‘‘तीर्थांजलि एकेडमी में स्वशिक्षण कार्यक्रम’’
इन्दौर। तीन वर्ष के आरव ने जैसे ही अपने माता-पिता के साथ कक्षा में प्रवेश किया, उसने अपनी नन्हीं बाँहे, हवाई जहाज़ के पंखों की तरह फैलाकर, अति आनंद के साथ पूरे कमरे का चक्कर लगाते हुए अपनी उपस्थिति दर्ज़ करा दी और एयर प्लेन के उस माॅडल की ओर संकेत किया जो कक्षा में पढ़ाए गए ‘ट्रांसपोर्ट’ कंसेप्ट के दौरान अपने नन्हें दोस्तों के साथ मिलकर उसने बनाया था। उसी वक्त चार वर्षीया प्यारी सी बच्ची भी अपने माँ और पापा के साथ कक्षा मंे प्रवेश करते ही वाइल्ड लाइफ़ सेंचुरी के उस जीव माॅडल की ओर संकेत करती है जो अब लुप्त हो चुका है। जी हाँ बच्ची ने संकेत किया डाइनोसोर की ओर, साथ ही अन्य ऐसे उन जीव माॅडलों की ओर जो अब लुप्त होने की कगार पर है। ज्ञान-विज्ञान और जागृति के इस खूबसूरत समन्वय का दृश्य तीर्थांजलि एकेडमी प्ले स्कूल का।
तीर्थांजलि एकेडमी प्ले स्कूल में प्रथम सत्र (अप्रैल-अक्टूबर) के शिक्षण प्रयासों को शिक्षार्थी एक अद्भुत रूप में अभिभावकों के सम्मुख प्रस्तुत करने में सफल हुए। बच्चों के वर्षभर के लर्निग आउटकम को विषयानुसार प्रदर्शनी के रूप में प्रत्येक कक्षा में सजाया गया। अभिभावक अपने बच्चों का व्यक्तिगत पोर्टफोलियो देखकर दंग रह गए। इतना ही नहीं बच्चों द्वारा बनाए गए प्रोजेक्ट, माॅडल, डिस्प्लेबोर्ड, साफ्टबोर्ड एवं सृजनात्मक गतिविधियाँ आदि सभी चीजों ने अभिभावकों को आकर्षित किया।
अभिभावकों के कक्षा में पहँचते ही बच्चे अपनी पूरी ऊर्जा एवं उत्साह के साथ उन्हें विभिन्न विषयों की शैक्षिक गतिविधियों के बारे में जैसे – उन्होंने मैथ्स में शेप्स एवं पेटर्न, इंग्लिश में पोमस एवं न्यू वडर््स, एनवायरमेंट स्टेडी में रिसाइकिलिंग, वाइल्ड लाइफ आदि सभी के बारे में मौखिक अभिव्यक्ति द्वारा बताने व समझाने लगे।
प्ले स्कूल की प्रधानाध्यापिका श्रीमती परवनी डाॅवर ने बताया कि बच्चे सेल्फ एसेसमेंट एवं प्रजेंटेशन स्किल से अपने भावी जीवन में प्रगति कर पाएँगे और उनमें यह स्किल्स डव्हलप करने के लिए प्ले स्कूल में स्टूडेंट लेड काॅन्फ्रेंस आॅर्गेनाइज़ की है।
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