नई दिल्ली ,18 जनवरी।भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) दिल्ली के पुराना किला में एक बार फिर खुदाई शुरू करने के लिए तैयार है। खुदाई का नेतृत्व श्री वसंत स्वर्णकार करेंगे और वर्ष 2013-14 तथा 2017-18 में की गई खुदाई के बाद पुराना किला में तीसरी बार खुदाई की जाएगी।
नवीनतम खुदाई का उद्देश्य पिछले वर्षों (2013-14 और 2017-18) में खोदी गई खाइयों का खुलासा और संरक्षण करना है। पिछली बार की गई खुदाई बंद होने के दौरान, मौर्य काल से पहले की परतों के प्रमाण मिले थे। इस बार की खुदाई के दौरान, स्ट्रैटिग्राफ़िकल संदर्भ में पेंटेड ग्रे वेयर (मिट्टी के बर्तनों की एक परंपरा है जिसमें स्लेटी रंग के बर्तनों पर काले रंग से डिजाइन किया जाता था) के निष्कर्षों को खोजने पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा। प्राचीन इंद्रप्रस्थ बसने के रूप में पहचाने गए, पुराना किला में 2500 वर्षों की निरंतर बसावट पहले की खुदाई में स्थापित की गई थी।
पूर्व की खुदाई में प्राप्त निष्कर्षों और कलाकृतियों में पेंटेट ग्रे वेयर शामिल हैं, जो 900 ईसा पूर्व से संबंधित हैं, इसमें मौर्य काल से लेकर शुंग, कुषाण, गुप्त, राजपूत, सल्तनत और मुगल काल तक के मिट्टी के बर्तनों का क्रम शामिल है। किले के परिसर के भीतर पुरातत्व संग्रहालय में खुदाई की गई कलाकृतियाँ जैसे दरांती, फल या सब्जी काटने वाला छोटा चाकू, टेराकोटा के खिलौने, भट्ठे- पकी हुई ईंटे, मनके, टेराकोटा की मूर्तियाँ, मुहरें और सौदे आदि प्रदर्शित किए गए हैं।
16वीं शताब्दी का पुराना किला, शेर शाह सूरी और दूसरे मुगल बादशाह हुमायूं द्वारा बनवाया गया था। किला हजारों साल का इतिहास समेटकर एक स्थान पर खड़ा है। पद्म विभूषण प्रो. बी बी लाल ने भी किले और इसके परिसर के अंदर वर्ष 1954 और 1969-73 में खुदाई का काम किया था।
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