खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने वित्त वर्ष 2021-22 में पीएमईजीपी के तहत अब तक के सबसे अधिक रोजगारों का सृजन करके पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़े
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के निष्पादन में खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के लिए वित्त वर्ष 2021-22 ऐतिहासिक कारनामों से भरा वर्ष रहा है। आयोग ने अभूतपूर्व रूप से 1.03 लाख नई विनिर्माण और सेवा इकाइयों की स्थापना की और 8.25 लाख से अधिक रोजगारों का सृजन किया। इससे पीएमईजीपी वर्ष 2021-22 में सरकार के आत्म-स्थायित्व के सबसे शक्तिशाली उपाय के रूप में उभरा है, हालांकि देश कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान वर्ष के पहले 3 महीनों में आंशिक रूप से लॉकडाउन के अधीन था।
वर्ष 2008 में पीएमईजीपी योजना के शुरुआत के बाद ऐसा पहली बार हुआ है, जब केवीआईसी ने एक वित्त वर्ष में एक लाख से अधिक नई इकाइयां स्थापित की हैं। ये 1,03,219 इकाइयां लगभग 12,000 करोड़ रुपये की कुल पूंजी से स्थापित की गई हैं, जिसमें केवीआईसी ने 2,978 करोड़ रुपये की मार्जिन मनी सब्सिडी वितरित की है, जबकि बैंक क्रेडिट प्रवाह लगभग 9,000 करोड़ रुपये था। वर्ष 2021-22 में केवीआईसी द्वारा दी गई 2,978 करोड़ रुपये की मार्जिन मनी सब्सिडी वर्ष 2008 से लेकर अब तक की ऐसी सबसे अधिक राशि है। पूरे देश में इससे 8,25,752 नए रोजगार सृजित हुए, जो पीएमईजीपी के तहत अब तक के सबसे अधिक रोजगार हैं।
पिछले वर्ष यानी 2020-21 की तुलना में पीएमईजीपी के तहत स्थापित इकाइयों की संख्या और जुटाए गए रोजगारों की संख्या में 39-39 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि मार्जिन मनी वितरण (सब्सिडी) में भी वित्त वर्ष 2021-22 में 36 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है। .
व्यापक परिप्रेक्ष्य में वर्ष 2014-15 से पीएमईजीपी के तहत स्थापित इकाइयों की संख्या में भी 114 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जबकि रोजगार सृजन 131 प्रतिशत बढ़ा। वर्ष 2021-22 में मार्जिन मनी वितरण में 165 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। .
केवीआईसी के अध्यक्ष श्री विनय कुमार सक्सेना ने रोजगार सृजन में हुई इस भारी बढ़ोतरी का श्रेय आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए प्रधानमंत्री के प्रोत्साहन को दिया है। इस बड़े प्रोत्साहन ने चमत्कार किया है। कोविड-19 महामारी को ध्यान में रखते हुए स्थानीय विनिर्माण और स्वरोजगार के लिए यह एक बड़ा प्रोत्साहन है। पीएमईजीपी के तहत बड़ी संख्या में युवाओं, महिलाओं और प्रवासियों को स्वरोजगार गतिविधियां अपनाने के लिए भी प्रेरित किया गया। इसके अलावा, एमएसएमई मंत्रालय और केवीआईसी के पीएमईजीपी के तहत परियोजनाओं के निष्पादन में तेजी लाने के लिए अनेक नीतिगत निर्णयों ने भी इस सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को हासिल करने में सहायता प्रदान की।
हाल के वर्षों में केवीआईसी ने पीएमईजीपी के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए अनेक पहल की हैं। वर्ष 2016 में केवीआईसी ने पीएमईजीपी के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल प्रस्तुत किया था। वर्ष 2016 से पहले आवेदनों को मैन्युअल रूप से प्रस्तुत किया जाता था। इससे प्रति वर्ष औसत रूप से केवल 70,000 आवेदन ही प्राप्त होते थे, लेकिन ऑनलाइन पोर्टल स्थापित होने से प्रति वर्ष औसतन 4 लाख आवेदन प्राप्त होते हैं। ऑनलाइन प्रणाली से अधिक पारदर्शिता आई है। पीएमईजीपी पोर्टल ने आवेदकों को बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के अपने आवेदनों को ट्रैक करने में भी सक्षम बनाया है।
एक अन्य प्रमुख कदम के रूप में केवीआईसी ने सभी पीएमईजीपी इकाइयों की जियो-टैगिंग भी शुरू कर दी है ताकि किसी भी समय इन इकाइयों की भौतिक स्थिति और उनके प्रदर्शन को सत्यापित किया जा सके। अब तक 1 लाख से अधिक पीएमईजीपी इकाइयों की जियो-टैगिंग की जा चुकी है। इससे कोई भी व्यक्ति मोबाइल ऐप का उपयोग करके पीएमईजीपी इकाइयों का पता लगाने में सक्षम हो जाता है।
इसके अलावा, एमएसएमई मंत्रालय ने केवीआईसी द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के आधार पर पीएमईजीपी परियोजनाओं को मंजूरी देने में जिला स्तरीय टास्क फोर्स समिति की भूमिका को समाप्त करके परियोजनाओं को मंजूरी देने और सीधे वित्त पोषक बैंकों को भेजने के लिए केवीआईसी ने राज्य निदेशकों को अधिकृत कर दिया है।
केवीआईसी ने अपने राज्य निदेशकों द्वारा आवेदनों की जांच और अग्रेषित करने की समय सीमा 90 दिन से घटाकर केवल 26 दिन कर दी है। इसके अलावा, बैंकों के साथ विभिन्न स्तरों पर मासिक समन्वय बैठकें शुरू की हैं, जिसके परिणामस्वरूप, लाभार्थियों को समय पर ऋणों का वितरण किया गया है।
वर्ष | पीएमईजीपी के तहत केवीआईसी की वर्ष वार उपलब्धियां | ||
स्थापित परियोजनाओं की संख्या | वितरित की गई मार्जन मनी | रोजगार (संख्या) | |
2014-15 | 48,168 | 1122.54 | 3,57,502 |
2015-16 | 44,340 | 1020.06 | 3,23,362 |
2016-17 | 52,912 | 1280.94 | 4,07,840 |
2017-18 | 48,398 | 1312.4 | 3,87,184 |
2018-19 | 73,427 | 2070.00 | 5,87,416 |
2019-20 | 66,653 | 1950.81 | 5,33,224 |
2020-21 | 74,415 | 2188.78 | 5,95,320 |
2021-22 | 1,03,219 | 2977.61 | 8,25,752 |
कुल योग | 5,11,532 | 13,923.14 | 40,17,600 |
2020-21 | 39 प्रतिशत | 36 प्रतिशत | 39 प्रतिशत |
2014-15 से प्रतिशत वृद्धि | 114 प्रतिशत | 165 प्रतिशत | 131 प्रतिशत |
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