फसल आकलन कार्यप्रणाली पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन

कृषि एवं किसान मंत्रालय के तहत अर्थ एवं सांख्यिकी निदेशालय (डीईएस), कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (डीएएंडएफडब्ल्यू) ने नई दिल्ली में 13 जुलाई 2022 को फसल उत्पादन के आकलन पर सम्मेलन का आयोजन किया। सम्मेलन का उद्घाटन श्री. मनोज आहूजा, सचिव, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा किया गया।

इस सम्मेलन का उद्देश्य फसल आकलन के लिए विभिन्न एजेंसियों द्वारा उपयोग की जाने वाली विभिन्न कार्यप्रणालियों के बारे में चर्चा करना, उनकी सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना और विभिन्न एजेंसियों द्वारा उत्पन्न आकलनों के बीच अंतर के कारणों का पता लगाना तथा आने वाले समय में सटीक कृषि फसल आकलन तैयार करना करना है।

सम्मेलन में विभिन्न क्षेत्रों जैसे केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों, राज्य सरकारों, फसल आकलन में शामिल निजी एजेंसियों और एफएओ के लगभग 300 प्रतिभागियों ने भाग लिया। सम्मेलन में सरकार, निजी एजेंसियों द्वारा अपनाई गई आकलन कार्यप्रणाली और कुछ राज्यों द्वारा अपनाई जा रही सर्वोत्तम प्रथाओं पर केंद्रित 3 सत्र आयोजित किए गए थे।

प्रस्तुतियों में विभिन्न प्रणालियों का उपयोग करते हुए विभिन्न कार्य-प्रणालियों को कवर किया जिसमें या तो भूगोल और फसलों का व्यापक कवरेज था अथवा कुछ फसलों और क्षेत्रों तक सीमित था। केंद्र सरकार द्वारा उपयोग की जाने वाली फसल आकलन पद्धति व्यापक है और उत्पादन आकलन के लिए सर्वाधिक संख्या में फसल को कवर करती है, महालनोबिस फसल पूर्वानुमान केंद्र (एमएनसीएफसी) फसल आकलन के लिए उपग्रह इमेजरी के माध्यम से रिमोट सेंसिंग का उपयोग करता है तथा आर्थिक विकास संस्थान आकलन के लिए अर्थमितीय मॉडलिंग का उपयोग करता है। राज्य सरकारों ने फसल आकलन हेतु समय के साथ अपनी भू-संदर्भित आईटी सक्षम डेटाबेस पोर्टल संचालित पद्धति विकसित की है। प्राइवेट प्लेयर्स बाजार की आवश्यकता के अनुसार फसल आकलन प्रदान करने के लिए विभिन्न साधनों और प्रौद्योगिकी के मिश्रण और मिलान का उपयोग करते हैं और वह मुख्य रूप से वस्तु विशिष्ट और ग्राहक की आवश्यकता पर आधारित होती हैं। हालांकि, कृषि क्षेत्र में प्राइवेट प्लेयर्स अपनी बढ़ती भागीदारी के साथ फसल आकलन के क्षेत्र का दायरा बढ़ा रहे हैं।

चूंकि सार्वजनिक कार्यक्षेत्र में जारी आकलनों का बाजार की धारणा, कीमतों, उपभोक्ता की प्राथमिकता और अन्य कारकों पर प्रभाव पड़ता है, इस सम्मेलन के माध्यम से मध्य-बिंदु का पता लगाने का प्रयास किया गया जहां ये सभी आकलन और कार्यप्रणाली अभिसरण करेंगे और आने वाले समय में सटीक आकलनों को तैयार करने का मार्ग प्रशस्त करेंगे।

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