देहरादून, 14नवंबर। मुख्यमंत्री रहते हुए अपने कई बयानों को लेकर सुर्खियों में रहे भाजपा नेता तीरथ सिंह रावत के एक बेबाक बयान ने उत्तराखण्ड से लेकर दिल्ली तक सियासी हलचल मचा दी है। भ्रष्टाचार को लेकर दिया उनका एक बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। जिसमें वह कह रहे हैं कि उत्तरप्रदेश से अलग होने के बाद उत्तराखंड में कमीशनखोरी जीरो पर होनी चाहिए थी, लेकिन यह और ज्यादा हो गई।
पूर्व मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि बहुत जगह बताते हैं कि कहीं भी बिना कमीशन कुछ नहीं होता। मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं होती है कि जब हम उत्तरप्रदेश में थे, तब वहां 20 प्रतिशत कमीशन दिया जाता था। अलग होने के बाद हमको कमीशनखोरी छोड़कर जीरो पर आना चाहिए था, उत्तराखंड में भी 20 प्रतिशत कमीशनखोरी शुरू हो गई।
उन्होंने कहा कि इसके लिए किसी को दोष नहीं दिया जा सकता। यह मानसिकता है। इसे ठीक करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जब तक लोगों में यह भाव नहीं आएगा कि यह मेरा प्रदेश है, मेरा परिवार है तब तक कमीशनखोरी दूर नहीं होगी।
भ्र्ष्टाचार में अधिकारियों को दंडित कर दिया जाता है लेकिन इन सभी के पीछे जनप्रतिनिधि होता है। दोषी दोनों ही होते हैं।
पूर्व सीएम तीरथ रावत का यह बयान ऐसे समय में आया जब पार्टी नेता गुजरात चुनाव में बिजी हैं। हालांकि, पार्टी के अंदर तीरथ सिंह रावत के बयान को व्यापक सन्दर्भों में देखने की बात भी कही जा रही है। लेकिन प्रदेश में करप्शन व कमीशनखोरी के लिए अफसरों के साथ जनप्रतिनिधियों को भी बराबर का दोषी ठहरा पूर्व सीएम ने एक तीर से कई निशाने साधे है।
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