AIIMS में शुरु हुआ एक और टीका कोवा-वैक्स का ट्रायल, जल्द मिल सकती है मंजूरी

न्यूज़ डेस्क : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में अमेरिका की कंपनी नोवा वैक्स इंक की कोविड वैक्सीन कोवा-वैक्स का ट्रायल शुक्रवार को शुरू कर दिया गया है। ट्रायल के पहले दिन एक वालंटियर मिला है। 10 वांलटियरों की संख्या होने के बाद कोवा-वैक्स का डोज दिया जाएगा। कंपनी का यह तीसरे फेज का ट्रायल है। बताया जा रहा है कि 100 लोगों पर वैक्सीन का ट्रायल होना है। इसमें एम्स के साथ आरएमआरसी (रिजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर) भी शामिल है।

 

 

 

जानकारी के मुताबिक सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और आईसीएमआर (इंडियन मेडिकल रिसर्च सेंटर) अमेरिका की नोवा वैक्स इंक की कोविड वैक्सीन कोवा-वैक्स के भारत में ट्रायल का फैसला लिया है। इसके लिए देश के 23 संस्थान चुने गए हैं। इनमें एम्स गोरखपुर और आरएमआरसी गोरखपुर को भी चुना गया है। ट्रायल में 100 वालंटियर शामिल किए जाएंगे। इनकी उम्र 18 से 65 वर्ष के बीच होगी।

 

 

 

वैक्सीन की पहली डोज लगाने के 21 दिन बाद वांलटियरों को दूसरी डोज लगाई जाएगी। इस बीच छह माह तक एम्स प्रशासन वालंटियर के स्वास्थ्य पर नजर रखेगा। आरएमआरसी के सीनियर वैज्ञानिक डॉ अशोक पांडेय ने बताया कि जो भी वालंटियर ट्रायल में शामिल होंगे, वह कभी कोरोना संक्रमित न हुआ हो। इसके अलावा उसे कोविशील्ड, कोवैक्सीन या फिर स्पूतनिक कोई वैक्सीन न लगी हो। बताया कि ऐसे लोगों की संख्या बेहद कम हैं। लेकिन इसके बाद भी प्रयास है कि वालंटियर जल्द से जल्द मिल जाए, जिससे की ट्रायल का काम जल्द से जल्द पूरा हो सके।

 

 

 

अमेरिका और इग्लैंड में 89.7 फीसदी कारगार पाई गई है वैक्सीन

डॉ. अशोक पांडेय ने बताया कि अमेरिका और इग्लैंड में इस वैक्सीन के दो फेज का ट्रायल हो चुका है। यह वैक्सीन 89.7 फीसद कारगर पाई गई है। यह बेहद सुरक्षित और असरदार है। तीसरे फेज का ट्रायल देश के 23 संस्थानों में हो रहा है। बताया कि यह वैक्सीन कोरोना वायरस के स्पाइक को प्रोटीन को प्यूरिफाइड करके तैयार की गई है। ऐसे में यह ज्यादा असरदार है। अमेरिका और इग्लैंड में यह वैक्सीन दूसरे फेज के ट्रायल के बाद ही लगाई जा रही है।

 

 

 

भारत बॉयोटेक और जायडस की कैडिला वैक्सीन का हो चुका है ट्रायल

एम्स में कोवा-वैक्स वैक्सीन के ट्रायल से पहले गोरखपुर में भारत बायोटेक व जायडस कैडिला की वैक्सीन का ट्रायल हो चुका है। हालांकि यह ट्रायल निजी अस्पताल में हुआ था। 

 

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