उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने आज भारत को सभी क्षेत्रों में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाने की अपील की।
रक्षा क्षेत्र में आयात में कमी कर स्वदेशी उत्पादों में बढ़ोतरी करें : उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने उत्कृष्ट कार्य के लिए रक्षा, अंतरिक्ष और अन्य क्षेत्रों में वैज्ञानिकों की सराहना की
उपराष्ट्रपति ने नौसेना भौतिक और समुद्र विज्ञान प्रयोगशाला का दौरा किया और वैज्ञानिकों को संबोधित किया
श्री नायडू ने टोड ऐरे इंटीग्रेशन सुविधा की वर्चुअल माध्यम से नींव रखी
उपराष्ट्रपति ने डॉ एपीजे अब्दुल कलाम स्मारक समर्पित किया
उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने आज भारत को सभी क्षेत्रों में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाने की अपील की।
कोच्चि में नौसेना भौतिक और समुद्र विज्ञान प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों और कर्मचारियों को संबोधित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी उपकरणों को बढ़ावा देने और आयात में कटौती करने की जरूरत पर जोर दिया।
श्री नायडू ने कहा, “इसे हासिल करने के लिए, हमें न केवल अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों पर अधिक जोर देने की जरूरत है, बल्कि सख्त गुणवत्ता नियंत्रण के साथ, जहां भी संभव और जरूरत हो, निजी क्षेत्र की साझेदारी को भी अनुमति देने की जरूरत है।”
इस अवसर पर, उपराष्ट्रपति ने टोड ऐरे सोनार सिस्टम के विकास के लिए आवश्यक “टोड एरे इंटीग्रेशन फैसिलिटी” की नींव रखी। जो पानी के भीतर रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। टोड ऐरे सोनार सिस्टम से समुद्र के अंदर घात लगाई बैठी पनडुब्बियों का पता लगाने के लिए, नौसेना की क्षमता बढ़ने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा कि भारत आने वाले दशकों में एक वैश्विक महाशक्ति बनने की राह पर मजबूती से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने, रक्षा, अंतरिक्ष और अन्य क्षेत्रों में भारत की सुरक्षा को मजबूत करने में बेहतरीन काम करने के लिए वैज्ञानिकों की सराहना की।
भारत अभी भी रक्षा उपकरणों के सबसे बड़े आयातक देशों में से एक है, इस बात का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, एनपीओएल जैसी एक छोटी प्रयोगशाला का देश की रक्षा जरूरतों के सशक्तिकरण में किया गया योगदान वास्तव में सराहनीय है।
उपराष्ट्रपति ने कहा, हमारे पड़ोस के भू-राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए, राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति एनपीओएल की भूमिका सर्वोपरि है। भारतीय नौसेना के बेड़े में सभी युद्धपोत या पारंपरिक पनडुब्बियों में एनपीओएल द्वारा विकसित सोनार स्थापित है। उन्होंने कहा, “इस विशिष्ट क्षेत्र में आयात रोककर सामाजिक-आर्थिक लाभ पहुंचने के अलावा, एनपीओएल एक बहुत ही जटिल और महत्वपूर्ण तकनीक में महारत हासिल करने में सक्षम है। जो पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताओं में भारतीय नौसेना को रणनीतिक बढ़त दे रही है”।
समुद्र के भीतर निगरानी प्रणाली के क्षेत्र में खुद को एक अग्रणी अनुसंधान एवं विकास केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए प्रयोगशाला की सराहना करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रयोगशाला वर्तमान में महत्वाकांक्षी मिशन मोड परियोजनाओं और प्रौद्योगिकी आधारित परियोजनाओं पर काम कर रहा है, इसके अलावा एक प्रमुख एकीकृत समुद्री निगरानी (आईएनएमएआईरएस) कार्यक्रम शुरू कर रहा है। जो कि भारतीय नौसेना के अगले 15 वर्षों के लिए भविष्य की आवश्यकता के लिए तैयार किया गया कार्यक्रम है।
उद्योग के साथ मजबूत नेटवर्क बनाने और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के वित्तीय प्रदर्शन में सुधार की दिशा में अहम योगदान देने के लिए एनपीओएल की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि एनपीओएल ने विशिष्ट प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए एमएसएमई और स्टार्ट-अप सहित 100 से अधिक स्थानीय उद्योगों को आगे बढ़ाने का योगदान दिया है।
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने आजादी का अमृत महोत्सव के मौके पर प्रयोगशाला के पास स्थापित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम स्मारक का उद्घाटन किया। स्मारक को “बेहद उपयोगी” बताते हुए, उन्होंने कहा कि यह हर दिन अनगिनत लोगों को जीवन के सभी क्षेत्रों में प्रेरित करेगा।
इस मौके पर केरल के राज्यपाल, श्री आरिफ मोहम्मद खान, केरल सरकार के उद्योग मंत्री श्री पी. राजीव, संसद सदस्य, श्री हिबी ईडन, महानिदेशक (नौसेना प्रणाली और सामग्री) डॉ समीर वी कामत, नौसेना भौतिक और समुद्र विज्ञान प्रयोगशाला के निदेशक श्री एस विजयन पिल्लै, फ्लैग ऑफिसर-कमांड इन चीफ, दक्षिणी नौसेना कमान, वाइस एडमिरल एमए हम्पीहोली और अन्य लोग उपस्थित थे।
उपराष्ट्रपति का पूरा भाषण पढ़ने के लिए कृपया अंग्रेजी की विज्ञप्ति देखे
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