राष्ट्रपति ने कुलाध्यक्ष सम्मेलन-2022 का उद्घाटन किया

उच्च शिक्षा संस्थानों पर प्रभावशाली युवाओं के परिवर्तन की बड़ी जिम्मेदारी है: राष्ट्रपति कोविंद

राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविंद ने आज राष्ट्रपति भवन में केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों के निदेशकों के दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। राष्ट्रपति 161 केंद्रीय उच्च शिक्षण संस्थानों के कुलाध्यक्ष हैं। 161 संस्थानों में से 53 संस्थान भौतिक रूप से सम्मेलन में भाग ले रहे हैं जबकि अन्य संस्थान वर्चुअल मध्य से शामिल हो रहे हैं।

सम्मेलन में केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान; शिक्षा राज्य मंत्री श्री सुभाष सरकार; सचिव, उच्च शिक्षा श्री संजय मूर्ति: अध्यक्ष, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग-यूजीसी, अध्यक्ष, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद-एआईसीटीई, अध्यक्ष, राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद-एनसीवीईटी, केंद्रीय विश्वविद्यालयों / उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रमुख और शिक्षा मंत्रालय और राष्ट्रपति सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।

सम्मेलन के विभिन्न सत्रों के दौरान विभिन्न विषयों, जैसे – आजादी का अमृत महोत्सव में उच्च शिक्षा संस्थानों की भूमिका और जिम्मेदारियां; उच्च शिक्षा संस्थानों की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग; अकादमिक-उद्योग और नीति निर्माताओं के बीच सहयोग; स्कूल, उच्च और व्यावसायिक शिक्षा को एकीकृत करना; उभरती और विघटनकारी प्रौद्योगिकियों में शिक्षा और अनुसंधान पर विचार-विमर्श किया जाएगा।

उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उच्च शिक्षा संस्थानों की गुणवत्ता में सुधार करना महत्वपूर्ण है। हमें दुनिया में सर्वश्रेष्ठ प्राप्त करने के लिए मानक स्थापित करने चाहिए। श्री कोविंद ने कहा कि उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि इस वर्ष 35 भारतीय संस्थानों को क्यूएस रैंकिंग में स्थान दिया गया है, जबकि पिछले वर्ष 29 भारतीय संस्थानों को इसमें स्थान प्राप्त हुआ था। शीर्ष 300 स्थानों में इस वर्ष छह भारतीय संस्थान हैं जबकि पिछले वर्ष चार संस्थान शामिल थे। उन्होंने यह भी उद्धृत किया कि भारतीय विज्ञान संस्थान ने ‘शोध’ पैमाने पर 100 अंक का पूर्ण स्कोर प्राप्त किया है और प्रिंसटन, हार्वर्ड, एमआईटी और कैलटेक समेत दुनिया के आठ अत्यधिक प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ इस विशेष सम्मान को साझा किया है। उन्होंने इस उपलब्धि के लिए भारतीय विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉक्टर गोविंदन रंगराजन और उनकी टीम को बधाई दी।

राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के गौरवशाली इतिहास की स्मृति में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ को उद्घाटन सत्र में जगह मिली है। उन्होंने कहा कि हमारे उच्च शिक्षा संस्थान इसके केंद्र बिन्दु में हैं, क्योंकि हमारे युवा नागरिक न केवल अतीत के उत्तराधिकारी हैं, बल्कि ये भारत को उसके अगले स्वर्ण युग में भी ले जाएंगे। प्रभावशाली युवाओं के परिवर्तन का बड़ा दायित्व उच्च शिक्षा संस्थानों पर है। इसके लिए हमें उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने की आवश्यकता है, क्योंकि वे जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में भविष्य के नेता हैं।

