न्यूज़ डेस्क : कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव को ही सुरक्षा का सबसे बेहतर माध्यम माना जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना का संक्रमण संक्रमित व्यक्ति के छीकनें या खांसने से निकलने वाली ड्रॉपलेट्स या संक्रमित सतह को छूने के बाद उसी हाथ से मुंह, नाक या आंखों को छूने से फैल सकता है। यही कारण है कि लोगों को समय-समय पर हाथों को साफ करते रहने की सलाह दी जाती है, जिससे संक्रमण के प्रसार को रोका जा सके। कोरोना का संक्रमण दूषित सतह के संपर्क में आने से भी फैल सकता है, तो क्या नोट या सिक्के भी संक्रमण का माध्यम बन सकते हैं? आपके मन में भी यह सवाल अवश्य होगा।
कोरोनावायरस नोट और सिक्कों पर कितनी देर तक बना रह सकता है, इसी बारे में जानने के लिए यूरोपीय सेंट्रल बैंक के विशेषज्ञों और रुहर-यूनिवर्सिटैट बोचम में मेडिकल और मॉलिक्यूलर वायरोलॉजी के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन किया गया। प्रोफेसर इके स्टीनमैन और डॉ. डैनियल टॉड के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने यह जानने की कोशिश की, कि नोटों से त्वचा तक कितने संक्रामक वायरस का संचरण हो सकता है? इस अध्ययन के निष्कर्ष में वैज्ञानिकों ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। आइए आगे की स्लाइडों में इस अध्ययन के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नोटों-सिक्कों पर कितनी देर रह सकता है वायरस?
सार्स-सीओवी-2 वायरस सिक्कों और नोटों पर कितने समय तक बना रह सकता है, इस बारे में जानने के लिए शोधकर्ताओं ने विभिन्न यूरो सिक्कों और नोटों को वायरस से संक्रमित करके संक्रमण की अवधि के बारे में जानने की कोशिश की। वैज्ञानिकों ने पाया कि यूरो नोट से कोरोना के वायरस महज तीन दिनों के भीतर ही गायब हो गए, वहीं इन नोटों को जिस स्टेनलेस स्टील में संरक्षित किया गया था उस सरह पर वायरस सात दिनों के बाद भी मौजूद पाए गए। इस अध्ययन को आईसाइंस जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
धातुओं पर अलग-अलग समय तक रह सकता है वायरस
इस अध्ययन के बारे में डॉ. डैनियल टॉड कहते हैं, 10सेंट पर 6 दिनों, 1यूरो पर दो दिन जबकि 5सेंट के सिक्कों पर एक घंटे के बाद वायरस को पूरी तरह से खत्म पाया गया । शोधकर्ताओं का कहना है कि 5सेंट के सिक्के कॉपर के बने होते हैं यही कारण है कि वायरस इसपर कुछ घंटों से ज्यादा समय तक टिक नहीं पाता है। शोधकर्ताओं ने कोरोना के अलग-अलग वैरिएंट्स के साथ यह अध्ययन किया है।
किस स्तर तक हो सकता है संक्रमण का प्रसार?
इस अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने जानने की कोशिश की कि आखिर नोट या सिक्कों की सतह से उंगलियों तक वायरस किस हद तक स्थानांतरित हो सकता है। इसके लिए नोटों और सिक्कों को लिक्विड वायरस से संक्रमित किया गया। डैनियल टॉड कहते हैं कि हमने देखा कि तरल के सूखने के तुरंत बाद व्यावहारिक रूप से संक्रामक वायरस का कोई संचरण नहीं पाया गया।
क्या है अध्ययन का निष्कर्ष?
अध्ययन के निष्कर्ष के बारे में डॉ. डैनियल टॉड कहते हैं, हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि नोटों और सिक्कों के माध्यम से कोरोना वायरस के संचरण की आशंका काफी कम होती है। यह अवलोकन अन्य अध्ययनों के निष्कर्षों के अनुरूप ही है जिसमें पता चलता है कि अधिकांश मामलों में संक्रमण एरोसोल या संक्रमितों बूंदों के माध्यम से होता है। सतहों के माध्यम से संक्रमण का खतरा काफी कम होता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोना के अब तक के सभी वैरिएंट्स को लेकर यह अध्ययन किया गया है, यानी कि फिलहाल किसी भी वैरिएंट से संक्रमित नोट या सिक्कों से संक्रमण का खतरा न के बराबर माना जा सकता है।
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