गोवा में पश्चिम एवं मध्य क्षेत्र में स्थित केंद्र सरकार के कार्यालयों, बैंकों एवं उपक्रमों इत्यामदि के लिए संयुक्तं क्षेत्रीय राजभाषा सम्मे्लन का आयोजन किया गया
हिंदी में भारत के वह विशिष्टं सांस्कृ्तिक मूल्यर हैं जिनकी वजह से हम पूरे विश्व में अतुलनीय हैं : श्री अजय कुमार मिश्रा, गृह राज्य मंत्री
किसी भी देश की भाषा उस की अस्मिजता का प्रतीक होती है-पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग एवं पर्यटन राज्य मंत्री श्री श्रीपाद नाईक
राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा दिनांक 22 अक्तूबर 2021 को यहां रवींद्र भवन, मडगांव गोवा में पश्चिम एवं मध्य क्षेत्र में स्थित केंद्र सरकार के कार्यालयों, बैंकों एवं उपक्रमों इत्यादि के लिए संयुक्त क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन एवं पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में माननीय गृह राज्य मंत्री श्री अजय कुमार मिश्रा, अध्यक्ष तथा माननीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग एवं पर्यटन राज्य मंत्री श्रीयुत श्रीपाद येसो नाईक मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे। इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्रीयुत श्रीपाद येसो नाईक एवं माननीय गृह राज्य मंत्री श्री अजय कुमार मिश्रा के कर-कमलों से केंद्र सरकार के कार्यालयों, बैंकों एवं उपक्रमों को विभिन्न श्रेणियों के अंतर्गत राजभाषा में उत्कृष्ट कार्य करने हेतु पुरस्कार प्रदान किए गए। कार्यक्रम में राजभाषा विभाग की सचिव सुश्री अंशुली आर्या व अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण भी उपस्थित थे।
माननीय गृह राज्य मंत्री श्री अजय कुमार मिश्रा ने अपने संबोधन में कहा कि कोई भी भाषा या बोली सिर्फ विचारों की वाहिका ही नहीं होती अपितु यह किसी राष्ट्र की संस्कृति, सभ्यता व संस्कारों के निर्माण का महत्वपूर्ण साधन भी होती है । हिंदी में भारत के वह विशिष्ट सांस्कृतिक मूल्य हैं जिनकी वजह से हम पूरे विश्व में अतुलनीय हैं। हिंदी में उन करोडों भारतीय लोगों की भावनाएं हैं जो हिंदी में सोचते हैं, हिंदी में बोलते है और जिनके जीवन की रग-रग मे हिंदी रची बसी है ।
श्री मिश्रा का कहना था कि पिछले वर्षों में माननीय प्रधानमंत्री व माननीय गृह मंत्री जी ने हिंदी का प्रयोग और विस्तार किया तथा हिंदी की व्यापकता को ध्यान में रखते हुए कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में भी लोगों को जागरूक कराने के लिए हिंदी का उपयोग किया। श्री मिश्रा ने कहा कि शुरूआती दौर में मास्क लगाने, हाथ धोने और एक निश्चित दूरी बनाकर रखने जैसे निर्देशों से देश की जनता ने कोरोना के खिलाफ लडाई में सफलता पाई। श्री अजय मिश्रा ने यह भी कहा कि पहले लोग हिंदी बोलने में हीन भावना महसूस करते थे किंतु पिछले 5-7 वर्षों में माननीय प्रधानमंत्री जी और माननीय गृह मंत्री जी के हिंदी प्रयोग के कारण अब लोग स्वतंत्रतापूर्वक हिंदी का प्रयोग कर रहे हैं।
श्री अजय कुमार मिश्रा ने कहा कि आज जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं तो यह समय हमें अपने देश के स्वतंत्रता संघर्ष को याद करने का समय भी है | देश के स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान स्वराज्य, स्वदेशी और स्वभाषा पर ज़ोर दिया गया। यह वह दौर था जब हिंदी ने गुलामी से त्रस्त देशवासियों में राष्ट्र-भक्ति और एकजुटता की नवीन चेतना का संचार किया । भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायकों ने हिंदी को सीधे तौर पर राष्ट्रीय एकता से जोड़ा । आचार्य विनोबा भावे, महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता आंदोलन को जन-आंदोलन बनाया और इसमें हिंदी भाषा का स्थान सबसे ऊंचा था ।
श्री अजय कुमार मिश्रा ने कहा कि संविधान ने हम सब पर राजभाषा हिंदी के विकास और प्रयोग-प्रसार का दायित्व सौंपा है । यह कार्य सभी के सहयोग और सद्भावना से ही संभव है । स्वेच्छा से प्रयोग से भाषा की व्यापकता में वृद्धि होती है, भाषा समृद्ध होती है और उसका स्वरूप निखरता है। संविधान के अनुच्छेद 351 के अनुसरण में क्षेत्रीय भाषाओं के प्रचलित एवं लोकप्रिय शब्दों को ग्रहण करके हिंदी के शब्द भंडार को निरंतर समृद्ध करने की आवश्यकता है।
