश परीक्षा लेने वाला प्रमुख स्वायत्त, आत्मनिर्भर निकाय होगा। इससे सीबीसएई, एआईसीटीई जैसे संस्थाओं को अकादमिक कार्यों पर अधिक ध्यान देने का अवसर मिलेगा। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक सीबीएसई के पास बहुत काम है, पिछली दो बार से सीबीएसई नेट जैसी कुछ अन्य परीक्षा करवाने का मना कर रही है। यदि दूसरी एजेंसी उस पर फोकस किया जाता है तो उससे सीबीएसई को राहत मिलेगी। इससे पारदर्शित बढ़ेगी, फोकस बढ़ेगा और निखार भी आएगा। लेकिन व्यापमं जैसा उदाहरण सामने है इसलिए इस दिशा में देखकर कदम बढ़ाना होगा।
दो बार नेट के लिए कर चुके हैं मना
सीबीएसई पर नेट, सीटीईटी समेत अनेक प्रवेश परीक्षा लेने के भार को देखते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय नेशनल टेस्टिंग एजेंसी का गठन करेगी और जल्द ही इसके मसौदे को मंजूरी के लिए कैबिनेट के समक्ष भेजा जाएगा।
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सीबीएसई ने कुछ समय पहले केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा था कि वे नेट व उसके दायरे से बाहर विभिन्न निकायों के लिए परीक्षाएं आयोजित करने के लिए कहने के चलन से अत्यधिक बोझ पड़ता है। नेट परीक्षा को लेकर दो बार सीबीएसई पत्र के माध्यम से इंकार कर चुका हैं। बोर्ड ने मंत्रालय से कहा था कि शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए सीबीएसई को मुख्य क्षेत्रों पर ध्यान देना चाहिए। सीबीएसई ने हालांकि परीक्षा के लिए सभी तरह का तकनीकी सहयोग प्रदान करने में सहयोग देने की बात कही थी।
जब सभी परीक्षाएं साल में एक बार तो फिर दूसरी परीक्षा दो बार क्यों
मौजूदा समय में सीटीईटी और नेट परीक्षा साल में दो बार आयोजित होती है। इसमें कई लाख स्टूडेंट बैठते हैं। जानकारों का कहना हैं जब देशभर की सभी बड़ी परीक्षाएं साल में सिर्फ एक बार ही आयोजित की जाती है तो सीटीईटी और नेट परीक्षा दो बार आयोजित करने का क्या औचित्य है। परीक्षा आयोजित करना एक लंबी प्रक्रिया होती है, जिसके लिए बहुत बड़े स्तर पर संसाधनों की जरुरत पड़ती है और साल खराब होने का डर न होने की वजह से स्टूडेंट भी परीक्षा को उतनी गंभीरता से नहीं लेते हैं।
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