भारतीय वैज्ञानिकों ने यूरिया के विद्युत अपघटन (इलेक्ट्रोलिसिस) की मदद से ऊर्जा कुशल हाइड्रोजन उत्पादन के लिए एक विद्युत उत्प्रेरक प्रणाली (इलेक्ट्रोकैटलिस्ट सिस्टम) को तैयार किया है। यूरिया इलेक्ट्रोलिसिस कम लागत वाले हाइड्रोजन उत्पादन के साथ यूरिया आधारित अपशिष्ट उपचार की दिशा में सहायक है। हमारे देश के लाभ के लिए ऊर्जा उत्पादन के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है। यूरिया इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा जल के विद्युत अपघटन (इलेक्ट्रोलिसिस) के माध्यम से होने वाले हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए ऊर्जा की आवश्यकता को 70% तक कम किया जा सकता है।
जल विखंडन के ऊर्जा-गहन अंश तथा ऑक्सीजन की उत्पत्ति के स्थान पर यूरिया इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया में यूरिया का ऑक्सीकरण किया जा सकता है। इस प्रक्रिया के लिए कम लागत वाले पृथ्वी-प्रचुर मात्रा में निकल (एनआई) -आधारित उत्प्रेरक का व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है। यूरिया ऑक्सीकरण से जुड़ी मुख्य चुनौती उत्प्रेरक की लंबी क्रिया अवधि को बनाए रखना है क्योंकि सक्रिय साइट पर प्रतिक्रियाशील मध्यवर्ती (सीओएक्स) का अत्यधिक अवशोषण, जिसे उत्प्रेरक विषाक्तता कहा जाता है, परस्पर क्रिया में हानि का कारण बनता है।
इस दिशा में, भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान, नैनो एवं मृदु पदार्थ विज्ञान केंद्र (सेंटर फॉर नैनो एंड सॉफ्ट मैटर साइंसेज -सीईएनएस) से श्री एलेक्स सी, श्री गौरव शुक्ला, श्री मोहम्मद सफीर एनके, और डॉ नीना एस जॉन, सरकार भारत सरकार ने यूरिया के इलेक्ट्रो-ऑक्सीकरण से हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए निकल ऑक्साइड (एनआईओएक्स) आधारित प्रणाली विकसित की है।
पत्रिका (जर्नल) ‘इलेक्ट्रोचिमिका एक्टा’ और ‘जर्नल ऑफ मैटेरियल्स केमिस्ट्री ए’ में प्रकाशित शोध कार्यों की श्रृंखला में, वैज्ञानिकों ने विद्युत उत्प्रेरकों (इलेक्ट्रोकैटलिस्ट्स) की खोज की है और यह दिखाया है कि सतह के दोषपूर्ण निकेल ऑक्साइड (एनआईओ) और डाईनिकेल ट्राईऑक्साइड एनआई2ओ 3 प्रणाली जिनमें अधिक एनआई3 आयन होते हैं, पारंपरिक एनआईओ की तुलना में अधिक कुशल इलेक्ट्रोकैटलिस्ट हैं। उन्होंने एनआईओ (ई-एनआईओ) में सतह दोषपूर्ण असंतृप्त निकेल (एनआई) साइटों का उत्पादन करने के लिए उच्च-ऊर्जा इलेक्ट्रॉन बीम का उपयोग किया है। अध्ययन से पता चलता है कि ई-एनआईओ यूरिया अणु के सुद्रढ़ अवशोषण के कारण यूरिया इलेक्ट्रो-ऑक्सीकरण की प्रत्यक्ष व्यवस्था को पसंद करता है, जबकि एनआईओ कम क्रिया के साथ अप्रत्यक्ष तंत्र का पक्षधर है। इसके अलावा, प्रमुख इलेक्ट्रोकैटलिस्ट विष सीओएक्स को पोटेशियम हाइड्रोक्साइड (केओएच) और यूरिया के आणविक अनुपात को बेहतर गतिज (काईनेटिक्स) के साथ समायोजित करके हटाया जा सकता है।
शोधकर्ताओं, एलेक्स और गौरव, की राय है कि ई-बीम उपचार विद्युत उत्प्रेरकों (इलेक्ट्रोकैटलिस्ट्स) पर बड़ी मात्रा में समन्वित रूप से असंतृप्त सक्रिय साइटों का उत्पादन करने का एक प्रभावी तरीका है। यह देखा गया कि ये उत्पन्न साइटें यूरिया को प्रभावी ढंग से सोख लेती हैं और प्रत्यक्ष यूरिया इलेक्ट्रो-ऑक्सीडेशन तंत्र (यूओआर) का पक्ष लेती हैं। शोधकर्ता, सफीर ने एक अन्य एनआई3+ ऑक्साइड सिस्टम डाईनिकेल ट्राईऑक्साइड एनआई2ओ3 पर अध्ययन जारी रखा, जिससे पता चला कि डाईनिकेल ट्राईऑक्साइड एनआई2ओ3 पर सक्रिय प्रजाति एनआई3+(ओएच) में किकेल ऑक्साइड (एनआईओ) की तुलना में उच्च सीओएक्स सहिष्णुता है। उच्च संयोजकता वाले निकेल ( एनआई) ऑक्साइड प्रणाली की सक्रिय प्रजातियों का उत्प्रेरक गतिविधि पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यूरिया इलेक्ट्रोलिसिस कम लागत वाले हाइड्रोजन उत्पादन के साथ यूरिया आधारित अपशिष्ट उपचार की दिशा में सहायक है। भारत यूरिया उत्पादन में शीर्ष देशों में से एक है, और इसने 2019-20 के दौरान 244.55 एलएमटी यूरिया का उत्पादन किया। नाइट्रोजनयुक्त उर्वरक उद्योग अपशिष्ट के रूप में अमोनिया और यूरिया की उच्च सांद्रता का उत्पादन करते हैं। इसका उपयोग हमारे देश के लाभ के लिए ऊर्जा उत्पादन के लिए किया जा सकता है। प्रकाशन लिंक:
https://doi.org/10.1016/j.electacta.2021.13842 .
https://doi.org/10.1039/D1TA05753G
अधिक जानकारी के लिए, डॉ. नीना एस जॉन (jsneena@cens.res.in) से संपर्क किया जा सकता है।
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