हाई कोर्ट के आदेश के बाद एेतिहासिक थेहड़ में बुलडोजर से तोड़ा जा रहा निर्माण

सिरसा। एेतिहासिक थेहड़ से लोगों को हाउसिंग बोर्ड में शिफ्ट कर दिया गया है। रविवार से यहां खाली मकानों को बुलडोजरों से तोड़ने का काम शुरू हुआ। यह काम सोमवार को भी जारी रहा। हालांकि इस दौरान प्रशासन को लोगों के जमकर विरोध का सामना भी करना पड़ा।

बता दें, हाई कोर्ट ने 31 अक्टूबर तक थेहड़ का एक हिस्सा खाली करवाने का आदेश दिया है। पुरातत्व विभाग के महानिदेशक डा. प्रवीण कुमार लोगों को समझाने में लगे रहे। समझाने के बाद तो लोगों ने खुद ही मकान तोड़ना शुरू कर दिया। पहले दिन करीब दस मकानों को ढहाया गया है।

मकानों की ईंट तक खरीदने के लिए की बातचीत

महानिदेशक डा. प्रवीण कुमार ने थेहड़वासियों द्वारा उनके मकान तोड़ने के बाद बची हुई पुरानी ईंट भी वहां से ले जाने के लिए कहा गया। बाद में उन्होंने लोगों से कहा कि प्रशासन उनकी ईंट खरीद लेगा। इससे उन्हें ले जाने में आने वाली दिक्कतें नहीं आएगी। इसके लिए उन्होंने पुरातत्व विभाग के मुख्यालय स्थित अधिकारियों से बातचीत की। महानिदेशक के कहने पर मामला केंद्र सरकार के अधिकारियों से चर्चा करने के लिए भेजा गया।

पहले प्लॉट देने की बात पर हंगामा करते रहे लोग

दोपहर करीब डेढ़ बजे थेहड़ के निचले हिस्से पर एक परिवार द्वारा खुद ही चारदीवारी तोड़ने के बाद हंगामा मच गया। दूसरे लोगों ने विरोध करते हुए मकान नहीं तोड़ने की बात कहकर गुस्सा जताना शुरु कर दिया। सूचना पाकर महानिदेशक भी उनके बीच पहुंचे और करीब एक घंटे तक उन्हें समझाते रहे। महिलाएं उनके आगे रोने लगी तो पुरुष प्लाट मिलने का सुबूत दिखाने पर अड़े रहे। महानिदेशक ने शपथ-पत्र पर खुद के अलावा पटवारी और तहसीलदार के भी हस्ताक्षर करवाने का आश्वासन दिया। तब लोग कुछ शांत हुए।

कभी लोहे का दुर्ग था थेहड़

थेहड़ ग्यारहवीं शताब्दी तक लोहे का एक दुर्ग था। दसवीं इसवी से पहले किसी राजा ने दिल्ली की तरफ से आक्रमण रोकने के लिए हनुमानगढ़, सिरसा, बठिंडा और हांसी में विशाल किलों का निर्माण करवाया था। कहा जाता है कि सिरसा शहर सरस्वती नदी के किनारे बसा था और नदी के स्थान बदलने व कोई बड़ा तूफान आने से यह किला 1173 ईसवी में जीर्ण-शीर्ण हो गया। बरसात के समय इस इलाके से अनेक प्रकार के अवशेष निकलते हैं। यहां से मुगलकालीन के अलावा बौद्धकालीन वस्तुएं भी मिलती रही हैं।

News Source: jagran.com

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