न्यूज़ डेस्क : हर साल एक नया संगीत सितारा चुनने वाले म्यूजिक रियलिटी शो ‘इंडियन आइडल’ के 12वें सीजन के विजेता उत्तराखंड के पवनदीप राजन बने हैं। पवनदीप राजन को इनाम में लाखों रुपये और चमचमाती कार मिली है। इसके पहले साल 2015 में पवनदीप ने एक और म्यूजिक रियलिटी शो ‘द वॉयस इंडिया’ भी जीत रखा है। ‘इंडियन आइडल’ के 12वें सीजन के फाइनल मुकाबले में उन्होंने अरुणिता कांजीलाल, सयाली कांबले, मो. दानिश, निहाल और षनमुखप्रिया जैसे दिग्गज गायकों को पराजित किया। ‘अमर उजाला’ से एक एक्सक्लूसिव बातचीत में पवनदीप कहते हैं, ‘ये जीत चंपावत जैसे छोटे शहरों में रहने वालों के सपनों की बड़ी जीत है। मैं युवाओं से यही कहना चाहता हूं कि कुछ कर दिखाने के लिए सपने देखने बहुत जरूरी है और फिर उन सपनों को सच करने के लिए रात दिन की मेहनत भी उतनी ही जरूरी है।’
इंडियन आइडल’ के 12वें सीजन की शुरूआत से ही पवनदीप राजन ने अपनी गायिकी का असर दर्शकों पर छोड़ना शुरू कर दिया था। एपिसोड दर एपिसोड आगे बढ़ते हुए जब ये शो कभी गीतकार संतोष आनंद की मजबूरी को टीआरपी का हथियार बनाकर या कभी अपने प्रतिभागियों की दुखद कहानियों को दर्शकों के सामने परोसकर सुर्खियां बटोर रहा था, पवनदीप राजन ने अपना पूरा ध्यान अपनी गायिकी पर बनाए रखा। पवनदीप को फिनाले में अपने गायिकी के हुनर के अलावा उस संगीत कौशल से भी मदद मिली जिसके चलते वह तमाम वाद्ययंत्र एक जैसी कुशलता से बजा लेते हैं। कुल कितने वाद्ययंत्र पवनदीप बजा लेते हैं ये पूछने पर खुद पवनदीप भी गिनती नहीं कर पाते हैं, वह कहते हैं, ‘संख्या तो नहीं पता लेकिन जो कुछ सामने आता है बजा ही लेता हूं। छोटा था तो पिताजी के साथ एक कार्यक्रम करने गया और वहीं मंच पर तबला बजाने का मौका मिला। तबला, ढोलक होते हुए तब से तमाम सारे वाद्ययंत्र बजाता रहा हूं।’
दुनिया के तमाम देशों में अपने शोज से वाहवाही लूट चुके पवनदीप के पिता सुरेश राजन उत्तराखंड के जाने माने लोक गायक रहे हैं और उनकी बहन ज्योतिदीप राजन भी गायिका है। अपनी बहन को वह लगातार खूब कड़ी मेहनत करनी की सीख देते रहते हैं। पवनदीप कहते हैं, ‘मेरी कामयाबी में उन सभी लोगों का हाथ रहा है जिन्होंने मुझे प्यार दिया और समय समय पर मुझे संगीत के गुर सिखाए। संगीत को पूरी तरह सीखे बिना मंच पर आना ठीक नहीं है। वह भी इस रियलिटी शो का ऑडिशन देना चाहती थी लेकिन मैंने उससे कहा कि अभी उसे और तैयारी की जरूरत है। बिना पूरा ज्ञान और रियाज किए मंच पर आना ठीक नहीं। जीवन में मौका बहुत मुश्किल से मिलता है और मौका मिलने पर उसे अपनी अज्ञानता से गंवा देना दूसरों का हौसला तोड़ सकता है।’
पवनदीप राजन की शुरुआती पढ़ाई चंपावत में हुई है और कॉलेज की पढ़ाई के लिए वह नैनीताल आए। ये पूछे जाने पर ‘इंडियन आइडल’ की ट्रॉफी हाथ में पकड़ने पर चंपावत कितना याद आया, पवनदीप भावुक हो जाते हैं। वह कहते हैं, ‘चंपावत के गांवों और गलियों में ही मेरी शुरुआती शिक्षा-दीक्षा हुई है। यहां मुंबई में आकर इतने बड़े मंच पर जब भी मैं खड़ा हुआ तो मुझे चंपावत हर बार याद आया। छोटे शहरों से आकर इतने बड़े मंचों पर गाने का मौका जीत पाना ही बहुत बड़ी बात है उस पर ऐसी जीत हासिल होना हौसले को दूना कर देती है।’
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