सेवा भाव और सहयोग की जीवंत भारतीय परंपरा पर प्रकाश डाला और अंग दान की दिशा में स्वभावजन्य बदलाव पर जोर दिया
“मैं सभी से जन आंदोलन के जरिये व्यापक जागरूकता का आग्रह करता हूं”
केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने आज कहा, “एक ऐसे देश में जहां स्वास्थ्य को दुनिया भर में एक सेवा के रूप में देखा जाता है और डॉक्टरों को जीवन रक्षक माना जाता है, इसी तरह हम अंग दान करके “सेवा भाव” पैदा कर सकते हैं और अपने देशवासियों को नेत्रदान तथा अंग दान का बोध करा सकते हैं।” अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली में 37 वें राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़े के दौरान आयोजित समारोह में डॉ. मांडविया ने यह बात कही। डॉ. राजेंद्र प्रसाद नेत्र विज्ञान केन्द्र, एम्स, नई दिल्ली के राष्ट्रीय नेत्र बैंक द्वारा नेत्रदान के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने, नेत्रदान करने वाले परिवारों, सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को इस नेक कार्य के लिए उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए सम्मानित करने के उद्देश्य से हर वर्ष 25 अगस्त से 8 सितंबर तक समारोह आयोजित किए जाते हैं।
नेत्रदान के महत्व को रेखांकित करते हुए, उन्होंने कहा कि अंगदान उस व्यक्ति को गुणवत्तापूर्ण जीवन प्रदान करता है, जो उसे प्राप्त करता है और दानदाता परिवारों को संतुष्टि की भावना देता है। डॉ. मांडविया ने अपने प्रियजनों के कॉर्निया दान करने वाले परिवारों को उनके नेक काम के लिए हार्दिक धन्यवाद दिया जो जरूरतमंद रोगियों को दृष्टि का उपहार देते हैं। भगवत गीता के श्लोक “कर्मण्य वाधिका रस्ते, मा फलेशु कदाचन” का हवाला देते हुए, डॉ. मांडविया ने देश की जीवंत भारतीय संस्कृति और परंपराओं के बारे में भी बताया जो हमें “सेवा भाव और” सहयोग” सिखाती हैं।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी कहा कि “समृद्ध ज्ञान और निश्चित जिम्मेदारी होने के बावजूद, अंग दान की दिशा में हमें अपने नागरिकों से उम्मीद से कम प्रतिक्रिया मिलती है। देश में अंग दान के प्रति स्वभावजन्य बदलाव की आवश्यकता है। मैं सभी से आग्रह करता हूं कि एक जन आंदोलन के माध्यम से इसके लिए व्यापक जागरूकता फैलाएं।” उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस तरह के अहसास और कदमों से देश में अंगदान को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति होगी।
इस उद्देश्य के लिए सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने कहा कि भारत सरकार अंग दान को बढ़ावा देने और लक्ष्यों को कुशलतापूर्वक प्राप्त करने के लिए एक मजबूत और व्यवस्थित कार्य संरचना की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने कॉर्निया प्रत्यारोपण, जागरूकता कार्यक्रमों और संबंधित सेवाओं को आम जनता के लिए और अधिक सुलभ बनाने के लिए राष्ट्रीय नेत्र बैंक तथा अन्य हितधारकों के प्रयासों की सराहना की।
इस कार्यक्रम में वर्ष 2021-22 के लिए राष्ट्रीय नेत्र बैंक, राजेन्द्र प्रसाद केन्द्र की वार्षिक रिपोर्ट जारी की गई। रिपोर्ट में देश में कॉर्नियल ब्लाइंडनेस (आंख की पुतली में बीमारी के कारण अंधापन) के मुद्दे से निपटने में राष्ट्रीय नेत्र बैंक (एनईबी) द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। अब तक 31,500 से अधिक कॉर्निया एकत्र किए गए है, कॉर्नियल प्रत्यारोपण के माध्यम से 22,350 से अधिक लोगों को फिर से दिखाई देने लगा है और 1965 से अब तक 70 प्रतिशत से अधिक उपयोग दर हासिल की गई है। एनईबी ने नेत्रदान संबंधी कार्यों को बढ़ावा देने, कॉर्निया प्रत्यारोपण, चिकित्सा कर्मचारियों को शिक्षित करने और प्रशिक्षण देने, नेत्र बैंकिंग अनुसंधान, कई अन्य गतिविधियों के साथ आम जनता को प्रेरित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
कार्यक्रम में एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया, राजेन्द्र प्रसाद केन्द्र के प्रमुख प्रोफेसर जीवन एस टिटियाल, राष्ट्रीय नेत्र बैंक की चेयरपर्सन प्रो. राधिका टंडन, राष्ट्रीय नेत्र बैंक के साथ-साथ एम्स, आरपी सेंटर के वरिष्ठ प्राध्यापक, विशेषज्ञ, सहायक सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि, सहयोगी संस्थान और गैर सरकारी संगठन/सोसायटी, स्कूली बच्चे तथा वरिष्ठ सरकारी अधिकारी उपस्थित थे।
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