मुर्शिदाबाद में हिन्दुओं पर कहर: इस्लामी भीड़ का तांडव, गंगा पार कर भाग रहे पीड़ित, शमशेरगंज और कालियाचक में हत्याओं की पुष्टि

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मुर्शिदाबाद, पश्चिम बंगाल।
राज्य के मुर्शिदाबाद जिले में इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा फैलाई गई हिंसा ने भयावह रूप ले लिया है। धूलियान इलाके से आ रही खबरें दिल दहला देने वाली हैं। हिन्दू समुदाय पर सुनियोजित तरीके से हमला किया जा रहा है। कट्टरपंथी भीड़ ने हिन्दुओं की दुकानों, घरों और संपत्तियों को चुन-चुनकर निशाना बनाया है। शमशेरगंज में कई हिन्दुओं की हत्या कर दी गई है और दर्जनों लापता हैं।

घटना की भयावहता का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि अब तक लगभग 500 हिन्दू गंगा नदी पार कर मालदा जिले के बैष्णबनगर में शरण ले चुके हैं। पीड़ितों ने बताया कि इस्लामी हिंसक भीड़ ने ट्यूबवेल और कुओं तक में ज़हर मिला दिया है, जिससे पीने का पानी भी जानलेवा बन गया है। महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार की खबरें सामने आ रही हैं और स्थानीय प्रशासन पूरी तरह नाकाम नजर आ रहा है।

धूलियान और शमशेरगंज में पेट्रोल बमों और देसी हथियारों से लैस कट्टरपंथियों ने न सिर्फ BSF पर हमला किया बल्कि हिन्दुओं को पकड़-पकड़ कर पीटा गया। BSF के अनुसार, उनके जवानों पर भी पेट्रोल बम और पत्थर फेंके गए। DIG स्तर के अधिकारी ने बताया कि यह हमला सुनियोजित था और इसमें वही लोग शामिल थे जिन्होंने पहले भी हिंसा की शुरुआत की थी।

विशेष रूप से कालियाचक के इलाके से खौफनाक रिपोर्ट सामने आ रही है। यहाँ हिन्दुओं को उनके घरों से खींच कर ले जाया जा रहा है और फिर मार दिया जा रहा है। कई शव गंगा किनारे बरामद हुए हैं, जिन्हें पुलिस अब तक “लापता” मान रही थी। लेकिन स्थानीय लोगों ने पुष्टि की है कि वे सभी हिन्दू समुदाय से थे।

इस हिंसा की आड़ में बांग्लादेशी घुसपैठियों की संलिप्तता भी सामने आ रही है। खुद TMC नेता कुणाल घोष ने स्वीकार किया है कि यह हिंसा बाहरी लोगों द्वारा फैलाई गई है। हालाँकि, उन्होंने इसे BSF की मिलीभगत बताकर राजनीतिक मोड़ देने की कोशिश की है, जो गंभीर चिंता का विषय है।

11 अप्रैल को वक्फ कानून के विरोध के नाम पर शुरू हुई यह हिंसा अब खुलेआम हिन्दू विरोधी नरसंहार में बदल चुकी है। कोलकाता हाई कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया है, परंतु ज़मीन पर हालात अभी भी भयावह हैं।

मालदा में शरण लिए हुए पीड़ितों ने बताया कि शुक्रवार को जब नमाज़ के बाद भीड़ निकली, तब उन्होंने “हिन्दू लोग हैं, मारो-पीटो जो भी करो” जैसे नारे लगाते हुए हमला शुरू किया। कुछ पीड़ितों ने यह भी कहा कि हर शुक्रवार को ऐसे हमले होते हैं, लेकिन इस बार बर्बरता की सारी हदें पार कर दी गईं।

यह कोई सांप्रदायिक झड़प नहीं, यह एकतरफा आतंक है – और पीड़ित हैं सिर्फ हिन्दू।
अब सवाल यह है कि क्या केंद्र सरकार इस मामले में सख्ती दिखाएगी, या बंगाल के हिन्दुओं को अपनी जान बचाने के लिए हर शुक्रवार गंगा पार भागना पड़ेगा?

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