नई दिल्ली । दिल्ली-एनसीआर में जिस तेजी से प्रदूषण बढ़ रहा है, उससे वह दिन दूर नहीं जब हवा में खुलकर सांस लेना भी दूभर हो जाएगा। हर चेहरे पर मास्क या फिल्टर चढ़ा होगा। प्रदूषण बढ़ने के कारण विशेषज्ञ भी ऐसे उपकरणों की जरूरत महसूस करने लगे हैं। यही वजह है कि एम्स, स्टैनफोर्ड इंडिया बायो डिजाइन व आइआइटी दिल्ली के सहयोग से पांच युवा दोस्तों ने मिलकर छोटा नोज फिल्टर तैयार किया है, जिसे एयरलेस नाम दिया गया है। 15 रुपये का यह उपकरण बच्चों को प्रदूषण से बचाएगा।
यह बहुत ही छोटा डिवाइस है
मंगलवार को एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया, डीन डॉ. बलराम ऐरन व लघु उद्योग भारती के पूर्व अध्यक्ष ओम प्रकाश मित्तल ने इसे जारी किया। इसे 6 से 4 साल के बच्चों के लिए डिजाइन किया गया है। यह मास्क की तरह बड़ा नही है इसलिए मुंह ढकने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह बहुत ही छोटा डिवाइस है। उसके बीच में काले रंग का प्यूरीफायर लगा है, जो नाक में आसानी से लग जाता है। दूर से देखने पर किसी को पता भी चलता कि कोई फिल्टर लगाया गया है। इसे लगाने के बाद सांस लेने में परेशानी नहीं होती है।
महीने में 450-500 रुपये खर्च आएगा
इसे डॉ. शशि रंजन, देबायन शाह, योगेश अग्रवाल, डॉ. हर्ष व आकांक्षा ने मिलकर तैयार किया है। डॉ. शशि ने कहा कि स्टैनफोर्ड इंडिया बायो डिजाइन में शोध के दौरान एम्स के डॉक्टरों से यह उपकरण तैयार करने का सुझाव मिला था। बाद में आइआइटी दिल्ली से मिली सहायता राशि की मदद से इसे विकसित किया गया। यह लैब जांच में सफल साबित हुआ है। एक नोज फिल्टर का एक दिन ही इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे बच्चे पूरे दिन लगाकर रख सकते हैं। इस तरह महीने में 450-500 रुपये खर्च आएगा। बड़ों के लिए भी ऐसा उपकरण विकसित किया जा रहा है।
News Source: jagran.com
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