न्यूज़ डेस्क : कृषि कानूनों के विरोध में अब किसान संगठनों ने अपने आंदोलन की रणनीति में बदलाव करना शुरू कर दिया है। अब किसान संगठन सत्तापक्ष के साथ ही विपक्षी दलों के नेताओं को भी घेरेंगे। साथ ही पेट्रो पदार्थों और घरेलू गैस के बढ़ते दामों को लेकर भी किसान विरोध करेंगे। 17 जुलाई से बदली रणनीति के अनुरुप आंदोलन की शुरूआत की जाएगी। सत्र के पहले दिन संसद के बाहर किसान विपक्ष के नेताओं को इस बाबत चेतावनी पत्र सौपेंगे।
चंडीगढ़ में मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने आंदोलन की रणनीति पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि 22 जुलाई से करीब 200 किसानों का जत्था हर रोज संसद भवन की ओर कूच करेगा। किसान पेट्रोल डीजल और रसोई गैस के बढ़ते दामों के खिलाफ 8 जुलाई को 10 से बारह बजे सुबह सड़कों पर वाहन और गैस सिलिंडर लेकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। राजेवाल ने बताया कि प्रदर्शन के दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा कि लोगों को किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो।
थाली की तर्ज पर बजाएंगे हार्न
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि किसान संगठन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के थाली बजाने के विचार की तर्ज पर वाहनों का 8 मिनट तक हॉर्न बजाएंगे। देशव्यापी इस आंदोलन के लिए सभी किसानों को 8 जुलाई के दिन सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों पर आने और अपने वाहन सड़क किनारे लगाने को कहा गया है।
हर संगठन से शामिल होंगे 5 नेता
मानसून सत्र के दौरान आंदोलन की रणनीति के बारे में राजेवाल ने बताया कि कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए आंदोलन की रुपरेखा बनाई गई है। उन्होंने बताया कि जब तक सरकार हमारी मांगें नहीं मानेगी, हम संसद के बाहर लगातार विरोध प्रदर्शन करेंगे। प्रत्येक किसान संगठन के 5 नेताओं को विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए कहा गया है। 40 किसान संगठन आंदोलन में शामिल हैं।
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