इंदौर: किसानों के हित में मिट्टी की जैविक उर्वरता बढ़ाने के लिए इंसेक्टिसाइड्स (इंडिया) लिमिटेड ने मध्य प्रदेश में कायाकल्प लांच किया l कायाकल्प मिट्टी के लिए जैव उत्प्रेकरक के रूप में काम करता है साथ ही यह रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को लगभग 25 % तक कम करने में सहायता करता है। यह मिट्टी के जलधारण की क्षमता को बढ़ाता है l जिससे कि फसलों में नमी अधिक समय तक बनी रहती है। मध्य प्रदेश में आईआईएल कायाकल्पक के द्वारा अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचने की कोशिश कर रहा है और किसानों को शिक्षित करने के लिए देशव्यापी अभियान को शुरू करने की योजना बना रहा है।
इंदौर: पूरे विश्वः में जितनी जमीन खेती के योग्य जमीन में 2.5% भूमि भारत के पास है, और यहां दुनिया की 16% आबादी रहती है, जिसका मतलब यह है कि हमें कम क्षेत्र से ज्यादा अनाज के उपज की आवश्यकता है। पहला रासायनिक उर्वरक कारखाना 1906 में तमिलनाडु के रानीपेट में शुरू हुआ था। 1960 में देश में रासायनिक उर्वरकों की खपत 1 मिलियन टन थी और उस समय खाद्य उत्पादन लगभग 80 मिलियन टन था। 2016-17 में कुल रासायनिक उर्वरक खपत बढ़कर 55 मिलियन टन हो गई और खाद्य उत्पादन लगभग 275 मिलियन टन है। दूसरे शब्दों में, उर्वरकों की खपत में 55 गुना वृद्धि हुई है जबकि खाद्य उत्पादन में सिर्फ 3.5 गुणा वृद्धि हुई।
इसका अर्थ है कि हम रासायनिक उर्वरकों का किसी न किसी तरह अनुपयुक्त इस्तेमाल करते हैं। इसका अर्थ है कि पौधे द्वारा उर्वरक की कम खपत और अधिक मिट्टी में निष्क्रिय रहना। इसके परिणामस्वरूप मिट्टी की उर्वरता में लगातार गिरावट आई और मिट्टी कठोर होती चली गई। मिट्टी के ऑर्गेनिक कार्बन में भी गिरावट आई जो कि खेत की उपजाऊ शक्ति का प्रमुख कारक है। विशेषज्ञों के अनुसार, वर्तमान में यह 0.3-0.4ः है जबकि यह आदर्श रूप से इसे 1 से 1.5ः होना चाहिए। मृदा वायुमंडल के मुकाबले वनस्पतियों में दो गुणा कार्बन को स्टोर कर सकता है। इसका मतलब है कि अगर अधिक कार्बन मिट्टी में जैविक रूप में संग्रहीत किया जाता हैय तब वातावरण में मौजूद कार्बन स्वतः ही नीचे आ जाएगा। लेकिन मिट्टी की कठोरता के कारण यह ऐसा करने में विफल हो जाती है।मिट्टी की उर्वरक क्षमता को सुधारने के लिए हमें और भी अधिक गंभीर होना पड़ेगा आईआईएल का क्रांतिकारी उत्पासद कयाकल्पम मिट्टी में जैविक रूप से ऑर्गेनिक कार्बन को फिर से जीवंत करेगा और जैविक उत्पाादों के क्षेत्र में एक महत्वमपूर्ण उपलब्धि साबित होगा।
कयाकल्प, मिट्टी की जैविक क्षमता में सुधार करने के लिए एक प्राकृतिक उत्प्रेरक के रूप में काम करता है, इसके पोषक तत्व इसके क्षमता को मजबूत करते हैं और मिट्टी के लिए स्वास्थ्य बूस्टर टॉनिक के रूप में कार्य करते हैं, जिससे भारतीय किसानों को उत्पादन में सुधार करने में मदद मिलेगी। यह पानी की तनाव अवधि के दौरान किसानों की मदद करता है क्योंकि इससे मिट्टी को अधिक देर तक पानी को बनाए रखने में मदद मिलती है। यह उत्पाद नेशनल