केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया, महामारी से निपटने के लिए रेलवे कोचों, एसी बसों, बंद जगहों आदि में सीएसआईआर की नई विकसित कीटाणुशोधन प्रौद्योगिकी स्थापित की जा रही है

रेलवे, संसद भवन और एसी बसों में यूवी-सी कीटाणुशोधन प्रौद्योगिकी के सफल परीक्षणों के बाद, यह अब आम जनता के उपयोग के लिए सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध है

सीएसआईआर-सीएसआईओ (केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन) के माध्यम से विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा विकसित यूवी-सी प्रौद्योगिकी सार्स-सीओवी-2 के वायु संचरण को कम करने के लिए पूरी तरह से प्रभावी है और यह कोविड-काल के बाद भी प्रासंगिक रहेगी

डॉ. जितेंद्र सिंह ने सार्स-सीओवी-2 के संचरण को कम करने के लिए कीटाणुशोधन प्रौद्योगिकियों पर सीएसआईआर दिशानिर्देश जारी किए

सीएसआईआर शारीरिक रैलियों पर प्रतिबंध के मद्देनजर 5 राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों के दौरान सीमित क्षमता के साथ इनडोर बैठकों के लिए इस प्रौद्योगिकी के उपयोग के लिए चुनाव आयोग को लिखेगा: डॉ. जितेंद्र सिंह

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज यहां कहा कि महामारी से निपटने के लिए रेलवे कोचों, एसी बसों, बंद जगहों आदि में सीएसआईआर की नई विकसित कीटाणुशोधन प्रौद्योगिकी स्थापित की जा रही है।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि सीएसआईआर-सीएसआईओ (केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन) के माध्यम से विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा विकसित यूवी-सी प्रौद्योगिकी सार्स-सीओवी-2 के वायु संचरण को कम करने के लिए पूरी तरह से प्रभावी है और यह कोविड-काल के बाद भी प्रासंगिक रहेगी। उन्होंने कहा कि रेलवे, एसी बसों और यहां तक कि संसद भवन में भी इसका सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है और अब यह आम जनता के उपयोग के लिए सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध है।

डॉ. जितेंद्र सिंह सार्स-सीओवी-2 संचरण को कम करने के लिए कीटाणुशोधन प्रौद्योगिकी पर सीएसआईआर दिशानिर्देश जारी करने के बाद बोल रहे थे। हालांकि, डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगाह किया कि इस कीटाणुशोधन प्रौद्योगिकी की स्थापना के बाद भी, सभी को कोविड के अनुरूप व्यवहार का सख्ती से पालन करने की सलाह दी जाती है, जिसमें फेस मास्क का उपयोग, सामाजिक दूरी बनाए रखना, भीड़भाड़ से दूर रहना आदि शामिल हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आवश्यक वायु-संचार के उपायों, जरूरी सुरक्षा और उपयोगकर्ता के लिए दिशानिर्देशों और परखे गए जैव-सुरक्षा मानकों आदि के साथ एयरोसोल में निहित सार्स सीओवी-2 वायरस को निष्क्रिय करने के लिए यह प्रौद्योगिकी विकसित की गई है। यूवी-सी 254 एनएम यूवी प्रकाश का उपयोग करके उपयुक्त खुराक के साथ वायरस, बैक्टीरिया, फंगस व अन्य बायो- एयरोसोल आदि को निष्क्रिय कर देता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि एक निश्चित अवधि के लिए वास्तविक रैलियों और रोड शो पर प्रतिबंध के मद्देनजर 5 राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए सीमित क्षमता के साथ कमरों के भीतर बैठकों के दौरान इस प्रौद्योगिकी के उपयोग के लिए सीएसआईआर भारतीय चुनाव आयोग को लिखेगा। उन्होंने कहा कि यूवी-सी एयर डक्ट कीटाणुशोधन प्रणाली का उपयोग सभागारों, बड़े सम्मेलन कक्षों, मॉल आदि में किया जा सकता है जो वर्तमान महामारी में इंडोर गतिविधियों के लिए अपेक्षाकृत सुरक्षित वातावरण प्रदान करता है।

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चुनाव आयोग ने हाल ही में चुनावों के दौरान आदर्श आचार संहिता और कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए, 300 लोगों की अधिकतम क्षमता या हॉल या सभागार के 50 प्रतिशत क्षमता के साथ इनडोर बैठकों की अनुमति दी है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि सार्स-सीओवी-2 के वायु संचरण को कम करने के लिए बनाई गई प्रौद्योगिकी को संसद के मानसून सत्र से पहले पिछले साल जुलाई में सेंट्रल हॉल, लोकसभा कक्ष और कमेटी रूम 62 और 63 में स्थापित किया गया था। डॉ. सिंह ने कहा कि वह आगामी बजट सत्र से पहले राज्यसभा के महासचिव को इस प्रौद्योगिकी की स्थापना के लिए पत्र लिखेंगे।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने वैज्ञानिक खोज में सीएसआईआर की विरासत का जिक्र किया और वैज्ञानिकों से विभिन्न क्षेत्रों के संगठन द्वारा आम आदमी के दैनिक जीवन को सरल बनाने में निभाई गई भूमिका को उजागर करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सीएसआईआर को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्व स्तर पर एक अद्वितीय स्थान प्राप्त है।

आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) के सचिव श्री मनोज जोशी ने इस अवसर पर कहा कि सीपीडब्ल्यूडी सरकारी और निजी भवनों में यूवी-सी एयर डक्ट कीटाणुशोधन प्रणाली के व्यापक प्रसार और इसे अपनाने के लिए सीएसआईआर के साथ काम करेगा।

रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक ए के मल्होत्रा ने बताया कि यूवी-सी कीटाणुशोधन प्रौद्योगिकी का एक महीने के लिए बांद्रा से चंडीगढ़ तक 1000 किलोमीटर की दूरी की रेलगाडियों के डिब्बों में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है। उन्होंने कहा कि आरडीएसओ (रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गनाइजेशन), लखनऊ ने चरणबद्ध तरीके से सभी रेल कोचों में इस प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की सिफारिश की है।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री अमित वरदान ने बताया कि उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) की एसी बसों में यूवी तकनीक का सफलतापूर्वक उपयोग किया गया था। उन्होंने बताया कि उनका मंत्रालय सभी यात्री परिवहन वाहनों में इसे लगाने के लिए उत्सुक है।

डीजी, सीएसआईआर, श्री शेखर सी मांडे, डॉ. राजेश गोखले और देशभर में स्थित सीएसआईआर की प्रयोशालाओं के वरिष्ठ अधिकारी हाइब्रिड मोड से इस कार्यक्रम में शामिल हुए।

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