केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ग्रीष्मकालीन अभियान 2021-22 के लिए कृषि पर चौथे राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया


केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा : पिछले तीन वर्षों में जायद फसलों का रकबा 29.71 से बढ़ाकर 80.46 लाख हेक्टेयर करने में सरकारी प्रयास कारगर साबित हुए

राज्यों को आईसीएआर द्वारा विकसित बीजों की नई किस्मों के उपयोग पर ध्यान देना चाहिए: श्री तोमर

केंद्र और राज्यों को उत्पादन लागत कम करने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना चाहिए: कृषि मंत्री

श्री तोमर ने कहा : कृषि विज्ञान केंद्र और कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी छोटे किसानों के लिए संयुक्त प्रशिक्षण आयोजित करें

केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने आज वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से ग्रीष्मकालीन अभियान 2021-22 के लिए कृषि विषय पर चौथे राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि ग्रीष्मकालीन फसलें न केवल अतिरिक्त आय प्रदान करती हैं बल्कि रबी से खरीफ तक किसानों के लिए रोजगार के अवसर सृजित करती हैं और फसल की तीव्रता में भी वृद्धि होती है। सरकार ने दलहन, तिलहन व पोषक-अनाज जैसी ग्रीष्मकालीन फसलों की खेती के लिए विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये नई पहल की है। हालांकि गर्मी के मौसम में आधे से अधिक कृषि क्षेत्र में दलहन, तिलहन और पोषक अनाज की बुआई की जाती है, लेकिन सिंचाई के स्रोत वाले किसान गर्मी के मौसम में चावल और सब्जियां उगा रहे हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि चावल सहित जायद फसलों की खेती का रकबा 2017-18 में 29.71 लाख हेक्टेयर से 2020-21 में  2.7 गुना बढ़कर 80.46 लाख हेक्टेयर हो गया है।

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जायद सम्मेलन का उद्देश्य पूर्ववर्ती फसल मौसमों के दौरान फसल के प्रदर्शन की समीक्षा और मूल्यांकन करना तथा राज्य सरकारों के परामर्श से गर्मी के मौसम के लिए फसलवार लक्ष्य निर्धारित करना है। मंत्री महोदय ने फसलों के उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने की दृष्टि से महत्वपूर्ण इनपुट की आपूर्ति सुनिश्चित करने और नवीन प्रौद्योगिकियों को अपनाने की सुविधा के लिए पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता तिलहन और दालों का उत्पादन बढ़ाना है जहां बड़े आयात की आवश्यकता होती है।

आईसीएआर द्वारा विकसित बीजों की नई किस्मों के बारे में श्री तोमर ने कहा कि राज्यों को गर्मियों की फसलों के बेहतर उत्पादन के लिए नई किस्मों के बीजों का उपयोग करना चाहिए। मंत्री महोदय ने राज्यों को अपनी उर्वरक आवश्यकताओं के लिए अग्रिम योजना बनाने और केंद्र को इसका अनुमान प्रदान करने के लिए भी कहा ताकि उर्वरक विभाग समय पर पर्याप्त उर्वरक उपलब्ध करा सके। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि राज्यों को एनपीके और तरल यूरिया का उपयोग बढ़ाना चाहिए और डीएपी उर्वरकों पर निर्भरता कम करनी चाहिए।

किसानों को प्रशिक्षण देने के संबंध में कृषि मंत्री ने कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) और कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (एटीएमए) को संयुक्त रूप से छोटे और सीमांत किसानों के लिए आवश्यक प्रशिक्षण आयोजित करने के लिए कहा ताकि नई तकनीक और ज्ञान जमीनी स्तर तक पहुंच सके।

