ओएनजीसी के मुंबई हाई फील्ड को निजी क्षेत्र को देने के तेल मंत्रालय के प्रस्ताव के बारे में मीडिया रिपोर्टों पर स्पष्टीकरण

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के प्रस्ताव पर ओएनजीसी के मुंबई हाई फील्ड के निजीकरण के बारे में कुछ अखबारों में खबरें छपी हैं।

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय यह स्पष्ट करना चाहेगा कि ओएनजीसी ने 29 से 31 अक्टूबर 2021 तक उदयपुर में एक आंतरिक रणनीतिक बैठक आयोजित की थी। इस बैठक में 25 साल की ऊर्जा परिप्रेक्ष्य योजना बनाने, 15 साल की अन्वेषण योजना के तहत और अधिक क्षेत्र लेने, रिकवरी और प्रौद्योगिकी सम्मिश्रण को बढ़ाने की संभावना के साथ इसके प्रमुख फील्ड के लिए साझेदारी सहित कई सुझाव मिले थे।

सरकार ने फरवरी 2019 में फैसला लिया था कि राष्ट्रीय तेल कंपनियां (एनओसी) अपने परिपक्व और पुराने क्षेत्रों से उत्पादन बढ़ाने के लिए फार्म आउट और संयुक्त उद्यम (जेवी) / तकनीकी सेवा मॉडल (टीएसएम) सहित क्षेत्र विशिष्ट मॉडल चुनने के लिए स्वतंत्र होंगी।

सरकार चाहती है कि तेल और गैस का घरेलू उत्पादन तेजी से बढ़े। अग्रणी संगठन होने के नाते ओएनजीसी को इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। जबकि एक तरफ, तेल अन्वेषण के तहत क्षेत्र को बढ़ाया जाना है जिससे बाद में देश में और नई खोजें हो सकेंगी। वहीं दूसरी ओर, मौजूदा क्षेत्रों से उत्पादन को भी उन्नत प्रौद्योगिकी की तैनाती के साथ, जहां कहीं भी तकनीकी रूप से संभव हो, अधिक उत्पादन कुओं की ड्रिलिंग और बेहतर प्रबंधन द्वारा बढ़ाया जाना है। इसके लिए निजी क्षेत्र की कंपनियों को भागीदार के रूप में या विभिन्न व्यवसाय मॉडल के माध्यम से शामिल किया जा सकता है ताकि इस क्षेत्र में अनुभवी ऐसी कंपनियों के माध्यम से नई तकनीक और प्रौद्योगिकी लाई जा सके। हालांकि, यह सब पारदर्शी तरीके से प्रणाली और प्रक्रियाओं का पालन करके किया जाना है। ओएनजीसी को घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए अपनी योजना तैयार करनी होगी और सही निर्णय लेने होंगे।

देश में अपतटीय और तटवर्ती क्षेत्रों में कई बड़ी और छोटी कंपनियों के संचालन की पर्याप्त गुंजाइश है क्योंकि अब भी पर्याप्त क्षेत्र उपलब्ध है।

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