दिल्ली में अलग-अलग स्रोतों से होने वाले वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने की परियोजना लागू की जाएगी और इसमें आगामी सर्दियों के मौसम पर विशेष ध्यान दिया जाएगा: वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम)

नागरिक रिपोर्टिंग, मुद्दों की सर्वेक्षण-आधारित रिपोर्टिंग और बेहतर अंतर-एजेंसी समन्वय परियोजना के प्रमुख पहलू

दिल्ली में वायु प्रदूषण में योगदान देने वाले व्यापक अलग-अलग स्रोतों को ध्यान में रखते हुए, आगामी सर्दियों के मौसम के दौरान दिल्ली में अलग-अलग स्रोतों से होने वाले वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक परियोजना लागू की जाएगी।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और आस-पास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने एक गैर सरकारी संगठन एयर पोल्यूशन एक्शन ग्रुप (ए-पीएजी) के समर्थन से दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) की सक्रिय मदद के साथव्यापक अलग-अलग (नॉन प्वाइंट) स्रोतों से होने वाले वायु प्रदूषण को कम करने के लिए दिसंबर, 2020 के महीने में एसडीएमडी के अधीनस्थक्षेत्र में एक पायलट परियोजना शुरू की थी।

एसडीएमसी की इस पायलट परियोजना की प्रगति की समीक्षा सीएक्यूएम द्वारा 22 सितंबर, 2021 को की गई थी और परियोजना से मिली सीख एवं परिणाम के आधार पर, नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी), उत्तरी दिल्ली नगर निगम और पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में परियोजना को दोहराने में अपनी रुचि व्यक्त की है।

पायलट परियोजना से मिली सीख के आधार पर, आने वाले सर्दियों के मौसम में अलग-अलग स्रोतों से होने वाले वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए परियोजना का अब उत्तरी दिल्ली नगर निगम, पूर्वी दिल्ली नगर निगम और नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के क्षेत्रों में विस्तार किया जा रहा है और दोहराया जा रहा है। परियोजना में व्यापक अलग-अलग स्रोतों से उत्पन्न होने वाले वायु प्रदूषण से संबंधित मुद्दों की आसान पहचान, आवंटन और समाधान की परिकल्पना की गई है।

आयोग द्वारा 21 अक्टूबर, 2021 को दिल्ली सरकार के अधिकारियों और नगर निगमों/नई दिल्ली नगर परिषद के आयुक्तों/अध्यक्षों के साथ आयोजित समीक्षा बैठक में, यह निर्णय लिया गया है कि यह परियोजना उत्तरी दिल्ली नगर निगम, पूर्वी दिल्ली नगर निगम और एनडीएमसी में 27 अक्टूबर, 2021 से शुरू हो जाएगी। परियोजना दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी), नोडल अधिकारियों के बीच बेहतर अंतर-एजेंसी समन्वय और अन्य संबंधित एजेंसियों के समर्थन के साथ शुरू की जाएगी। इसके लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी तैयार की गई है।

पायलट परियोजना की सफलता

एक मजबूत समीक्षा और निगरानी कार्यक्रम द्वारा समर्थित, पायलट परियोजना दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के 104 वार्डों में लगभग 17,290 मुद्दों की पहचान करने में सफल रही, जिनमें से 10,900 (63%) मुद्दे एसडीएमसी से संबंधित हैं और बाकी 6,400 (37%) मुद्दे अन्य एजेंसियों को सौंपे गए हैं। इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत, एसडीएमसी ने अपने अधिकार क्षेत्र से संबंधित 95% मुद्दों को सफलतापूर्वक हल कर लिया है। परियोजना अन्य बातों के साथ-साथ मुख्य रूप से निम्नलिखित चरणों पर केंद्रित है:

  • जमीनी स्तर के अधिकारियों को उनके दैनिक कार्यों और वायु की गुणवत्ता के बीच संबंधों को समझने में मदद करने के लिए जागरुकता अभ्यास का आयोजन
  • वायु प्रदूषण के स्तर में वृद्धि में योगदान करने वाले मुद्दों की पहचान करने के लिए तीसरे पक्ष द्वारा सर्वेक्षण
  • पहचाने गए मुद्दों का आवंटन और उन्हें आगे संबंधित एजेंसियों साथ टैग करना
  • संबंधित अधिकारियों द्वारा मुद्दों के समाधान की जमीनी स्तर पर जानकारी
  • शिकायत निवारण प्रक्रिया की दक्षता और प्रभावशीलता में सुधार के लिए स्मार्टसिटी 311 ऐप का विस्तार और
  • जमीनी स्तर पर सर्वेक्षण प्रक्रिया का पालन करने के लिए समीक्षा प्रक्रिया और मुद्दों को हल करते समय उच्च मानकों को सुनिश्चित करना।

इस पायलट परियोजना के तहत प्रदूषण केजिन प्रमुख स्रोतों पर ध्यान दिया गया, उनमें शामिल हैं: कचरे को डंप करने की जगहों, ओवरफ्लो वाले ढलाव, कचरा जलाना, निर्माण और विध्वंस स्थल, सार्वजनिक भूमि पर फेंकाजाने वाला मलबा, कच्ची सड़कों से उठने वाली धूल, बंजर भूमि, औद्योगिक उत्सर्जन, वाहन प्रदूषण आदि।

संपूर्ण शिकायत निवारण प्रक्रिया को बदलने की दिशा में सबसे महत्वपूर्ण कदम के रूप में तकनीकी प्रगति की आवश्यकता को देखते हुए, एसडीएमसी ने ए-पीएजी के तकनीकी समर्थन के साथ एसडीएमसी के 311 लाइव डैशबोर्ड का विस्तार किया और इसेवायु प्रदूषण के अलग-अलग स्रोतों की कुशल एवं प्रभावी निगरानी के लिए एक उन्नत ‘स्मार्टसिटी 311 ऐप’ में अपग्रेड किया।

इस उन्नत ऐप की शुरुआत के साथ, एक टैप के साथ मुद्दों को लेकर आसानी से शिकायत की जा सकती है। ‘स्मार्टसिटी 311 ऐप’ में कई उन्नत विशेषताएं हैं जैसे अन्य एजेंसियों को मुद्दों को फिर से सौंपने के लिए एक सरलीकृत हस्तांतरण प्रोटोकॉल, सत्यापन को चिह्नित करने के लिए सत्यापन जांच की शुरुआत, आसान निगरानी के लिए अद्यतन रिपोर्टिंग प्रारूप, दीर्घकालिक मुद्दों और सुविधाओं की प्रगति का पता लगानेकी %

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