सेंटर ऑफ ऑगेनिक फार्मिंग कृषि और कल्याटण मंत्रालय द्वारा विधिवत रूप से जांचा गया और अनुशंसित किया गया है, इसकी विशेषताओं के लिए यह नेशनल सेंटर ऑफ ऑगेर्निक फार्मिंग द्वारा मान्यजता प्राप्ते भी है। कायाकल्प सरकार के साथ ष्ग्रो सेफ फूड (ळतवू ैंमि थ्ववक)ष् मिशन में भागीदार है। यह किसानों के बजट में उपलब्ध है, साथ ही यह रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को भी घटाता है। ‘’हमारी कंपनी उद्देश्यज हमेशा ऐसे अनुसंधानों और नये उपायों को तलाशना है जिससे किसान कृषि उत्पादन के क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों का सामना आसानी से कर सकें। मृदा का क्षरण और क्रमिक रूप से घटती मिट्टी की उर्वरता निश्चित रूप से किसानों के लिए सबसे बड़ी समस्यादओं में से एक है।
हमारे सबसे उन्नत प्रयोग कायाकल्पउ के साथ, हम किसानों को एक ऐसे उपकरण से लैस करने में सक्षम होंगे जो उनकी मिट्टी की उर्वरता को बढ़ायेगा, जिससे उनकी उत्पादन क्षमता बढ़ेगी और उपज अधिक होगी। इससे छरू वर्षों के भीतर हमारे किसानों को उनकी आय बढ़ाने में सहायता मिलेगी, जो कि प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने के नजरिये में एक प्रमुख कदम साबित होगा।‘’ ये बातें इंसेक्टिसाइड्स (इंडिया) लिमिटेड के प्रबंध निदेशक श्री राजेश अग्रवाल ने कहीं।मिट्टी की उर्वरता की सुरक्षा और इसके पुनरुद्धार के लिए किसानों को शिक्षित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए, इंसेक्टिसाइड्स (इंडिया) लिमिटेड के वाइस प्रेसीडेंट श्री पीसी पब्बीे ने कहा, ‘’जब उत्पा द की बात आती है तब हम ये आसानी से विश्वा स नहीं कर पाते हैं कि यह परिणाम भी देगा या नहीं, इसी को ध्या न में रखते हुए देशभर के विभिन्ने हिस्सोंा से हमने 50 अधिक प्रतिक्रियायें ली हैं, और हमें उम्मीहद से बेहतर परिणाम मिला। इसलिए हम बड़े स्त र पर किसानों को लाभान्वित करने के लिए इसे लांच किया है। ‘भूमि कायाकल्प अभियान’ (स्ंदक त्मरनअमदंजपवद ब्ंउचंपहद) के तहत कंपनी ने देशभर के किसानों के लिए जागरूकता अभियान शुरू किया है, जिसके तहत कंपनी का लक्ष्य अगले 2 साल में 10 लाख से अधिक किसानों तक पहुंचना है।‘’ष्मिट्टी कार्बनिक कार्बन जैविक रूपों में नाइट्रोजन और सल्फर को पकड़कर मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यह मृदा कणों को एक साथ रखने में मदद करता है और इस प्रकार यह पानी की सोखने की क्षमता में सुधार करता है। कार्बनिक कार्बन मिट्टी को ढंकता है और इस प्रकार जड़ का विकास तेजी से होता है। कार्बनिक कार्बन मिट्टी जीव और वनस्पतियों के लिए भोजन स्रोत के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह फसल को मृदाजनित रोगों से बचाता है और हानिकारक पदार्थों के खिलाफ कार्य करता है। ष्श्री संजय सिंह, एजीएम (मार्केट डेवलपमेंट), कीटनाशक (इंडिया) लिमिटेड ने ये बातें कहीं।इंसेक्टिसाइड (इंडिया) लिमिटेड के बारे में बीएसई और एनएसई द्वारा सूचीबद्ध कंपनी इंसेक्टिसाइड्स (इंडिया) लिमिटेड (आईआईएल) भारत की अग्रणी और शीर्ष 10 भारतीय एग्रोकेमिकल्स विनिर्माण कंपनियों में से एक है। आईआईएल भारत में फसल सुरक्षा इंडस्ट्री में एक अग्रणी कंपनी के रूप में उभर कर सामने आई है।
