न्यूज़ डेस्क : सुप्रीम कोर्ट में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) अपीलीय न्यायाधिकरण के गठन की मांग करते हुए एक जनहित याचिका दायर की गई है। जल्द याचिका पर सुनवाई होने की उम्मीद है। इसमें कहा गया है कि केंद्रीय वस्तु एवं सेवा अधिनियम के अस्तित्व में आने के चार साल बाद भी न्यायाधिकरण का गठन नहीं किया गया है।
उच्च न्यायालयों का दरवाजा खटखटाने के लिए विवश पीड़ित नागरिक
याचिका में दावा किया गया है कि अधिकरण की अनुपस्थिति में पीड़ित नागरिक संबंधित उच्च न्यायालयों का दरवाजा खटखटाने के लिए विवश हैं और इससे उच्च न्यायालयों पर भी काम का बोझ बढ़ा है।
याचिका में क्या कहा गया?
अधिवक्ता अमित साहनी द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि, ‘अपील न्यायाधिकरण के न होने के कारण वादियों को उचित समय के भीतर न्याय नहीं मिल पाता है और इससे देश भर में वादियों को अत्यधिक कठिनाई हो रही है।’ याचिका में कहा गया है कि अपीलीय न्यायाधिकरण की राष्ट्रीय और अन्य पीठों का गठन वक्त की मांग है और इसे अनिश्चित काल तक टाला नहीं जा सकता।
पिछले वित्त वर्ष में पकड़ी गई 35 हजार करोड़ रुपये की जीएसटी धोखाधड़ी
मालूम हो कि कर चोरी के खिलाफ एक साल लंबे अभियान में 35 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की जीएसटी धोखाधड़ी का पर्दाफाश किया गया है। सीबआईसी के मुताबिक, इनमें से ज्यादातर धोखाधड़ी जीएसटी व्यवस्था के तहत दिए गए इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) प्रावधान का दुरुपयोग कर अंजाम दी गई।
हाल ही में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर व सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने बताया था कि वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान सीजीएसटी के सभी जोन और जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) की टीमों ने फर्जी आईटीसी के जरिए 35 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की कर चोरी के करीब 8000 मामले दर्ज किए और इनमें 426 लोगों को गिरफ्तार किया गया। पकड़े गए लोगों में 14 चार्टर्ड अकाउंटेंट, वकालत जैसे पेशेवर भी शामिल हैं, जो इस कर चोरी को करने में मदद कर रहे थे।
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