ग्रेसिम नागदा यूनिट ने बीआईएसएलडी के साथ मिलकर किया किसानों की फसल को बढ़ाने में सहयोग

न्यूज़ डेस्क : भारत सरकार द्वारा कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) को एक अनिवार्य कॉरपोरेट अभियान के रूप में प्रस्तुत करने के पहले से ही यह ग्रेसिम के मूल कार्यतंत्र में गहराई से बुनी जा चुकी थी। सात दशकों से भी अधिक समय से नागदा और इसके आस पास मौजूद गांवों में सामाजिक-आर्थिक स्तर को ऊंचा उठाने की प्रतिबद्धता और समर्पण ने नागदा की तस्वीर बदल दी है। ग्रेसिम नागदा टीम निरन्तर सामुदायिक स्तर पर शिक्षा, स्वास्थ्य, सस्टेनेबल लाइवलीहुड, इंफ्रास्टक्चर डेवलपमेंट तथा महिला सशक्तिकरण के लिए काम कर रही है। श्रीमती राजश्री बिरला, चेयपर्सन, द आदित्य बिरला सेंटर फॉर कम्युनिटी इनिशिएटिव तथा रूरल डेवलपमेंट, ‘एक ऐसे भारत के लिए समर्पित हैं जो गरीबी से मुक्त हो। एक ऐसा भारत जहां सम्मिलित वृद्धि हो। एक ऐसा भारत जहां प्रत्येक व्यक्ति अपनी वास्तविक क्षमताओं को पहचान सके। एक ऐसा भारत जहां हर मनुष्य एक इज्जत की ज़िंदगी बसर कर सके। एक ऐसा भारत जो सभी राष्ट्रों का नेतृत्व सिर उठाकर कर सके।’

 

 

 

बीते सालों में ग्रेसिम ने अपनी नागदा यूनिट द्वारा संचालित विभिन्न विकास कार्यक्रमों के जरिये लाखों जिंदगियों को सकारात्मक रूप से परिवर्तित किया है।  ऐसा ही एक अभियान है, जिसने ग्रामीण लोगों के जीवन को सामाजिक स्तर पर ऊंचा उठाने में प्रमुख प्रभाव डाला है, वह है ‘इंटिग्रेटेड लाइवस्टॉक डेवलपमेंट प्रोजेक्ट। 

 

 

 

श्री के सुरेश, यूनिट हेड, एसएफडी नागदा ने बताया-‘हमारी सीएसआर टीम डिस्ट्रिक्ट रूरल डेवलपमेंट अथॉरिटीज (जिला ग्रामीण विकास अधिकारियों), स्वास्थ्य विभाग, ग्राम पंचायतों, जिला पशुपालन विभाग, कृषि, हॉर्टिकल्चर आदि विभागों के साथ जुड़कर काम करती है। ग्रेसिम-नागदा के कम्यूनिटी इंगेजमेंट प्रोग्राम से 55 गांव तथा 25 शहरी झुग्गियां जुड़ी हैं और इनके साथ यह प्रोग्राम 1 लाख से अधिक लोगों तक पहुंच रहे हैं।’

 

 

 

उन्होंने आगे कहा-‘समाज को वापस लौटने के प्रति ग्रेसिम इंडस्ट्रीज़ की प्रतिबद्धता ने नागदा को प्रभावशाली तौर से परिवर्तित किया है। कम्पनी के निरन्तर फोकस ने हमारे प्लांट की ज़द में रहने वाले कई ग्रामीणों पर महत्वपूर्ण असर डाला है। ग्रेसिम, एसएफडी, नागदा में जारी एनिमल ब्रीड इम्प्रूवमेंट प्रोग्राम ने बीआईएसएलडी, भोपाल (बीएआईएफ इंस्टिट्यूट ऑफ सस्टेनेबल लाइवलीहुड डेवलपमेंट) के साथ मिलकर पशुओं की प्रजाति में सुधार हेतु सस्टेनेबल लाइवलीहुड प्रोजेक्ट का कार्यान्वयन किया है। यह प्रोजेक्ट वर्ष 2013 से *किलोदिया, झंझाखेड़ी तथा भाटीसुदा* में जारी है और पशुओं की प्रजाति में सुधार के लिए सहायता उपलब्ध करवा रहा है। यह 35 से भी अधिक गांवों में लोगों के जीवन को उन्नत बना रहा है। ये सेंटर्स पशुओं में आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन (कृत्रिम वीर्यरोपण), प्रेग्नेंसी  डायग्नोसिस (PD- गर्भावस्था निदान), कन्फर्म प्रेगनेंसी (CP), नाइ प्रजाति के बछड़ों का जन्म, सॉरटेड AI, छोटे-बड़े जुगाली करने वाले पशुओं के टीकाकरण व उनकी डीवर्मिंग (शरीर के हानि पहुंचाने वाले कीड़े मारने की प्रक्रिया), मिनरल मिक्सचर, ड्राय व ग्रीन फोडर एनरिचमेंट यूनिट (सूखे व हरे चारे को और पोषक बनाने वाली यूनिट), कैपिसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम (क्षमता निर्माण कार्यक्रम) आदि चीजों का ध्यान रखते हैं। इसके अंतर्गत प्रोफेशनल्स हर साल 25,000 पशुओं की हाई टेक साइंटिफिक क्वालिटी सर्विस के साथ देख रेख करते हैं। इससे दूध के उत्पादन और कमाई में भी सुधार हुआ है। 

