संदिग्ध सिग्नलों की जांच में क्या सामने आया?
भारतीय खुफिया एजेंसियों और बीएसएफ (Border Security Force) को हाल ही में पश्चिम बंगाल, असम और त्रिपुरा से लगी भारत-बांग्लादेश सीमा के पास अज्ञात रेडियो तरंगों की मौजूदगी का पता चला। शुरुआती जांच में पाया गया कि ये सिग्नल संभावित अवैध गतिविधियों या चरमपंथी संगठनों की संचार प्रणाली से जुड़े हो सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार, इन रेडियो फ्रीक्वेंसी पर कोडेड संदेश भेजे और प्राप्त किए जा रहे थे। माना जा रहा है कि आतंकी संगठनों या सीमा पार अपराधियों द्वारा यह तकनीक सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी से बचने के लिए इस्तेमाल की जा रही है।
सुरक्षा एजेंसियों की प्रतिक्रिया
इस मामले को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (NIA), खुफिया ब्यूरो (IB) और बीएसएफ ने संयुक्त जांच शुरू कर दी है। संदिग्ध रेडियो सिग्नलों को ट्रैक करने और उनकी उत्पत्ति का पता लगाने के लिए विशेष निगरानी उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है।
बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,
“हम हर संभावित खतरे पर नज़र रख रहे हैं। अगर यह संचार किसी चरमपंथी संगठन से जुड़ा हुआ पाया जाता है, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। सीमा सुरक्षा को और मजबूत किया गया है और इलेक्ट्रॉनिक निगरानी बढ़ाई गई है।”
संभावित खतरे और पूर्व चेतावनी
भारत और बांग्लादेश के बीच 4,096 किमी लंबी सीमा है, जो कई स्थानों पर घने जंगलों और नदियों से होकर गुजरती है। यह इलाका गैर-कानूनी घुसपैठ, हथियारों की तस्करी और आतंकी गतिविधियों के लिए संवेदनशील माना जाता है।
हाल के वर्षों में, अलकायदा इन इंडियन सबकॉन्टिनेंट (AQIS) और जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB) जैसे संगठनों की भारत में गतिविधियों को लेकर पहले भी खुफिया अलर्ट जारी किए गए हैं। ऐसे में नई संचार गतिविधियों को लेकर सुरक्षा एजेंसियां किसी भी खतरे को हल्के में नहीं ले रही हैं।
बांग्लादेश सरकार से सहयोग की कोशिश
भारतीय अधिकारियों ने इस मुद्दे पर बांग्लादेश सरकार से संपर्क किया है। दोनों देशों की सुरक्षा एजेंसियां मिलकर यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि इन सिग्नलों का स्रोत क्या है और यह किन गतिविधियों से जुड़ा हो सकता है।
निष्कर्ष
भारत-बांग्लादेश सीमा पर संदिग्ध रेडियो सिग्नल मिलने से चरमपंथी गतिविधियों की आशंका बढ़ गई है। सुरक्षा एजेंसियां इस मामले में पूरी सतर्कता बरत रही हैं और हाई-टेक उपकरणों से निगरानी कर रही हैं। यदि यह संकेत किसी आतंकी संगठन या सीमा पार अपराध से जुड़े पाए जाते हैं, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक संचार निगरानी को और मजबूत करने की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसे किसी भी खतरे को समय रहते रोका जा सके।