स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रमुख टेलीमेडिसिन सेवा – “ई-संजीवनी” ने 3 करोड़ टेली-परामर्श का रिकॉर्ड बनाया
“ई-संजीवनी” टेलीमेडिसिन ने एक दिन में 1.7 लाख परामर्श पूरा करके एक नया कीर्तिमान स्थापित किया
ई-संजीवनी के जरिए आयुष्मान भारत- स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र में पूरे देश के 2,26,72,187 रोगियों को सेवा प्रदान की गई है
भारत ने अपनी ई-हेल्थ यात्रा में एक उपलब्धि प्राप्त की है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ई-संजीवनी टेलीमेडिसिन सेवा ने 3 करोड़ टेली-परामर्श की संख्या को पार कर लिया है। इसके साथ ही “ई-संजीवनी” टेलीमेडिसिन ने एक दिन में 1.7 लाख परामर्श पूरा करके एक नया रिकॉर्ड भी बनाया है।
कुछ राज्यों में यह सेवा पूरे हफ्ते जारी रहती है। वहीं, कुछ राज्यों में चौबीसों घंटे लोगों को इसकी सेवा दी जा रही है। कोविड-19 महामारी के दौरान टेलीमेडिसिन सेवा ने अपना काफी योगदान दिया है। इसने अस्पतालों पर भार को कम करने के साथ ही मरीजों को डॉक्टरों से डिजिटल माध्यम /दूर रहकर परामर्श प्राप्त करने में सहायता की है। इससे लाभार्थियों के घरों तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाकर गांव और शहर के बीच के अंतर को पाटने में सहायता मिली है।
ई-संजीवनी, किसी भी देश की अपनी तरह की पहली टेलीमेडिसिन पहल है। इसके दो प्रकार हैं:
1. ई-संजीवनी आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (एबी-एचडब्ल्यूसी): भारत सरकार की आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र योजना के तहत एक डॉक्टर से दूसरे डॉक्टर के बीच टेलीमेडिसिन सेवा ग्रामीण क्षेत्रों और अलग-थलग (आइसोलेटेड) समुदायों में सामान्य और विशिष्ट स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए है। एक डॉक्टर से दूसरे डॉक्टर के बीच टेलीमेडिसिन एक हब और स्पोक मॉडल पर आधारित है। ‘ई-संजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी’ स्पोक यानी एचडब्ल्यूसी में लाभार्थी (चिकित्सा सहायक व विभिन्न गतिविधियों में सक्षम व्यक्ति) और हब (तृतीयक स्वास्थ्य सुविधा/अस्पताल/मेडिकल कॉलेज) में डॉक्टर/विशेषज्ञ के बीच वर्चुअल माध्यम से जुड़ाव को संभव बनाता है। यह हब डॉक्टरों और विशेषज्ञों के साथ स्पोक में लाभार्थी को (चिकित्सा सहायकों के जरिए) रियल टाइम वर्चुअल परामर्श की सुविधा प्रदान करता है। वहीं, सेशन के अंत में तैयार किए गए ई-पर्चे का उपयोग दवाइयों को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। भौगोलिक स्थिति, पहुंच, लागत और दूरी की बाधाओं को दूर करते हुए सूचना प्रौद्योगिकी की क्षमता का लाभ उठाकर अधिकतम संख्या में नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के एक दृष्टिकोण से ‘ई-संजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी’ को लागू किया गया था। वर्तमान में ‘ई-संजीवनी एचडब्ल्यूसी लगभग 50,000 स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों में संचालित है।
2. ई-संजीवनी ओपीडी : यह एक रोगी से डॉक्टर के बीच टेलीमेडिसिन सेवा है, जो लोगों को अपने घरों में ही रहकर आउट पेशेंट सेवाएं (ओपीडी) प्राप्त करने में सक्षम बनाती है। देश के सभी हिस्सों के नागरिकों ने ‘ई-संजीवनी ओपीडी’ को तेजी से और व्यापक रूप से अपनाया है। यह एंड्रॉइड और आईओएस आधारित स्मार्टफोन, दोनों के लिए एक मोबाइल ऐप के रूप में उपलब्ध है और इसे 30 लाख से अधिक बार डाउनलोड किया जा चुका है।
