1987 बैच के ओडिशा कैडर के IAS अधिकारी तुहिन कांत पांडे का वित्तीय प्रशासन और नीति निर्माण में व्यापक अनुभव है। वे भारत के वित्तीय बाजारों को मजबूत और पारदर्शी बनाने की दिशा में अहम सुधार लागू करने के लिए जाने जाते हैं। ऐसे समय में जब भारत की वित्तीय प्रणाली तेज़ी से विकसित हो रही है, उनकी यह नियुक्ति महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
एक उत्कृष्ट प्रशासनिक करियर
तूहिन कांत पांडे ने सार्वजनिक प्रशासन में तीन दशकों से अधिक का अनुभव हासिल किया है। SEBI प्रमुख बनने से पहले, वे वित्त मंत्रालय के तहत निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) के सचिव के रूप में कार्यरत थे। इस भूमिका में उन्होंने भारत सरकार की विनिवेश रणनीति को प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाया।
उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में शामिल हैं:
- एयर इंडिया का रणनीतिक विनिवेश, जो दशकों से घाटे में चल रही इस सरकारी एयरलाइन को निजी हाथों में सौंपने की ऐतिहासिक प्रक्रिया थी।
- LIC का रिकॉर्ड-ब्रेकिंग IPO, जो भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में सबसे बड़ी सार्वजनिक पेशकशों में से एक था।
- सरकारी संपत्तियों के मोनेटाइजेशन में पारदर्शिता और अधिकतम लाभ सुनिश्चित करना।
DIPAM में अपने कार्यकाल के दौरान, पांडे ने वित्तीय पारदर्शिता, कॉर्पोरेट गवर्नेंस और सरकारी संपत्तियों से अधिकतम लाभ निकालने पर जोर दिया।
SEBI प्रमुख के रूप में चुनौतियाँ और जिम्मेदारियाँ
पांडे SEBI के 11वें अध्यक्ष के रूप में माधबी पुरी बुच का स्थान लेंगे, जो SEBI की पहली महिला प्रमुख थीं। ऐसे समय में जब भारत का वित्तीय बाजार तेज़ी से विकसित हो रहा है, अधिक निवेशक भागीदारी देख रहा है और डिजिटल तकनीक का व्यापक उपयोग कर रहा है, पांडे के सामने कई अहम चुनौतियाँ होंगी।
पांडे की प्राथमिकताएँ
- बाजार नियमन को मजबूत बनाना: निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना, बाजार में अस्थिरता को कम करना और पारदर्शिता बढ़ाना।
- वित्तीय धोखाधड़ी और इनसाइडर ट्रेडिंग पर लगाम लगाना: अनियमितताओं पर कड़ी नजर रखने के लिए सख्त निगरानी तंत्र लागू करना।
- डिजिटल अवसंरचना को बढ़ावा देना: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और डिजिटल तकनीकों के माध्यम से नियामक ढांचे को अधिक प्रभावी बनाना।
- वैश्विक निवेश को आकर्षित करना: भारत को एक स्थिर और आकर्षक निवेश गंतव्य बनाना।
- स्टार्टअप और फिनटेक कंपनियों के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाना: पूंजी बाजार में नवाचार और नए उद्यमों को प्रोत्साहित करना।
भारतीय प्रतिभूति बाजार के लिए उनकी दृष्टि
SEBI अध्यक्ष पद ग्रहण करने के बाद, पांडे ने एक स्पष्ट संदेश दिया कि भारत के प्रतिभूति बाजार को और अधिक मजबूत, पारदर्शी और निवेशक-अनुकूल बनाया जाएगा।
उन्होंने कहा, “SEBI भारत के आर्थिक परिदृश्य को आकार देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मेरी प्राथमिकता एक सुव्यवस्थित, पारदर्शी और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बाजार को सुनिश्चित करना होगा।”
उनकी नीति निर्माण और वित्तीय प्रशासन में विशेषज्ञता से SEBI को निवेशक शिक्षा, कॉर्पोरेट गवर्नेंस और बाजार आधुनिकीकरण के क्षेत्र में नए सुधार लागू करने में मदद मिलेगी।
SEBI के लिए एक नए युग की शुरुआत
तूहिन कांत पांडे के नेतृत्व में, SEBI सुधारों और नियामक प्रगति के एक नए दौर में प्रवेश करेगा। बाजार विशेषज्ञ उनके नेतृत्व को लेकर आशावादी हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि उनकी नीतियाँ आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ निवेशकों के हितों की भी रक्षा करेंगी।
भारत अब एक वैश्विक वित्तीय केंद्र बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, और ऐसे में पांडे का नेतृत्व बाजार संरचना, तकनीकी नवाचार और वैश्विक आर्थिक परिवर्तनों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। आने वाले वर्षों में, उनका कार्यकाल भारतीय पूंजी बाजारों के लिए एक नई दिशा और स्थिरता प्रदान करने में निर्णायक साबित हो सकता है।