वन नेशन-वन राशन कार्ड से गरीबों को फायदा हुआ: केंद्रीय मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर
केंद्र ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 3.90 लाख करोड़ रुपए खर्च कर मुफ्त खाद्यान्न वितरित किया
एक साल में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर देश भर के किसानों से रिकॉर्ड 2.75 लाख करोड़ रुपये का अनाज खरीदा गया
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि देशभर में वन नेशन-वन राशन कार्ड की महत्वाकांक्षी योजना से गरीबों को काफी राहत मिली है। श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के माध्यम से केंद्र सरकार ने गरीबों को 3.90 लाख करोड़ रुपये का मुफ्त अनाज उपलब्ध कराया है, जबकि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में किसानों के कल्याण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए सरकार ने 2021-22 में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर रिकॉर्ड 2.75 लाख करोड़ रुपए मूल्य के खाद्यान्न की खरीदारी की है।
केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा कृषि मंत्रालय से संबंधित उपलब्धियों के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण हुए आर्थिक व्यवधान के कारण गरीबों को हुई कठिनाइयों को दूर करने के लिए और खाद्य सुरक्षा पर इसके प्रभाव को कम करने के लिए, प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने मार्च 2020 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना शुरू की, जिसके तहत लगभग 80 करोड़ लोगों के लिए अतिरिक्त मुफ्त खाद्यान्न (चावल/गेहूं) के वितरण की घोषणा की थी। पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएम-जीकेएवाई) के तहत प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम के हिसाब से अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) और प्राथमिकता वाले घरेलू (पीएचएच) लाभार्थी, जिसके तहत अब तक, 3.90 लाख करोड़ रुपये से अधिक के व्यय के साथ राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को 1118 एलएमटी खाद्यान्न आवंटित किया गया है। पीएमजीकेएवाई का 7वां चरण (अक्टूबर-दिसंबर, 2022) राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में चल रहा है।
श्री तोमर ने बताया कि वन नेशन-वन राशन कार्ड, फोर्टिफाइड चावल का वितरण, लक्षित सार्वजनिक वितरण और केंद्र की अन्य योजनाओं सहित विभिन्न योजनाओं का लाभ सभी लाभार्थियों तक पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने वन नेशन-वन राशन कार्ड योजना की प्रगति के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि अगस्त 2019 में 4 राज्यों में पोर्टेबिलिटी के साथ शुरू होकर अब तक यह योजना सभी 36 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में शुरू की गई है, जिसमें लगभग 80 करोड़ एनएफएसए लाभार्थी शामिल हैं, जो देश की एनएफएसए आबादी का लगभग 100 प्रतिशत है। अगस्त-2019 में ओएनओआरसी योजना के शुभारंभ के बाद से, योजना के तहत 93 करोड़ से अधिक पोर्टेबिलिटी लेनदेन पंजीकृत किए गए हैं, जिसमें 177 एलएमटी से अधिक खाद्यान्न वितरित किया गया है। वर्ष 2022 के दौरान, 11 महीनों में 39 करोड़ पोर्टेबिलिटी लेनदेन किए गए, जिसमें एनएफएसए और पीएमजीकेएवाई के अंतर-राज्यीय और राज्य के भीतर पोर्टेबिलिटी लेनदेन सहित 80 एलएमटी से अधिक खाद्यान्न वितरित किया गया है।
उन्होंने कहा कि चावल के पोषण मूल्य और उसके दायरे को बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा 75वें स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त 2021) को सभी सरकारी योजनाओं के तहत फोर्टिफाइड चावल उपलब्ध कराकर पोषण प्रदान करने की घोषणा की गई थी। वित्त वर्ष 2021-22 में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में आईसीडीएस, पीएम पोषण को कवर करने वाले पहले चरण का कार्यान्वयन शुरू हुआ। आईसीडीएस और पीएम पोषण के तहत 17.51 लाख मीट्रिक टन फोर्टिफाइड चावल का वितरण किया जा चुका है।
