प्रधानमंत्री मोदी का पत्र चीनी विद्वान प्रो. वांग झिचेंग को समर्पित — भारतीय संस्कृति और योग को समर्पित कार्यों का सम्मान
यह सम्मान समारोह झेजियांग विश्वविद्यालय, हांगझोऊ परिसर में आयोजित हुआ, जो भारत-चीन राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पत्र में प्रो. वांग की निष्ठा की सराहना करते हुए लिखा कि “योग और वेदांत के माध्यम से भारतीय दार्शनिक विचारधारा को गहराई से समझाने में आपका योगदान उल्लेखनीय है।”
प्रो. वांग झिचेंग, योग पुस्तक श्रृंखला “योगा लाइब्रेरी” के मुख्य संपादक हैं और उन्होंने भगवद गीता और पतंजलि के योग सूत्रों जैसे प्रमुख ग्रंथों का अनुवाद किया है। उन्होंने अब तक 100 से अधिक वर्चुअल व्याख्यान दिए हैं, जो चीन में युवाओं और शिक्षाविदों के बीच व्यापक रूप से सराहे गए हैं। उल्लेखनीय है कि 2016 में प्रधानमंत्री मोदी के हांगझोऊ दौरे के दौरान जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रो. वांग ने उन्हें अपनी अनूदित भगवद गीता की प्रति भेंट की थी।
आज प्रो. वांग की कोशिशों से योग चीन में एक जनांदोलन का रूप ले चुका है। हांगझोऊ, वूयी, जियाशिंग जैसे शहरों में योग शिविरों और आयोजनों की बढ़ती संख्या यह दर्शाती है कि योग अब केवल एक शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि जीवनशैली का अभिन्न अंग बन गया है—जो पारंपरिक चीनी कलाओं जैसे ताई ची के साथ सहज रूप से समन्वित है।
समारोह में बोलते हुए महावाणिज्यदूत प्रतीक माथुर ने कहा,
“प्रोफेसर वांग की अथक मेहनत ने योग को सांस्कृतिक कूटनीति का सेतु बना दिया है। उनके प्रयास भारत और चीन के साझा सांस्कृतिक मूल्यों को एकजुट करने वाले हैं।”
इस अवसर पर भारत के महावाणिज्य दूतावास ने जून 2025 में प्रस्तावित 10वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के आयोजन की भी जानकारी दी, जो दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संवाद को और प्रगाढ़ करेगा।
प्रो. वांग की निरंतर साधना और भारतीय दर्शन के प्रति समर्पण इस बात का प्रमाण है कि संस्कृति की शक्ति सीमाओं से परे जाकर दिलों को जोड़ सकती है।
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