कोविड के कारण कठिन समय के बावजूद, देश ने 2020-21 (चौथे अग्रिम अनुमान) के दौरान 3086.47 लाख टन खाद्यान्न का उत्पादन किया, जो एक सर्वकालिक रिकॉर्ड होगा। दलहन और तिलहन का उत्पादन भी क्रमश: 257.19 और 361.01 लाख टन के अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। कपास का उत्पादन 353.84 लाख गांठ होने का अनुमान है जिसके साथ भारत विश्व में पहले स्थान पर पहुंचना तय है। उत्पादन और उत्पादकता के मोर्चे पर, बागवानी क्षेत्र ने पारंपरिक खाद्यान्न फसलों के उत्पादन में भी बेहतर प्रदर्शन किया है।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी ने बताया कि अब तिलहन और दलहन का उत्पादन बढ़ाने और देश को आत्मनिर्भर बनाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के संबंध में श्री चौधरी ने राज्यों को सलाह दी कि वे पूरे ब्लॉक या क्षेत्र को जैविक / प्राकृतिक कृषि ब्लॉक के रूप में प्रमाणित करने के लिए प्रस्ताव भेजें ताकि उस क्षेत्र के किसानों को व्यक्तिगत रूप से प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करने की आवश्यकता न हो। उन्होंने राज्यों से जैविक खेती करने वाले किसानों के लिए बाजार उपलब्ध कराने को भी कहा।

राज्यों के उर्वरक विभाग के सचिवों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उर्वरकों की पर्याप्त और समय पर उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने खरीफ 2022 के लिए उर्वरकों की अनुमानित उपलब्धता भी दी। यूरिया की कुल उपलब्धता 255.28 (एलएमटी), डीएपी 81.24, एमओपी 18.50, एनपीकेएस 76.87 और एसएसपी 34 होने की संभावना है। डीएआरई और डीजी, आईसीएआर के सचिव ने ग्रीष्मकालीन फसलों की खेती के लिए नवीनतम तकनीकी विकास पर प्रकाश डाला।

ग्रीष्म 2021-22 के लिए दलहन, तिलहन और पोषक-अनाज के लिए राष्ट्रीय और राज्यवार लक्ष्य निर्धारित किए गए थे। 2020-21 में इन फसलों के तहत 40.85 लाख हेक्टेयर की तुलना में, देश में 2021-22 के दौरान 52.72 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को शामिल किया जाएगा। 21.05 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में दलहन जबकि 13.78 और 17.89 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में क्रमश: तिलहन और पोषक अनाज की बुवाई शामिल होगी। दलहन और तिलहन को एनएफएसएम और एनएफएसएम (ओएस एंड ओपी) के लक्षित चावल परती क्षेत्र उप-घटक के माध्यम से बढ़ावा दिया जाएगा। इन्हें गन्ना और पाम ऑयल में अंतर-फसल के रूप में भी सहायता दी जाएगी।

संयुक्त सचिव (फसल और तिलहन) ने एक प्रस्तुति में वर्षा की स्थिति, प्रमुख जलाशयों में पानी का क्षेत्रवार सजीव भंडारण, विभिन्न फसलों के तहत मौसम के अनुसार अनुमानित क्षेत्र कवरेज, 2022 में ज़ायद/गर्मी के मौसम में प्रवृत्ति और क्षेत्र कवरेज, ग्रीष्मकालीन फसलों के लिए मौजूदा समर्थन कार्यक्रम और राज्यवार क्षेत्र के तहत कवरेज के लिए अनुमानित क्षेत्र पर प्रकाश डाला।

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सम्मेलन के दौरान ‘भारतीय बीज प्रमाणन पर कार्य पुस्तिका’ का विमोचन किया गया। राज्यों के लाभ के लिए सम्मेलन के दौरान पीएम किसान ई-केवाईसी और किसानों के डेटाबेस पर प्रस्तुतियां भी दी गईं।

केंद्रीय कृषि मंत्री

सचिव (कृषि) श्री संजय अग्रवाल और डीए एंड एफडब्ल्यू, आईसीएआर के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों और विभिन्न राज्य सरकारों के अधिकारियों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया। कृषि क्षेत्र में ग्रीष्म/ज़ायद मौसम के दौरान क्षेत्र कवरेज, उपलब्धियों, चुनौतियों तथा उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए संबंधित राज्यों में अपनाई जाने वाली रणनीतियों को साझा करने के लिए चार समूहों में सभी राज्यों के कृषि उत्पादन आयुक्तों और प्रधान सचिवों के साथ एक बातचीत का सत्र भी आयोजित किया गया था।

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