श्री मिश्रा ने कहा कि हम न तो आतंकवाद में विश्वास रखते हैं और न ही विस्तारवाद में। हमारे लोकतंत्र का मूलमंत्र है -‘सर्वजन हिताय’ अर्थात सबकी भलाई। हमारा लोकतंत्र तभी फल-फूल सकता है जब हम जन-जन तक उनकी ही भाषा में उनके हित की बात पहुंचाएं । राष्ट्रीय स्तर पर राजभाषा हिंदी इस जिम्मेदारी को बखूबी निभा रही है, इसमें कोई दो राय नहीं है ।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए माननीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग एवं पर्यटन राज्य मंत्री श्रीयुत श्रीपाद येसो नाईक ने कहा कि किसी भी देश की भाषा उस की अस्मिता का प्रतीक होती है। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर आज तक राष्ट्रीय एकीकरण का सबसे शक्तिशाली और सशक्त माध्यम हिंदी रही है । हिंदी न केवल हमारी राजभाषा है बल्कि भारतीय जन-मानस की भाषा है । हिंदी एक समृद्ध, सशक्त एवं सरल भाषा है । श्री नाईक ने कहा कि इतिहास गवाह है कि स्वाधीनता आंदोलन के दौरान हिंदी ने पूरे देश को एकजुट रख कर देशवासियों में राष्ट्र प्रेम और स्वाभिमान की अदभुत भावना जागृत करने में अहम भूमिका निभाकर ‘अनेकता में एकता’ की संकल्पना को पुष्ट किया । स्वतंत्रता संग्राम के दौरान स्वराज, स्वदेशी और स्वभाषा पर बल दिया गया था । यह हमारा राष्ट्रीय मत था कि बिना स्वदेशी व स्वभाषा के स्वराज सार्थक नहीं होगा । हमारे राष्ट्रीय नेताओं की यह दृढ़ धारणा थी कि कोई भी देश अपनी स्वतंत्रता को अपनी भाषा के अभाव में मौलिक रूप से परिभाषित नही कर सकता, उसे अनुभव नहीं कर सकता । इस संदर्भ में महात्मा गांधी जी ने कहा था ‘स्वतंत्रता आंदोलन मेरे लिए केवल स्वराज का नहीं अपितु स्वभाषा का भी प्रश्न है । ’
माननीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग एवं पर्यटन राज्य मंत्री ने कहा कि हिंदी के साथ-साथ अनेक अन्य भारतीय भाषाओं में प्रचुर मात्रा में उत्कृष्ट साहित्य का सृजन किया जा चुका है । किसी देश के बौद्धिक और सांस्कृतिक स्तर का पता इस बात से चलता है कि वहाँ किस स्तर के साहित्य का सृजन किया जाता है । हमारे पास न तो असाधारण प्रतिभाओं की कमी है और न ही व्यापक बुद्धिजीवी पाठक वर्ग की । आज के समय की मांग है कि विभिन्न क्षेत्रों के विषयों जैसे सूचना प्रौद्योगिकी, चिकित्सा विज्ञान, विधि, अभियांत्रिकी आदि पर बड़ी संख्या में उच्च कोटि की पुस्तकें हिंदी में लिखी जाएँ ताकि एक ओर हिंदी साहित्य का और अधिक संवर्धन किया जा सके और दूसरी ओर हिंदी माध्यम से उच्च शिक्षा हासिल करने के इच्छुक विद्यार्थियों को अपने विषय की स्तरीय हिंदी पुस्तकें सुलभ कराई जा सकें ।
सुश्री अंशुली आर्या, सचिव, राजभाषा विभाग ने अपने संबोधन में कहा कि हिंदी के प्रगामी प्रयोग को बढ़ावा देने हेतु आधुनिक तकनीक की अहम भूमिका है और इसलिए राजभाषा विभाग द्वारा हिंदी में सहजता से कार्य करने के लिए अनेक प्रभावी साधन मुहैया कराए गए हैं। सरकारी कामकाज में हिंदी का प्रयोग आसान बनाने के उद्देश्य से राजभाषा विभाग ने अन्य ई-टूल्स एवं एप्लिकेशन्स के अलावा ‘ई महाशब्दकोश मोबाइल ऐप’ और ‘ई-सरल हिंदी वाक्य कोश’ तैयार किए हैं। उन्होंने बताया कि इसी प्रकार हमने अनुवाद में सहायता के लिए स्मृति आधारित अनुवाद साफ्टवेयर ‘कंठस्थ,’ सी-डैक पुणे की सहायता से विकसित किया है जिसका प्रयोग करके सरकारी कामकाज में हिंदी को बढ़ावा दिया जा सकता है। सुश्री अंशुली का कहना था कि माननीय प्रधानमंत्री जी के “आत्मनिर्भर भारत- स्थानीय के लिए मुखर हों” के आह्वान से प्रेरित होकर राजभाषा विभाग स्वदेशी स्मृति आधारित अनुवाद टूल “कंठस्थ” को और अधिक लोकप्रिय बनाने और विभिन्न संगठनों में इसका विस्तार करने के सभी प्रयास कर रहा है । इसी प्रकार, हिंदी भाषा को अंग्रेजी भाषा के अतिरिक्त 14 अन्य भारतीय भाषाओं में स्वयं हिंदी सीखने के लिए बनवाए गए प्रोग्राम ‘लीला राजभाषा’ और ‘लीला प्रवाह’ का व्यापक प्रचार-प्रसार राजभाषा विभाग द्वारा किया जा रहा है ।
सचिव, राजभाषा विभाग ने कहा कि पिछले समय में राजभाषा विभाग ने प्रेरणा, प्रोत्साहन और सद्भावना पर आधारित संघ की राजभाषा नीति के अनुपालन में कुछ नए कार्य प्रारंभ किए हैं । उनका कहना था कि राजभाषा विभाग द्वारा अपनी वेबसाइट पर ई-पत्रिका पुस्तकालय प्लेटफॉर्म केंद्र सरकार के विभिन्न कार्यालयों को उपलब्ध करवाया गया है जहां वे अपनी गृह पत्रिकाओं को अपलोड करते हैं । इससे जहां एक ओर इन पत्रिकाओं का व्यापक प्रचार-प्रसार होता है वहां दूसरी ओर पाठकों को ये पत्रिकाएं एक ही स्थान पर उपलब्ध होती हैं।
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