सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर द्वारा नई दिल्ली में 12 से 18 मई 2022 तक सात दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला और प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन

सीएसआईआर-राष्ट्रीय विज्ञान संचार और नीति अनुसंधान संस्थान (एनआईएससीपीआर) नई दिल्ली स्थित सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के विवेकानंद सम्मेलन हॉल में में 12 से 18 मई 2022 तक सात दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला और एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम एसईआरबी-विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा ’विद्वतापूर्ण प्रकाशनों के व्यावहारिक प्रशिक्षण पर त्वरित विज्ञान कार्यशाला योजना के तहत प्रायोजित किया गया है।

 

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’विद्वतापूर्ण प्रकाशनों के व्यावहारिक प्रशिक्षण’ पर कार्यशाला
कार्यक्रम का आयोजन कैरियर के विकास के लिए विज्ञान में विद्वतापूर्ण संचार को लेकर जागरूकता पैदा करने और नवोदित संभावित शोधकर्ताओं को वैज्ञानिक अनुसंधान कौशल विकसित करने का अवसर प्रदान करने के लिए किया गया था। कार्यशाला में ऑनलाइन और ऑफलाइन मोड में विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से पीजी और पीएचडी दोनों वर्गों के 25 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। भारत का प्रमुख विज्ञान प्रकाशन संस्थान, सीएसआईआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस कम्युनिकेशन एंड पॉलिसी रिसर्च (सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर), विविध क्षेत्रों में कई कार्यशालाओं और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करके नवोदित शोधकर्ताओं के प्रशिक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

मंच पर मौजूद गणमान्य व्यक्तियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करके कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ, जिसके बाद प्रार्थना की गई। डॉ एन के प्रसन्ना, वरिष्ठ वैज्ञानिक और वैज्ञानिक संपादक (इंडियन जर्नल ऑफ बायोकेमिस्ट्री एंड बायोफिजिक्स) (आईजेबीबी) और कार्यशाला के समन्वयक ने अपने संबोधन में परिचय देते हुए कार्यक्रम के बारे में संक्षेप में बताया। सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के मुख्य वैज्ञानिक प्रो. श्री हसन जावेद खान ने आरंभिक भाषण से नवोदित शोधकर्ताओं में अनुसंधान उन्मुख कौशल के महत्व पर प्रकाश डाला और सभा को अवगत कराया कि कार्यशाला से न सिर्फ नवोदित शोधकर्ताओं पर प्रभाव पड़ा है, बल्कि वैज्ञानिक व्यक्तित्वों को भी समृद्धि मिली है।

कार्यशाला का उद्घाटन सम्मानित अतिथि डॉ. केएन राव, निदेशक, डेसीडॉक ने किया। मुख्य अतिथि, डॉ के एन राव ने प्रतिभागियों को सभी स्तरों पर समाज के विविध घटकों के लिए विज्ञान के प्रसार के लिए उपयुक्त तरीकों और साधनों के बारे में जानकारी दी। इस तरह की कार्यशाला आयोजित करने का उद्देश्य शोधकर्ताओं और वैज्ञानिक हस्तियों को ज्ञान साझा करने, अपडेट करने और खुद को अपग्रेड करने के लिए एक मंच प्रदान करना है। उद्घाटन सत्र का समापन हुआ और उसके बाद श्री आर एस जयसोमु, मुख्य वैज्ञानिक और संपादक, (आईजेईबी), सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर द्वारा परिचयात्मक व्याख्यान हुआ।

 

12 मई 2022: ’रिसर्च कम्युनिकेशन- राइटिंग रिसर्च पेपर्सपर बातचीत

उद्घाटन सत्र के बाद पहला तकनीकी सत्र का आयोजन हुआ, जिसमें श्री. आर एस जयसोमू, मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर, ने ’रिसर्च कम्युनिकेशन – राइटिंग रिसर्च पेपर्स’ पर भाषण दिया। उन्होंने उल्लेख किया कि संबंधित क्षेत्रों में वैज्ञानिकों, जनता और अन्य लोगों को ज्ञान प्रदान करने के लिए शोध पत्र लिखना सबसे महत्वपूर्ण मंच है। उन्होंने कहा कि अनुसंधान गहन जानकारी हासिल करने के लिए किसी चीज को ध्यान से प्राप्त करने का कार्य है। उन्होंने एक प्रभावी शोध पत्र लिखने की प्रक्रियाओं और युवा मन में वैज्ञानिक सोच विकसित करने में अनुसंधान संचार के महत्व पर चर्चा की।
उन्होंने विज्ञान संचार में जन जागरूकता की आवश्यकता पर भी जोर दिया कि संचार में सही जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है और अगर इसे समझने योग्य तरीके से प्रस्तुत किया जाए, तो अच्छे निर्णय लिए जा सकते हैं जो अनुसंधान संचार में बहुत प्रभावी हैं।

 

12 मई 2022: ’सही जर्नल के चयन पर चर्चा
दूसरे तकनीकी सत्र में, श्री आर एस जयसोमु, मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर ने ’एक सही जर्नल का चयन’ पर एक व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि एक जर्नल में प्रकाशन एक शोधकर्ता के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है और यह किसी की अकादमिक उपलब्धि का आकलन करने का एक तरीका है।

जर्नल के महत्व को समझाते हुए उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि एक उपयुक्त जर्नल का चयन करना पहला कदम होना चाहिए जिस पर प्रकाशन से पहले एक शोधकर्ता द्वारा विचार किया जाना चाहिए।
प्रस्तुति के बाद, श्री आर एस जयसोमु के साथ कार्यशाला के प्रतिभागियों के साथ संवाद के एक सत्र का अयोजन किया गया। एनआईएससीपीआर के मुख्य वैज्ञानिक और कार्यशाला के समन्वयक डॉ एन के प्रसन्ना ने दिन के लिए संसाधन व्यक्ति और प्रतिभागियों को धन्यवाद प्रस्ताव दिया।

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