 

 

 

बलदेव सिंह, ग्राम पिपलौदा, निराशा के बाद ग्रेसिम की वजह से मिली खुशियों के बारे में बताते हैं।

पांच साल पहले पिपलौदा गांव के किसान बलदेव सिंह के पास 12 भैंसें थीं लेकिन दुर्भाग्य से उनमें से चार एनाप्लाज़्मोसिस की वजह से मर गईं। बिना किसी देरी के बलदेव सिंह ने बाकी बची भैंसों को बेचने का निर्णय ले लिया क्योंकि वह उन मासूम जानवरों की जान और खतरे में नहीं डालना चाहता था। जल्द ही बलदेव सिंह के पास मात्र 2 देसी गायें रह गईं। जिनसे उसे पर्याप्त मात्रा में बाजार में बेचने के लिए दूध नही मिल पाता था। उन्होंने एक सुपीरियर क्वालिटी की जर्सी प्रजाति खरीदने का निर्णय लिया लेकिन फिर महसूस किया कि उन्हें कुछ और करना चाहिए। उन्होंने अपने गांव पिपलौदा में एक मिल्क कलेक्शन सेंटर प्रारम्भ किया। उसी समय उन्होंने ग्रेसिम-बीएआईएफ कैटल ब्रीड इम्प्रूवमेंट प्रोजेक्ट और इसकी सकारात्मक चर्चाओं के बारे में सुना। उनके एक मित्र ने उनको सलाह दी कि वे आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन तकनीक का उपयोग करें और एक गाय को उच्चतम गुणवत्ता वाले वीर्य से गर्भाधान के लिए प्रयास करें। इससे उच्चतम प्रजाति के और हाइब्रीड बछड़े पैदा होंगे। बलदेव इस प्रक्रिया से प्रभावित हुए और उन्होंने ग्रेसिम-बीएआईएफ, भाटीसुदा के सेंटर इंचार्ज, गिरधारीलाल *गरोडा*, से सम्पर्क किया और अपनी गायों का परीक्षण करवा कर गायों में आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन की संभावना पर चर्चा की। गिरधारीलाल ने पूरी प्रक्रिया की जानकारी दी और बलदेव को होस्टीन फ्रीज़न प्रजाति के वीर्य के प्रयोग की सलाह आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन के लिए दी। बलदेव ने इसके बाद एक नौसिखिया होने के नाते इस पशुचिकित्सक पर भरोसा किया और दस महीने बाद, वह यह देखकर सन्तुष्ट हो गया कि उसकी गाय ने एक स्वस्थ बछड़े को जन्म दिया था। अपनी गाय के लिए पहली आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन प्रक्रिया के सफल परीक्षण के बाद, बलदेव सिंह ने इसी प्रक्रिया का उपयोग अपनी गायों के झुंड को बढाने के लिए किया। आज, बलदेव के पास विभिन्न प्रजातियों की 7 हाइब्रीड गायें हैं, जिनमे होस्टीन फ्रीज़न, सैवाल, गिरनार तथा जर्सी प्रजातियां शामिल हैं जिनका जन्म आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन से हुआ है। 

 

बलदेव कहते हैं-‘मैं ग्रेसिम-बीएआईएफ द्वारा आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन से बछड़े के जन्म तक निरन्तर उपलब्ध करवाई गई विभिन्न सेवाओं से बेहद प्रभावित हूं।’

 

बलदेव के पशु प्रतिदिन 30 लीटर दूध देते हैं, जिसे वह अपने ही मिल्क कलेक्शन सेंटर पर ले जाता है। यह दूध सर्वोच्च गुणवत्ता का होता है और बेहद अच्छी कमाई करवाता है। 

 

 

 

बलदेव प्रसन्नता से कहते हैं कि एक किसान के तौर पर ग्रेसिम उसकी वृद्धि में बहुत मददगार रहा है और अन्य कई किसानों को अच्छे भविष्य की ओर जीवन को ले जाने में मदद करके उनका जीवन भी सकारात्मक रूप से बदल रहा है। 

 

 

वर्ष 2020 में ग्रेसिम इंडस्ट्रीज को इसकी सस्टेनेबिलिटी तथा सीएसआर गतिविधियों के लिए ईटी एवं फ्यूचरस्कैप 7वीं रिस्पांसिबल बिजनेस रैंकिंग के अंतर्गत टॉप 10 भारतीय कॉरपोरेट्स में 9 वीं रैंक प्रदान की गई थी। साथ ही ग्रेसिम ने टैक्सटाइल व अपैरल सेक्टर व उद्योग में अपने स्टेकहोल्डर्स के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए, सस्टेनबिलिटी के लिये प्रतिष्ठित गोल्डन पिकॉक ग्लोबल अवॉर्ड भी जीता था।

 

Comments are closed.