न्यूज़ डेस्क : मध्य अमेरिकी देश अल सल्वाडोर दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है, जहां बिटक्वाइन को लीगल टेंडर या आधिकारिक करेंसी का दर्जा दे दिया गया है। यानी इस देश के लोग वित्तीय लेन-देन के लिए बिटक्वाइन का इस्तेमाल कर सकते हैं। मामले में क्रिप्टोकरेंसी के एक्सपेरिमेंट का समर्थन करने वालों का कहना है कि इससे अल सल्वाडोर में हर साल विदेश से आने वाले अरबों डॉलर के फंड पर लगने वाला कमीशन कम होगा। वहीं इसका विरोध करने वालों का कहना है कि इससे मनी लॉन्ड्रिंग को बढ़ावा मिल सकता है।
बचेगा 40 करोड़ डॉलर का कमीशन
अल-सल्वाडोर के राष्ट्रपति नायिब बुकेले इसे बढ़ावा दे रहे हैं। अमेरिका में रहने वाले हमवतन द्वारा हर साल अरबों डॉलर स्वदेश भेजे जाते हैं। इसके लिए वे 40 करोड़ डॉलर कमीशन के तौर पर खर्च करते हैं। बिटक्वाइन को आधिकारिक करेंसी का दर्जा देने से ये राशि बच जाएगी।
ये होंगे फायदे
अल सल्वाडोर की संसद में राष्ट्रपति के प्रस्ताव पर बिटक्वाइन को 62 की तुलना में 84 वोटों से मंजूरी दी गई थी। तब बिटक्वाइन को वैध मुद्रा बनाने का कानून 90 दिनों में लागू होना था। बुकेले ने एक ट्वीट में कहा था कि, यह हमारे देश के लिए वित्तीय समावेशन, निवेश, पर्यटन, नवाचार और आर्थिक विकास लाएगा। इस कदम से अल सल्वाडोर के लोगों के लिए वित्तीय सेवाएं खुल जाएंगी। विदेशों में काम कर रहे सल्वाडोर के लोग काफी तादाद में करेंसी अपने घर भेजते हैं। विश्व बैंक के डाटा के अनुसार साल 2019 में लोगों ने कुल छह अरब डॉलर, यानी सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 23 फीसदी देश में भेजे थे।
अल सल्वाडोर ने की 400 बिटक्वाइन की खरीदारी
मालूम हो कि अल साल्वाडोर ने अपनी करेंसी कोलोन को खत्म करके वर्ष 2001 में उसकी जगह अमेरिकी डॉलर को अपनाया था। सोमवार को ही अल सल्वाडोर ने 400 बिटक्वाइन की खरीदारी की थी। इसकी वजह से क्रिप्टोकरेंसी की कीमत में 1.49 फीसदी का उछाल आया था और यह बढ़कर 52,680 डॉलर से अधिक हो गई थी। हालांकि यह अप्रैल के 64,000 डॉलर से उच्च स्तर से काफी नीचे है। सरकार पहले ही अपने शिवो डिजिटल वॉलेट के एटीएम लगाने में जुटी थी। इसके जरिए क्रिप्टोकरेंसी को डॉलर में बिना कमीशन के बदला जा सकता है। हालांकि राष्ट्रपति ने नागरिकों से कहा है कि इस पहल के नतीजों को लेकर वे हड़बड़ी न दिखाएं।
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