3 करोड़ लाभार्थियों में से 2,26,72,187 को ई-संजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी पोर्टल के जरिए सेवा प्रदान की गई है। वहीं, 73,77,779 ने ई-संजीवनी ओपीडी के माध्यम से लाभ उठाया है। राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा पर लाभार्थियों की सेवा के लिए 1,00,000 से अधिक डॉक्टरों और विशेषज्ञों आदि को जोड़ा गया है। ‘ई-संजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी’ के जरिए परामर्श की पर्याप्त संख्या इस बात का संकेत है कि ग्रामीण भारत ने डिजिटल स्वास्थ्य तकनीकों को अपनाया है। यह आयुष्मान भारत योजना के उद्देश्य को और अधिक मजबूती प्रदान करता है, जो लोगों के घरों के करीब सार्वभौमिक, नि:शुल्क और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करके सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लिए प्रयासरत है।
अब ई-संजीवनी ओपीडी, आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता (आभा) को बनाने में भी सक्षम है, जो आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) के अनुरूप लाभार्थी की सहमति से इसमें हिस्सा लेने वाले स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और लाभार्थियों के साथ स्वास्थ्य डेटा की पहुंच और इसे साझा करने की सुविधा प्रदान करेगा।
चूंकि ई-संजीवनी को प्रगत संगणन विकास केंद्र (सी-डैक) की मोहाली शाखा में स्वास्थ्य सूचना विज्ञान समूह ने स्वदेशी रूप से विकसित किया है, इसलिए यह ‘मेक इन इंडिया’ पहल का एक उदाहरण है। कई अनुभवी इंजीनियर उच्च प्रवाह क्षमता और उच्च सक्रियता अवधि सुनिश्चित करने के लिए निरंतर बैकएंड तकनीकी और परिचालन सहायता प्रदान कर रहे हैं। राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा 99.5 फीसदी से अधिक सक्रियता अवधि के साथ संचालित है। ई-संजीवनी को अब सी-डैक की मोहाली की शाखा में स्वास्थ्य सूचना विज्ञान समूह आगे बढ़ाने का काम कर रहा है। वहीं, सेवा की सुविधा और प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के नेतृत्व वाले उपायों की परिकल्पना की जा रही है। निकट भविष्य में हर दिन 10 लाख से अधिक परामर्श प्रदान किए जाने की सेवाएं शुरू हो सकती है।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा की सफलता और देश में टेलीमेडिसिन को तेजी से अपनाने को देखते हुए रक्षा मंत्रालय ने सुरक्षा कर्मियों के लिए एक टेलीमेडिसिन पोर्टल– सेहतओपीडी – सेवा ई-हेल्थ टेलीपरामर्श और सहायता शुरू कीहै। सेहतओपीडी विशेष रूप से रक्षाकर्मियों और उनके आश्रितों की सेवा कर रही है। इसके अलावा जल्द ही सेहतओपीडी को भूतपूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ईसीएचएस) के साथ एकीकृत किया जाएगा, जिससे पूर्व सैनिकों और उनके परिवार के सदस्यों को टेली-परामर्श का लाभ आसानी से मिल सके। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) और एलायंस इंडिया एचआईवी/एड्स से पीड़ित लोगों के लिए एक समर्पित राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म (ई-एचआईवीकेयर) पर काम कर रहे हैं। यह तकनीक के मामले में भी ई-संजीवनी की तरह काम करेगा। हालांकि इसे इस तरह से अनुकूलित किया जाएगा, जो एचआईवी/एड्स के रोगियों की विशेष जरूरतों को पूरा करे, ताकि उनके लिए बेहतर और अधिक आरामदायक गुणवत्ता वाले उपचार को उपलब्ध करवाया जा सके।
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