शिक्षा की गुणवत्ता के बारे में बोलते हुए राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि इसमें सुधार के लिए हमें परिष्कृत और नवीन शिक्षण दृष्टिकोणों पर भी विचार करना चाहिए। उत्कृष्टता प्राप्त करने की कुंजी शिक्षण और सीखने के अनुभव को समृद्ध करने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकियों के परिवर्तनकारी लाभों का उपयोग करना है। डिजिटल प्रौद्योगिकियां शिक्षा की सीमाओं का विस्तार कर रही हैं। जब महामारी ने शिक्षण और सीखने की प्रक्रिया को पटरी से उतारने का डर पैदा किया, तो प्रौद्योगिकी ने इसकी निरंतरता सुनिश्चित की। उन्होंने कहा कि कठिनाइयां थीं, लेकिन यह देखना अच्छा है कि शिक्षण संस्थानों ने शिक्षण का कार्य जारी रखा और मूल्यांकन, आकलन और अनुसंधान निर्बाध रूप से किया। श्री कोविंद ने खा कि हम अब उस अनुभव के आधार पर इस तरह की शिक्षा व्यवस्था का निर्माण कर सकते हैं, और कक्षा के सत्रों को अधिक बातचीत के योग्य बना सकते हैं, जिससे छात्रों को विषय की पूरी समझ हो सके। शिक्षकों और शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों को पाठ्यक्रम और अन्य नीतिगत पहल तैयार करते समय इस बारे में विचार करना चाहिए।

राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि भारत जैसे देश के लिए शुद्ध विज्ञान के महत्व को नकारा नहीं जा सकता है, लेकिन सामाजिक और आर्थिक रूप से प्रासंगिक परिणामों में अनुसंधान के उपयोग के महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इसलिए, ‘शिक्षाविदों, उद्योग जगत और नीति निर्माताओं के बीच सहयोग’ पर कार्य सूची की विषय वस्तु अत्यधिक प्रासंगिक है। भारत में ऐसी कई पहलें हैं जो दोनों तरह से काम कर रही हैं – अनुसंधान के लाभों को बाजार तक पहुंचाना और बाजार की विशेषज्ञता को शिक्षाविदों तक पहुंचाना। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस सम्मेलन के दौरान हो रही चर्चा हमें इस क्षेत्र की बेहतर समझ प्रदान करेगी और इसे आगे बढ़ाने के लिए नीतिगत विकास में भी मदद करेगी।

राष्ट्रपति ने कहा कि स्वीकृत मान्यताओं पर सवाल उठाना और लहर के विपरीत बहना अक्सर मानव प्रगति का आधार रहा है। लेकिन, अभूतपूर्व तकनीकी प्रगति के युग में, यह केवल व्यक्तिगत प्रतिभा ही नहीं है, बल्कि समर्थन की प्रणालियाँ भी हैं जो इस तरह की प्रगति को सुविधाजनक बनाती हैं। यह मानव बुद्धि का एक समूह तैयार करना है जिसने इस अस्थिर वातावरण को जन्म दिया है। उन्होंने कहा कि ‘उभरती और बाधा उत्पन्न करने वाली प्रौद्योगिकियों में शिक्षा और अनुसंधान’ विषय पर चर्चा, उच्च शिक्षा के इस बहुत ही प्रासंगिक पहलू के बारे में हमारी समझ को बढ़ाएगी।

राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि स्टार्ट-अप और नवाचार के ईकोसिस्टम को प्रोत्साहित करने के लिए, लगभग 2,775 संस्थान 28 राज्यों और छह केंद्र शासित प्रदेशों में उच्च शिक्षा संस्थानों में संस्थागत नवाचार परिषदों की स्थापना की गई है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह उच्च शिक्षा संस्थानों और उद्योग के बीच सामाजिक रूप से प्रासंगिक साझेदारी के उद्देश्यों को बढ़ावा देने में एक लंबा सफर तय करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक नवाचार सूचकांक में भारत की रैंकिंग वर्ष 2014 में 76 से बढ़कर वर्ष 2021 में 46 हो गई है। उन्होंने कहा, हालांकि, भारत में नवाचार और उद्यमिता की संस्कृति में सुधार करने के लिए, हमें पेटेंट के लिए आवेदन करने को प्रोत्साहित करने और इसके लिए प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता है।

कार्य सूची विषय वस्तु ‘स्कूली शिक्षा और उच्च और व्यावसायिक शिक्षा को एकीकृत करना’ के बारे में बोलते हुए, राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि प्रणाली को इस तरह से शिक्षित करना चाहिए जो न केवल ज्ञान को बढ़ाए बल्कि एक पूर्ण और उपयोगी जीवन जीने का कौशल भी प्रदान करे। स्कूल नींव रखता है, लेकिन इसे एक विद्यार्थी को उच्च या व्यावसायिक शिक्षा की ओर ले जाने के लिए नेतृत्व करना चाहिए जो योग्यता और आकांक्षाओं दोनों को पूरा करता है।

