एआईएम और नीति आयोग ने अकादमिक जगत के लोगों को गहन तकनीक वाले उत्पाद बनाने के लिए एम-प्राइम प्लेबुक जारी की

अटल नवाचार मिशन के एम-प्राइम कार्यक्रम के तहत शामिल समूह ने 20 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश हासिल किया

डॉ. आंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र, नई दिल्ली में आज एम-प्राइम प्लेबुक का विमोचन किया गया। इस दौरान मुख्य अतिथि और नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी, विशिष्ट अतिथि के तौर पर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के माननीय राज्यमंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार और नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी के पॉल उपस्थित थे। इस कार्यक्रम के साथ ही राष्ट्रव्यापी एम-प्राइम कार्यक्रम समाप्त हो गया है। अटल नवाचार मिशन और नीति आयोग ने एम-प्राइम कार्यक्रम को शुरू किया था, जिसे वेंचर सेंटर, पुणे लागू कर रहा था, जबकि बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय इसे सहायता दे रहा था। कार्यक्रम के बाद अतिथियों ने कुछ चुनिंदा स्टार्ट-अप के समूह और इन्हें प्रोत्साहन देने वाले इंक्यूबेटर्स से मुलाकात भी की।

एम-प्राइम (नवोन्मेष, बाजार के लिए तैयारी और उद्यमशीलता में शोध के लिए कार्यक्रम) कार्यक्रम शुरुआती स्तर के वैज्ञानिक आधार वाले, तकनीकी विचारों को प्रोत्साहित करने के लिए शुरू किया गया था। यह प्रोत्साहन 12 महीने तक एक मिश्रित पाठ्यक्रम से प्रशिक्षण और दिशा-निर्देश देकर दिया जाना था। इस कार्यक्रम के दूसरे फायदों में प्राइम प्लेबुक शामिल है, जो विज्ञान आधारित उपक्रमों और उद्यमियों के लिए एक निर्देश पुस्तिका है, प्राइम लाइब्रेरी- यह कार्यक्रम से जुड़े शिक्षकों और विशेषज्ञों द्वारा साझा किए गए स्त्रोत हैं, और प्राइम वीडियोज़ शामिल थे, जो एक वीडियो कलेक्शन है। इस तक खुली पहुंच दी गई है। इसमें प्राइम क्लासरूम में दिए गए लेक्चर शामिल होंगे।

कार्यक्रम में बोलते हुए मुख्य अतिथि श्री सुमन बेरी, नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा, “स्टार्टअप अर्थव्यवस्था के एक अहम हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो भविष्य के उद्योगों को गढ़ता है, इस तरह यह नौकरियों, उत्पादों और भविष्य की अर्थव्यवस्था को आकार दे सकता है। विज्ञान आधारित स्टार्टअप इसलिए विशेष उत्साहजनक होते हैं, क्योंकि इनमें बड़े स्तर के सामाजिक प्रभाव पैदा करने की क्षमता होती है (जैसे वैक्सीन, दवाईयों, डॉयग्नोस्टिक, मौसम परिवर्तन प्रतिरोधक फसलें, कार्बन को इकट्ठा करने वाली तकनीक आदि), लेकिन यह इसलिए भी अहम होते हैं क्योंकि ये भारत को भविष्य में बढ़त दिलाने और दुनिया में नवोन्मेष के प्रतिनिधि देशों में शामिल करने में मदद कर सकते हैं। एम-प्राइम जैसे कार्यक्रम ऐसा प्रबंध बनाने में सक्षम हैं, जिसेसे इस उच्च जोखिम और मुनाफे वाले क्षेत्र में पूंजी का प्रवाह बढ़ सके, यह देश में ऊंची विकास दर हासिल करने के लिए बहुत जरूरी हो सकता है।”

