न्यूज़ डेस्क : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार से यह जानना चाहा है कि अगर कोविड-19 की तीसरी लहर आ गई तो उससे निपटने के लिए उसके पास क्या क्या तैयारी है? साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कोविड-19 महामारी के दौरान राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को ऑक्सीजन आवंटित करने के मामले में बनाए गए राष्ट्रीय कार्य बल (टास्क फोर्स) की सिफारिशों पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है। अदालत ने सरकार को इसके लिए दो सप्ताह का समय दिया है।
न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय टास्क फोर्स ने कई बैठकें कीं और अपनी रिपोर्ट केंद्र को सौंपी। यह देखते हुए कि उसने सरकार को अपने आदेश लागू करने के लिए पर्याप्त समय दिया है, पीठ ने कहा, ‘अब हम देखना चाहते हैं कि अगर कोविड की तीसरी लहर आती है तो हम कहां खड़े हैं।’ अदालत ने कहा कि केंद्र को ‘कार्रवाई रिपोर्ट’ की तैयारी के लिए कवायद पूरी कर लेनी चाहिए और इसे दो सप्ताह में प्रस्तुत कर देना चाहिए।
शीर्ष अदालत के समक्ष यह मुद्दा दिल्ली को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति न करने पर दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से जारी अवमानना नोटिस को चुनौती देने वाली केंद्र की याचिका पर सुनवाई के दौरान उठा। पीठ ने कहा कि वह सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी चाहती है जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि सिफारिशों पर नीति स्तर पर विचार किया गया था। शीर्ष अदालत ने गत पांच मई को हाईकोर्ट के समक्ष अवमानना की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।
पीठ ने कहा कि यह उचित होगा कि इस कार्यवाही को कोविड संबंधी मुद्दों को लेकर शुरू की गई स्वत: संज्ञान कार्यवाही के साथ सूचीबद्ध किया जाए। अदालत ने कहा कि टास्क फोर्स की रिपोर्ट और केंद्र की कार्रवाई रिपोर्ट, न्याय मित्र सहित मामले के सभी वकीलों को उपलब्ध कराई जाए। राष्ट्रीय टास्क फोर्स ने 22 जून को सिफारिश की थी कि पेट्रोलियम उत्पादों के भंडारण की तरह देश के पास दो-तीन सप्ताह की खपत के लिए जीवन रक्षक गैसों का भंडार भी होना चाहिए।
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