विनिर्माण क्षेत्र में भारत बना दूसरा सबसे पसंदीदा हब, अमेरिका का भी छोड़ा पीछे

न्यूज़ डेस्क : मेक इन इंडिया अभियान और कारोबारी सुगमता जैसे बड़े सुधारवादी कदमों से विनिर्माण क्षेत्र में भारत दुनिया का दूसरा सबसे पसंदीदा हब बन गया है। वैश्विक संपत्ति सलाहकार फर्म कुशमैन-वेकफील्ड ने मंगलवार को विनिर्माण जोखिम सूचकांक-2021 जारी किया, जिसमें अमेरिका को पीछे छोड़कर भारत ने दूसरा स्थान हासिल कर लिया है। चीन अब भी पहले स्थान पर काबिज है।

 

 

 

कुशमैन-वेकफील्ड के अनुसार, विनिर्माण इकाई चलाने में सुगमता और कम लागत की वजह से भारत काफी प्रतिस्पर्धी बन गया है। अमेरिका, यूरोप व एशिया-प्रशांत के 47 बड़े देशों की सूची में वह चीन के बाद सबसे बड़ा विनिर्माण हब है। पिछले साल वह तीसरे स्थान पर था, जबकि अमेरिका दूसरे पर।

 

 

 

दुनियाभर की बड़ी विनिर्माता कंपनियां भारत को चार मानकों पर ज्यादा तरजीह दे रही हैं। विनिर्माण इकाई शुरू करने की क्षमता, सस्ता श्रम व पर्याप्त कौशल, परिचालन लागत और कम आर्थिक एवं राजनीतिक जोखिम। भारत को सबसे बड़ा लाभ कोविड-19 महामारी के दौरान वैश्विक कंपनियों के चीन से पलायन के कारण हुआ है। अमेरिका-यूरोप की कई कंपनियां वहां से अपनी विनिर्माण इकाई भारत, वियतनाम जैसे देशों में स्थानांतरित कर रही हैं। 

 

 

 

भारत को दुनिया की फैक्ट्री बनाने के लिए शुरू हुई आत्मनिर्भर और पीआईएल योजना ने रंग दिखाना शुरू कर दिया है। देश में अभी आईफोन का असेंबल करने वाली ताईवान की कंपनी विस्ट्राॅन काॅर्प अब लैपटाॅप, मोबाइल, आईटी उत्पाद व ई-वाहन उत्पाद भी बनाएगी। इसके लिए ऑप्टिमस इलेक्ट्राॅनिक्स के साथ बड़ा करार किया है।

 

 

 

विस्ट्राॅन और ऑप्टिमस अगले तीन वर्षों में उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीआईएल) योजना के तहत 1,484 करोड़ रुपये का निवेश करेंगी। विस्ट्राॅन काॅर्प अभी 30 अरब डाॅलर की कंपनी है, जो भारत को टैबलेट, लैपटाॅप, हेयरेबल, वियरेबल, दूरसंचार उपकरण, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, स्मार्टमीटर, ई-वाहन और इलेक्ट्राॅनिक उत्पाद का हब बनाने में बड़ी भूमिका निभाएगी।

 

 

 

ऑप्टिमस के प्रबंध निदेशक ए गुरुराज ने बताया कि विस्ट्राॅन भारत में अपना विस्तार करना चाहती है, जिसके लिए हमें 11,000 भर्तियां करनी होंगी। अभी हमारे कर्मचारियों की संख्या 300 है।

 

 

 

पीएलआई में मिल चुकी है अनुमति

विस्ट्राॅन और ऑप्टिमस को पीएलआई योजना के तहत इलेक्ट्राॅनिक उत्पाद बनाने की अनुमति मिल चुकी है। दोनों कंपनियां अब सस्ते स्मार्टफोन और इलेक्ट्राॅनिक उत्पाद बनाने के साथ ही सरकार से प्रोत्साहन भी ले सकेंगी। विस्ट्राॅन 2015 में भारत आई थी। शुरुआत में उसने ताईवान के एचटीसी मोबाइल का असेंबल शुरू किया।  

 

 

 

सैंमसंग करेगी 15 लाख करोड़ का निवेश, 40 हजार रोजगार देगी

दक्षिण कोरिया की स्मार्टफोन निर्माता कंपनी सैमसंग ने अगले तीन साल में 15.21 लाख करोड़ रुपये निवेश करने की योजना बनाई है। इसका मकसद भारत, दक्षिण कोरिया सहित दुनियाभर में अपना कारोबार विस्तार करना है। हालांकि, कंपनी का ज्यादातर फोकस अपने देश में ही निवेश करने का है, जहां कुल निवेश का 11.42 लाख करोड़ रुपये लगाएगी। कंपनी ने कहा है कि अगले तीन साल में 40 हजार से ज्यादा रोजगार पैदा होंगे।

 

 

 

सैंमसंग के प्रवक्ता ने बताया कि कंपनी स्मार्टफोन के अलावा सेमीकंडक्टर बनाने पर भी जोर देगी। कुल योजना का करीब 4 लाख करोड़ रुपया भारत सहित अन्य देशों में निवेश किया जाएगा। इसके लिए 2030 तक की योजना तैयार की गई है।

 

 

 

भारत का मोबाइल निर्यात अप्रैल-जून तिमाही में 300 प्रतिशत बढ़कर 4,600 करोड़ पहुंच गया है। इंडियन सेलुलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) ने मंगलवार को बताया कि 2021-22 की पहली तिमाही में आयात घटकर 600 करोड़ रहा, जबकि निर्यात में तेज वृद्धि हुई।

 

 

 

इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का निर्यात भी इस दौरान दोगुना बढ़कर 20 हजार करोड़ रुपये रहा। पिछले वित्तवर्ष की पहली तिमाही में 1,300 करोड़ का मोबाइल निर्यात हुआ था। आईसीईए के चेयरमैन पंकज मोहिंद्रो ने बताया कि 2014-15 के बाद मोबाइल आयात सबसे कम रहा है। 2020-21 की पहली तिमाही में 3,100 करोड़ का मोबाइल आयात हुआ था। हालांकि, लैपटॉप व टैबलेट के आयात में 50 फीसदी इजाफा हुआ और पहली तिमाही में 10 हजार करोड़ पहुंच गया।

 

Comments are closed.