विशिष्ट अतिथि, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री डॉ. भारती पवार ने कहा, “कोविड के दौरान हमने कई स्टार्टअप को आगे आते हुए और डॉयग्नोस्टिक, पीपीई, वेंटिलेटर तथा अंतिम छोर तक वैक्सीन पहुंचाने के काम की जिम्मेदारी लेते हुए देखा था। यह भारतीय स्वास्थ्य सुविधा क्षेत्र में मौजूद समस्याओं के हल में भारतीय स्टार्टअप कंपनियों में मौजूद संभावना को दिखाता है। हमने यह भी महसूस किया कि स्वास्थ्य सुविधा जैसे क्षेत्रों में उत्पादों को बनाने के लिए गहन तकनीकी ज्ञान और नए अविष्कारों की जरूरत होती है, इसलिए विज्ञान आधारित गहन तकनीकी स्टार्टअप कंपनियों को बनाने की जरूरत है। भारत पिछले कई सालों से विज्ञान में निवेश कर, अपनी शोध और विकास क्षमता को बढ़ाने के लिए निवेश कर रहा है। इनमें से कई क्षमताएं हमारे समाज की सबसे गंभीर समस्याओं के लिए समाधान खोजने के लिए बहुत प्रासंगिक हैं। यहां मुख्य चुनौती सरकारी निवेश वाले शोध और विकास क्षमताओं को बाज़ार उत्पाद तथा सेवा में बदलने की है। इस पृष्ठभूमि और प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत की अपील को देखते हुए, एम-प्राइम कार्यक्रम एक बहुत अहम उद्देश्य को पूरा कर रहा है। अब सही समय आ चुका है, जब सभी अहम क्षेत्रों में स्थानीय निर्माण क्षमताओं के साथ भारत की नवाचार महाशक्ति बनने की महत्वकांक्षा को तेज किया जाए।

अटल नवाचार मिशन के निदेशक डॉ. चिंतन वैष्णव ने कहा, “एम-प्राइम कार्यक्रम विज्ञान आधारित गहन तकनीक वाली उद्यमिता को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित था, जो एक ज्ञान प्रधान काम है। एम-प्राइम कार्यक्रम का पहला साल, भारत के लिए सुयोग्य उद्यमों को तेजी देने वाले तरीकों की खोज और उनके प्रदर्शन पर केंद्रित था, ताकि यह सभी उद्यमियों और नवीन अविष्कारकों के लिए उपलब्ध हो सके। मुझे यह देखकर खुशी है कि इस कार्यक्रम का पहला साल ऐसे प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित करने में कामयाब रहा है, जो देश के अलग-अलग हिस्सों में कार्यक्रम को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। साथ ही इससे प्लेबुक और कोर्स वीडियो का निर्माण भी हुआ, जिससे सभी तक पहुंच वाले मॉडल के आधार पर हर किसी को यह उपलब्ध हो सकते हैं। दुनिया के किसी भी नवाचार परितंत्र से तुलना करें, यह गुणवत्ता वाला मूल्यवान योगदान है।

एम-प्राइम कार्यक्रम के पहले समूह में विज्ञान आधारित स्टार्टअप, प्रशिक्षक उद्यमी और स्टार्टअप को मदद करने वाले प्रबंधक शामिल थे, जहां उन्होंने अपने विचारों को आगे बढ़ाने के लिए एक स्टार्टअप-प्रोत्साहक के साथ मिलकर काम किया। इस समूह में 40 संगठन, 64 भागीदार शामिल थे, यहां 7 राज्यों के 23 अलग-अलग शहरों का प्रतिनिधित्व था। इस समूह में विज्ञान आधारित कई क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व मौजूद था, जैसे- औद्योगिक स्वचालन, आईओटी, इलेक्ट्रॉनिक्स, रोबोटिक्स, ऊर्जा और पर्यावरण, स्वास्थ्य और पुनर्वास, और खाद्य, पोषण व कृषि। इस कार्यक्रम के तहत 17 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शिक्षकों को सदस्य बनाया गया था, जिन्होंने सामूहिक तौर पर 640 घंटों से ज्यादा का प्रशिक्षण दिया।

