सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) की एक केन्द्रीय क्षेत्र की योजना-क्षमता विकास योजना- 31 मार्च 2026 तक जारी रहेगी
मंत्रिमंडल ने व्यय वित्त समिति (ईएफसी) की सिफारिशों और वित्तीय सीमा आदि के अनुपालन के अधीन क्षमता विकास योजना (सीडी) को 31 मार्च 2026 तक या अगली समीक्षा तक, इनमें से जो भी पहले हो, जारी रखने की मंजूरी दी है। 15वें वित्त आयोग चक्र के दौरान इस योजना को जारी रखने के लिए स्वीकृत परिव्यय 3179 करोड़ रुपये है।
2. क्षमता विकास योजना, सांख्यिकी और कार्यक्रम मंत्रालय द्वारा चलायी जा रही केन्द्रीय क्षेत्र की एक योजना है जिसका समग्र उद्देश्य विश्वसनीय और समय पर आधिकारिक आंकड़ों की उपलब्धता को संभव बनाने के लिए बुनियादी ढांचे, तकनीक के साथ-साथ श्रमशक्ति संबंधी संसाधनों को बढ़ाना है।
3. क्षमता विकास योजना (मुख्य) और दो उप-योजनाएं अर्थात सांख्यिकीय सुदृढ़ीकरण के लिए सहायता (एसएसएस) और आर्थिक गणना (ईसी) शामिल हैं। इसमें मंत्रालय की सभी सांख्यिकीय और डेटा प्रबंधन संबंधी गतिविधियां शामिल है और देश की आधिकारिक सांख्यिकीय प्रणाली के निर्माण और रख-रखाव में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मंत्रालय द्वारा किए जाने वाले बड़े पैमान पर प्रतिदर्श सर्वेक्षण अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण पहलुओं को कवर करते हैं और सरकार के नीति निर्धारण के लिए डेटा इनपुट प्रदान करते हैं। साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने की सुविधा के अतिरिक्त, इन सर्वेक्षणों का उपयोग सरकार द्वारा नीति नियोजन के लिए भी किया जाता है।
4. मंत्रालय के कुछ प्रमुख सांख्यिकीय आंकड़े, जैसे कि सकल मूल्य वर्धन (जीवीए), सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), निजी अंतिम उपभोग व्यय (पीएफसीई), सरकारी अंतिम उपभोग व्यय (जीएफसीई), सकल स्थायी पूंजी निर्माण, स्टॉक में अंतर (सीआईएस), औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी), उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई), श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर), श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर), बेरोजगारी दर (यूआर), औपचारिक क्षेत्र रोजगार सांख्यिकी, सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) संकेतक ढांचा आदि भारतीय अर्थव्यवस्था की निगरानी के लिए उपयोग किए जाने वाले आर्थिक और सामाजिक सूचकांक का एक अनिवार्य हिस्सा हैं।
5. सांख्यिकीय सुदृढ़ीकरण के लिए सहायता (एसएसएस), क्षमता विकास (सीडी) योजना की एक उप-योजना है जिसका उद्देश्य विश्वसनीय आधिकारिक आंकड़ों का संग्रह, संकलन और प्रसार के लिए राज्य सांख्यिकीय प्रणालियों की सांख्यिकीय क्षमता और संचालन में सुधार करना है।
6. समय-समय पर संचालित की जाने वाली आर्थिक गणना उप-योजना भारत की भौगोलिक सीमा के भीतर स्थित सभी गैर-कृषि आर्थिक प्रतिष्ठानों के सम्पूर्ण आंकड़े प्रदान करती है। आर्थिक गणना देश के ऐसे सभी प्रतिष्ठानों के विभिन्न परिचालन और संरचनात्मक चर वस्तुओं पर अलग-अलग जानकारी प्रदान करती है। इसका डेटाबेस नीति निर्माताओं को राज्य/जिलों में आर्थिक विकास और रोजगार सृजन संबंधी रणनीतियों को तैयार करने में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है।
7. क्षमता विकास योजना के तहत नियमित रूप से चल रही गतिविधियों के अतिरिक्त, मंत्रालय निम्नलिखित नए सर्वेक्षणों- सेवा क्षेत्र के उद्यमों का वार्षिक सर्वेक्षण (एएसएसएसई), अनिगमित क्षेत्र के उद्यमों का वार्षिक सर्वेक्षण (एएसयूएसई) और समय उपयोग सर्वेक्षण (टीयूएस) को जारी रखेगा। एएसएसएसई और एएसयूएसई सर्वेक्षण, सेवा क्षेत्र और गैर-निगमित क्षेत्र जो सकल घरेलू उत्पाद में एक प्रमुख हिस्सेदारी में योगदान देता है, में आवश्यक सूचना के लिए मौजूदा डेटा अंतराल को कम करेंगे। समय उपयोग सर्वेक्षण व्यक्तियों की गतिविधियों, विशेष रूप से महिलाओं के समय के बारे में डेटा प्रदान करता है, जो वर्तमान में देश के सकल घरेलू उत्पाद में परिलक्षित नहीं होता है। इस योजना के तहत की जाने वाली अन्य प्रमुख गतिविधियों में घरेलू उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण (एचसीईएस)/उपभोक्ता बास्केट पर सर्वेक्षण (एससीबी), हर साल घरों पर किए जाने वाले व्यापक वार्षिक मॉडयूलर सर्वेक्षण (सीएएमएस), आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस), उपभोक्ता मूल्य सर्वेक्षण (सीपीआई)-ग्रामीण/शहरी/संयुक्त, शहरी फ्रेम सर्वेक्षण (यूएफएस), कीमतों की अंतर्राष्ट्रीय तुलना (आईसीपी), उद्योगों का वार्षिक सर्वेक्षण (एएसआई) और राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षणों की सर्वेक्षण क्षमताओं को मजूबत करने के लिए अन्य संबंधित नियमित गतिविधियां शामिल हैं।
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