‘सिद्धारमैया को छूने की हिम्मत मत करना, राख हो जाओगे’ – कर्नाटक कांग्रेस में सत्ता संघर्ष के बीच मंत्री का बयान

कांग्रेस में सत्ता संघर्ष तेज़

यह बयान ऐसे समय आया है जब कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (KPCC) के अध्यक्ष पद पर बदलाव और सत्ता-साझाकरण को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ज़मीर अहमद खान की यह टिप्पणी सीधे तौर पर उपमुख्यमंत्री और केपीसीसी अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार पर निशाना थी, क्योंकि ज़मीर अहमद सिद्धारमैया के करीबी माने जाते हैं।

‘सिद्धारमैया को चुनौती देना नामुमकिन’

बुधवार को बल्लारी में पत्रकारों से बातचीत में मंत्री ज़मीर ने कहा,
“सीएम सिद्धारमैया आग की तरह हैं। अगर कोई उन्हें छूने की कोशिश करेगा, तो वह जलकर राख हो जाएगा।”

जब उनसे कांग्रेस में सत्ता-संघर्ष को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने इसे महज़ अटकलें बताते हुए कहा,
“डी.के. शिवकुमार केपीसीसी अध्यक्ष हैं और सिद्धारमैया मुख्यमंत्री हैं। कोई पद खाली नहीं है, इसलिए इस मुद्दे पर चर्चा की कोई ज़रूरत नहीं है।”

‘टगरू’ सिद्धारमैया को कोई चुनौती नहीं दे सकता

मंत्री ज़मीर ने आगे कहा कि सिद्धारमैया को हराने की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। उन्होंने कहा,
“सिद्धारमैया टगरू (एक मजबूत राम भेड़) की तरह हैं और कोई भी आग से खेलकर बच नहीं सकता।”

गौरतलब है कि सिद्धारमैया का संबंध चरवाहा समुदाय से है और उनके समर्थक उन्हें ‘टगरू’ कहकर संबोधित करते हैं।

शिवकुमार को हटाने की मुहिम

कर्नाटक कांग्रेस में डी.के. शिवकुमार को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने की मांग तेज हो गई है। कुछ मंत्री, जिनमें जी. परमेश्वर, के.एन. राजन्ना और सतीश जारकीहोली शामिल हैं, पार्टी हाईकमान से नए केपीसीसी अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए लॉबिंग कर रहे हैं।

सूत्रों के मुताबिक, शिवकुमार पर कुछ मंत्रियों को अपनी जातीय आधार पर बैठकों के आयोजन की अनुमति न देने का आरोप है

शिवकुमार भी हाईकमान के पास पहुँचे

वहीं, डी.के. शिवकुमार ने दिल्ली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की। उन्होंने अपने पद को बनाए रखने की पुरजोर वकालत की और सत्ता-साझाकरण के अपने पुराने दावे को फिर से दोहराया।

शिवकुमार का मानना है कि सरकार के आधे कार्यकाल के बाद उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए, जैसा कि पहले चर्चा हुई थी।

हाईकमान के फैसले पर टिकी निगाहें

कर्नाटक कांग्रेस में बढ़ती अंदरूनी कलह के बीच अब सबकी नजर कांग्रेस हाईकमान के अगले कदम पर है। यह फैसला राज्य की राजनीति की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएगा

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