इस अवसर पर बोलते हुए, केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कुलाध्यक्ष सम्मेलन 2022 की शोभा बढ़ाने के लिए राष्ट्रपति महोदय के प्रति अपनी हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त की। उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रपति महोदय के मार्गदर्शन से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सीखने के परिदृश्य में क्रांति लाने और भारत को ज्ञान की एक अर्थव्यवस्था में बदलने की परिकल्पना के प्रयासों को गति मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे उच्च शिक्षा संस्थानों में राष्ट्रपति महोदय की विशिष्ट उपस्थिति ने नई शैक्षणिक परंपराओं को प्रोत्साहित किया है और एक प्रेरणा के रूप में कार्य किया है।

मंत्री महोदय ने कहा कि उन्हें यह जानकर खुशी हो रही है कि उच्च शिक्षा में जीईआर में वृद्धि हुई है, जिसमें कमजोर समुदायों की भागीदारी बढ़ी है। कोविड के बाद की विश्व व्यवस्था के बारे में बोलते हुए, उन्होंने कहा कि जब दुनिया कोविड -19 संकट से बाहर आ रही है, तो एक नई वैश्विक व्यवस्था आकार ले रही है। उन्होंने आगे कहा कि दुनिया, खासकर उभरती अर्थव्यवस्थाएं भारत की ओर आशा के साथ देख रही हैं। उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा किसी भी राष्ट्र की जीवन रेखा है और इस प्रकार विश्व में भारत की स्थिति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-एनईपी के बारे में बोलते हुए, उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, 21वीं सदी की शिक्षा प्रणाली के लिए रूपरेखा तैयार करती है और शिक्षा और कौशल के बीच तालमेल एक नई व्यवस्था बना रही है। काम के भविष्य के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि उभरती हुई प्रौद्योगिकियां हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित कर रही हैं और काम की प्रकृति को तेजी से बदल रही हैं। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने शिक्षार्थियों को भविष्य के लिए तैयार करें और राष्ट्र इस पर विचार-विमर्श करने के लिए इस कुलाध्यक्ष सम्मेलन को गौर से देख रहा है। उन्होंने कहा कि दो दिवसीय कुलाध्यक्ष सम्मेलन में विचार-विमर्श अमृत काल के लिए रूपरेखा का मसौदा तैयार करने में मदद करेगा, सीखने को और अधिक जीवंत बनाने के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा, उद्योग 4.0 का उपयोग करेगा और भारत@100 की नियति को आकार देने के लिए बीज बोएगा।

सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के दौरान, राष्ट्रपति ने जामिया मिलिया इस्लामिया के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रोफेसर मोहम्मद ज़ाहिद अशरफ को हाइपोक्सिया-प्रेरित घनास्त्रता पर उनके शोध के लिए ‘अनुसंधान (जैविक विज्ञान) के लिए कुलाध्यक्ष पुरस्कार 2020’ भी प्रदान किया; और खाद्य पैकेजिंग के लिए द्वि-आयामी हेटेरो-स्ट्रक्चर के साथ बायोडिग्रेडेबल पॉलीमर फिल्म के विकास पर उनके काम के लिए प्रोफेसर प्रीतम देब, भौतिकी विभाग, तेजपुर विश्वविद्यालय को ‘प्रौद्योगिकी विकास के लिए कुलाध्यक्ष पुरस्कार 2020’ प्रदान किया। अनुसंधान (भौतिक विज्ञान) के लिए तीसरा ‘कुलाध्यक्ष पुरस्कार 2020’ प्रोफेसर अनुनय सामंत, स्कूल ऑफ केमिस्ट्री, हैदराबाद विश्वविद्यालय को फोटो-उत्तेजना पर आणविक प्रणाली और सामग्री पर गठित अल्पकालिक रासायनिक प्रजातियों की स्पेक्ट्रोस्कोपी और गतिशीलता में उनके योगदान के लिए बाद में प्रदान किया जाएगा।

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