इसने साल 2015-16 में हुए 988.15 करोड़ रुपए की तुलना में साल 2016-17 में 1107.38 करोड रुपये का कारोबार किया। इस साल भी कंपनी निरंतर गति से आगे बढ़ रही है। कंपनी का एक प्रतिष्ठित ट्रैक्टर ब्रांड भी है जो किसानों के बीच में बहुत लोकप्रिय है। कृषि उत्पादों के रूप में कंपनी का अंब्रेला ब्रांड कृषि समुदाय के साथ कंपनी के गहरे संबंधों का भी प्रतीक है। आईआईएल के सबसे अधिक बिकने वाले ब्रांडों में लीथल, विक्टर, हाइजैक, एक्सप्लोड, माइकोराजा, मोनोसिल, हकामा, सेलेक्टईर, पल्सेर और प्राइम गोल्डष शामिल है। कंपनी ने पिछले साल से भारतीय किसानों के हित में पहली बार भारत में निर्मित एक नई खरपतवार नाशक ग्रीन लेबल को लांच किया था। तकनीक और मार्केटिंग में कंपनी ने अमेरिका वैनगार्ड कार्पोरेशन (एएमवीएसी) के साथ एमओयू में प्रवेश किया, जो कि भारत में ष्थाइमेटष् और ष्नुवानष्, नामक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय कीटनाशक ब्रांड बनाने के अधिकार प्रदान करता है। आईआईएल के कई जापानी कंपनियों के साथ भी समझौते हैं। पिछले साल, कंपनी ने मोमेंटिव, अमेरिका के साथ समझौता किया है और इनके संयुक्तल तत्वािधान में दोनों ने मिलकर भारत में एग्रोस्प्रेड’मैक्स को लांच किया है, जो एक सुपर स्प्रेडर है, जो किसानों को एग्रोकेमिकल्स की प्रभावकारिता बढ़ाने में मदद करेगा। कंपनी ने निहोन नोहाकू कं. लिमिटेड जापान के साथ भी करार किया है और पिछले वर्ष दो उत्पाकद सुजुका और हक्को को भी लांच किया था।
ज्ञात रहे कि 2013-14 में कंपनी ने निशान केमिकल, जापान के साथ भी पल्सार और हकामा की मार्केटिंग के लिए करार किया था। कंपनी के पास चोपंकी (राजस्थान), सांबा और उधमपुर (जम्मू और कश्मीर) और दहेज (गुजरात) में अत्याधुनिक फॉर्मूलेशन सुविधाएं मौजूद हैं। आईआईएल का चोपंकी और दहेज में तकनीकी संश्लेषण संयंत्र भी है, जहां कई केमिकल जैसे – लैंबडासायहेलोथ्रिन, बायफेंथ्रिन, थाइमथॉक्साम, डायफेंथोरोन, डाइक्लोरोवोस, क्लोरीपायरीफोस, फेनपायरॉक्सीलमेट, ग्लै फोसेट, एट्राजीन, इमेजेथेपिर, प्रेटीलाक्लो र, बिसिरिबैक सोडियम, सल्फॉसफुरोन, थिफेनेट मिथाइल, ट्राईक्लेजोल, मैक्लोबूटानिल, मेटालेक्सिल आदि का निर्माण होता है। 2014 में, भारत में पहली बार, आईआईएल ने ओएटी एग्रियो, जापान की कंपनी के साथ जेवी में एक प्रोडकट डिस्क वरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर स्थापित किया था। जो कि अगले पांच साल में 2-3 नए एग्रोकेमिकल अणुओं का आविष्कार करने की योजना बना रहा है।आईआईएल फाउंडेशन इंसेक्टिसाइड (इंडिया) लिमिटेड द्वारा एक पहल है जो कि आधुनिक कृषि पद्धतियों और तकनीकों के बारे में ज्ञान देने के लिए भारतीय किसानों के साथ मिलकर काम करता है।
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