दूसरे चरण का क्रियान्वयन अप्रैल 2022 से शुरू हुआ। राज्यों ने 16.79 एलएमटी चावल ले लिया है। तृतीय चरण का क्रियान्वयन वर्ष 2023-24 से प्रारम्भ होगा, जिसमें देश के कुछ शेष जिलों को भी सम्मिलित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) में सुधार के तहत सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 100 प्रतिशत एनएफएसए राशन कार्ड/लाभार्थी डेटा का डिजिटलीकरण किया गया है। लगभग 80 करोड़ लाभार्थियों को कवर करने वाले 19.5 करोड़ राशन कार्डों का विवरण राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के ट्रांसपेरेंसी पोर्टल पर उपलब्ध है।
99.5 प्रतिशत से अधिक राशन कार्ड आधार (घर के कम से कम एक सदस्य) से जुड़े हुए हैं। 99.8 प्रतिशत (5.34 लाख में से 5.33 लाख) उचित मूल्य की दुकानों को लाभार्थियों को रियायती खाद्यान्न वितरण सुनिश्चित करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट-ऑफ-सेल उपकरणों के उपयोग के साथ स्वचालित किया जा रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि खरीफ विपणन सीजन (केएमएस) 2022-23 के दौरान 4 दिसंबर, 2022 तक 70,000 करोड़ रुपए की लागत से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 339.88 एलएमटी धान (चावल के मामले में 227.82 एलएमटी) की खरीद की गई है, जिससे 30 लाख किसानों को लाभ प्राप्त हुआ है। जबकि 2013-14 में खरीफ में धान की खरीद 475 एलएमटी थी, यह 2021-22 में बढ़कर 759 एलएमटी (60 प्रतिशत की वृद्धि) हो गई है। आठ वर्षों में खरीद मूल्य में 132 प्रतिशत की वृद्धि हुई है (अब कुल मूल्य लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये है)। वहीं, रबी विपणन सीजन (आरएमएस) 2022-23 के दौरान 187.92 एलएमटी गेहूं की खरीद की गई है, जिससे लगभग 38 हजार करोड़ रुपये के एमएसपी के साथ लगभग 17 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं। 2013-14 में रबी की खरीद 251 एलएमटी थी, जो 2021-22 में बढ़कर 433.44 एलएमटी (73 प्रतिशत वृद्धि) हो गई है। आठ साल में खरीद मूल्य में 152 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है (अब कुल कीमत करीब 85 हजार करोड़ रुपए है)। श्री तोमर ने बताया कि वर्ष 2014-15 में कुल खाद्यान्न (गेहूं, धान और दालों सहित) की खरीद 759.44 लाख टन थी, जो 2021-22 में बढ़कर 1345.45 लाख टन हो गई है। इसी तरह 2014-15 में एमएसपी मूल्य और कुल खरीद के लिहाज से खर्च 1.06 लाख करोड़ रुपये था, जो मोदी सरकार के तहत 2021-22 में बढ़कर 2.75 लाख करोड़ रुपये हो गया। वर्ष 2015-16 में 78.3 लाख किसान खाद्यान्न से प्राप्त आय से लाभान्वित हुए थे, जो वर्ष 2021-22 में बढ़कर 194 लाख (किसानों की संख्या) हो गए। इसी तरह, वर्ष के दौरान 7 राज्यों में 13 लाख टन मोटे अनाज की खरीद भी की गई है।
श्री तोमर ने कहा कि भारतीय चीनी उद्योग एक महत्वपूर्ण उद्योग है, जो कृषि आधारित है, जिसमें 5 करोड़ गन्ना किसान शामिल हैं। आज भारतीय चीनी उद्योग का वार्षिक उत्पादन लगभग 1,40,000 करोड़ रुपये है। गन्ना सीजन 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में क्रमशः 6.2 एलएमटी, 38 एलएमटी और 59.60 एलएमटी चीनी का निर्यात किया गया है। गन्ना सीजन 2020-21 में 60 एलएमटी के लक्ष्य के मुकाबले लगभग 70 एलएमटी का निर्यात किया गया है। गन्ना सीजन 2021-22 में, भारत ने 110 एलएमटी से अधिक चीनी का निर्यात किया है और दुनिया में चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है। सरकार द्वारा किए गए उपायों के परिणामस्वरूप, 29 नवंबर, 2022 तक, चीनी सीजन 2021-22 के कुल गन्ना मूल्य बकाया 1,18,271 करोड़ रुपये में से किसानों को 1,14,981 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है, इस प्रकार 97 प्रतिशत से अधिक गन्ना का बकाया चुकाया जा चुका है। पेट्रोल में एथेनॉल सम्मिश्रण योजना के संबंध में श्री तोमर ने कहा कि सरकार ने 2022 तक पेट्रोल में 10 प्रतिशत और 2025 तक 20 प्रतिशत एथेनॉल के सम्मिश्रण का लक्ष्य रखा है। देश में इथेनॉल उत्पादन की मौजूदा क्षमता (31.10.2022 तक) बढ़कर 925 करोड़ लीटर हो गया है। उन्होंने बताया कि विश्व बैंक की कारोबारी सुगमता (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस – ईओडीबी) रैंकिंग में भारत ने अभूतपूर्व छलांग लगाई है। ईओडीबी रिपोर्ट 2020 में 190 देशों में, भारत 2013 में 134वें स्थान से 63वें स्थान पर पहुंच गया है, यानी 2013 से 71 रैंक की छलांग।
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