विमोचन कार्यक्रम में बोलते हुए वेंटर सेंटर के निदेशक डी. प्रेमनाथ ने कहा, “वेंचर सेंटर की टीम और एम-प्राइम शिक्षक व परामर्शदाता कार्यक्रम के अंतिम नतीजों को देखकर बहुत खुश हैं, जिसमें ज्यादातर स्टार्टअप ने अपनी निवेश तैयारी में बहुत प्रगति की है। यहां तक कि समूह ने कार्यक्रम के दौरान ही 20 करोड़ रुपये का निवेश जुटा लिया। 18 पेटेंट फाइल किए गए, जबकि 6 पेटेंट और 2 ट्रेडमार्क जारी किए गए। महिंद्रा और किंबरली क्लार्क जैसी अन्य प्रतिष्ठित कंपनियों के साथ कार्यक्रम के दौरान ही 15 से ज्यादा साझेदारियां बनाई गईं।”

 

अटल नवाचार मिशन के बारे में

देशभर में नवाचार और उद्यमिता की संस्कृति का निर्माण करने तथा बढ़ावा देने के लिए अटल नवाचार मिशन भारत सरकार की प्रमुख पहल है। एम का उद्देश्य अर्थव्यवस्था के भिन्न क्षेत्रों में नई योजना और नीति विकसित कर नवीनीकरण को प्रोत्साहन देना, भिन्न हितधारकों के लिए मंच उपलब्ध करवाना और सहयोगात्मक अवसर सुनिश्चित करना, देश में नवीनीकरण और उद्यमिता की देखरेख के लिए एक वृहद मंच बनाना है।

ज्यादा जानने के लिए क्लिक करें:  https://aim.gov.in/

 

वेंचर सेंटर के बारे में

पुणे का वेंचर सेंटर विज्ञान आधारित व्यापार और नवाचार स्टार्टअप को प्रोत्साहन देने वाला भारत का प्रमुख केंद्र है। यह सीएसआईआर- राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला, पुणे, द्वारा आयोजित एक गैर-लाभकारी, स्टार्टअप को प्रोत्साहन देने वाला संस्थान है। साथ ही यह पुणे ज्ञान समूह का हिस्सा है। 2015 और 2019 में वेंचर सेंटर ने स्टार्टअप प्रोत्साहन और स्टार्टअप परितंत्र को बनाने के लिए कई राष्ट्रीय पुरस्कार जीते। इसने 2018 में “एशिया इनक्यूबेटर ऑफ द ईयर अवार्ड (एएबीआई)” जीता था। यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, बीआईआरएसी और आईडीईएक्स का सहभागी स्टार्टअप प्रोत्साहक है। इसने पिछले 15 सालों में 600 से ज्यादा स्टार्टअप कंपनियों को प्रोत्साहन दिया है, जिसमें कई पहली बार भारत में उपलब्ध होने वाले उत्पाद और कोविड के दौरान सहयोग करने वाले स्टार्टअप शामिल हैं।

ज्यादा जानने के लिए क्लिक करें: www.venturecenter.co.in

 

बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के बारे में

बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन एक गैर लाभकारी संगठन है, जो सभी लोगों को स्वास्थ्य एवम् उत्पादक जीवन जीने के लिए मदद करता है। प्रगतिशील देशों में यह लोगों के स्वास्थ्य में सुधार लाने में और उन्हें भूख-गरीबी से निकालने के लिए अवसर उपलब्ध करवाने पर काम करता है। अमेरिका में यह तय करता है कि लोग- खासकर वह लोग जिनके पास बेहद कम संसाधन हैं, उन्हें वह सारे अवसर मिलें, जो स्कूल और जीवन में सफल बनने के लिए जरूरी हैं। सिएटल, वाशिंगटन में स्थित यह संस्था सीईओ मार्क सुजमैन के नेतृत्व में काम करती है। इसे सह-अध्यक्ष बिल गेट्स और मेलिंडा फ्रेंच गेट्स के साथ-साथ न्यास मंडल से निर्देशन मिलता है।

ज्यादा जानने के लिए क्लिक करें:  https://www.gatesfoundation.org/our-work/places/india#

 

मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय के बारे में

मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय भारत सरकार को विज्ञान और तकनीक से जुड़ी नीतियों और देश के लिए रणनीतिक सामाजिक-आर्थिक महत्‍व वाले हस्तक्षेपों के संबंध में सलाह देता है। यह अलग-अलग मंत्रालयों, संस्थानों, अकादमिक जगत और उद्योगों के सहयोग से किया जाता है।

ज्यादा जानने के लिए क्लिक करें: https://www.psa.gov.in/

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